रंभा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
*[[पुराण|पुराणों]] में रंभा का चित्रण एक प्रसिद्ध अप्सरा के रूप में माना जाता है। रंभा अप्सरा की उत्पत्ति देवासुर के समुद्र मंथन से मानी जाती है।
*[[पुराण|पुराणों]] में '''रंभा''' का चित्रण एक प्रसिद्ध अप्सरा के रूप में माना जाता है, जो कि [[कुबेर]] की सभा में थी।
*पुराण और साहित्य में रंभा अपने सौन्दर्य के रूप में प्रसिद्ध है।
*यह [[कश्यप]] और प्राधा की पुत्री थी।
*रंभा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी।
*रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबर के साथ पत्नी की तरह रहती थी।
*इस सम्बन्ध को लेकर [[रावण]] ने एक बार दोनों का उपहास किया था।
*रावण द्वारा इस प्रकार उपहास किए जाने पर नलकुबर ने उसे शाप दिया था कि, तुझे न चाहने वाली स्त्री से तू बलात्कार करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।
*इसी शाप के भय से रावण [[सीता]] पर अपने बल का प्रयोग न कर सका।
*अन्यत्र विवरण मिलता है कि, रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था, जिस पर उसने भी उसे शाप दिया था।
*[[इन्द्र]] ने [[देवता|देवताओं]] से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।
*[[इन्द्र]] ने [[देवता|देवताओं]] से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।
*[[विश्वामित्र]] की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने मरुदगण तथा रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए दोनों को भेजा।
*स्वर्ग में [[अर्जुन]] के स्वागत के लिए रंभा ने नृत्य किया था।
*विश्वामित्र के शाप से रंभा दस हज़ार वर्ष के लिए पाषाण की प्रतिमा बन गई।
*[[विश्वामित्र]] की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा था।
*विश्वामित्र ने रंभा से कहा कि कोई तपस्वी [[ब्राह्मण]] तुम्हारा उद्धार करेगा।
*ऋषि इन्द्र का षड्यंत्र समझ गए और उन्होंने रंभा को हज़ार वर्षों तक शिला बनकर रहने का शाप दे डाला।
*विश्वामित्र ने पूर्व दिशा में जाकर एक हज़ार वर्ष तक निराहार रहकर तपस्या करने की दीक्षा ली। एक हज़ार वर्ष की घोर तपस्या के बाद जब उन्होंने भोजन के लिए अन्न परोसा, तब इंद्र ब्राह्मण के रूप में आये और उनसे भिक्षा मांगी। विश्वामित्र ने सम्पूर्ण भोजन ही उन्हें दे दिया और साँस रोककर एक हज़ार वर्ष तक के लिए पुन: तपस्या में लीन हो गये।
*[[वाल्मीकि]] [[रामायण]] के अनुसार एक [[ब्राह्मण]] द्वारा यह [[ऋषि]] के शाप से मुक्त हुई।
*विश्वामित्र के मस्तक से धुआं निकलने लगा, जिसे देखकर [[ऋषि]], गंधर्व, पन्नग सब त्रस्त होकर [[ब्रह्मा]] के पास जा पहुँचे, और ब्रह्माजी से कहने लगे कि कलुषहीन विश्वामित्र को मनचाहा वर नहीं मिला तो उनकी तपस्या से चराचर लोक भस्म हो जाएगा। सब लोग [[धर्म]]-कर्म भूलकर नास्तिक हुए जा रहे हैं।
*[[स्कन्दपुराण]] में इसके उद्धारक 'श्वेतमुनि' बताए गए हैं, जिनके छोड़े बाण से यह शिलारूप में कंमितीर्थ में गिरकर मुक्त हुई।
*ब्रह्मा ने विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व प्रदान किया। विश्वामित्र ने उनसे ब्रह्मज्ञान, [[वेद]]-[[वेदांग]] आदि की याचना की, साथ ही यह भी कि [[वसिष्ठ]] भी उन्हें 'ब्रह्मपुत्र' कहकर पुकारें। यह सब प्राप्त होने पर वसिष्ठ ने उनसे मैत्री की और कहा कि अब वे ब्राह्मणत्व के समस्त गुणों से विभूषित हैं। मुनि शतानंद के मुँह से यह गाथा सुनकर जनक अत्यंत प्रसन्न हुए।<ref>(पुस्तक 'भारतीय मिथक कोश') पृष्ठ संख्या-254</ref>
*[[महाभारत]] में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है।
 
{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
Line 20: Line 26:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{कथा}}
{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:कथा साहित्य कोश]]
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:कथा साहित्य]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]


__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 10:08, 17 April 2011

  • पुराणों में रंभा का चित्रण एक प्रसिद्ध अप्सरा के रूप में माना जाता है, जो कि कुबेर की सभा में थी।
  • यह कश्यप और प्राधा की पुत्री थी।
  • रंभा अपने रूप और सौन्दर्य के लिए तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी।
  • रंभा कुबेर के पुत्र नलकुबर के साथ पत्नी की तरह रहती थी।
  • इस सम्बन्ध को लेकर रावण ने एक बार दोनों का उपहास किया था।
  • रावण द्वारा इस प्रकार उपहास किए जाने पर नलकुबर ने उसे शाप दिया था कि, तुझे न चाहने वाली स्त्री से तू बलात्कार करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा।
  • इसी शाप के भय से रावण सीता पर अपने बल का प्रयोग न कर सका।
  • अन्यत्र विवरण मिलता है कि, रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था, जिस पर उसने भी उसे शाप दिया था।
  • इन्द्र ने देवताओं से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।
  • स्वर्ग में अर्जुन के स्वागत के लिए रंभा ने नृत्य किया था।
  • विश्वामित्र की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने के लिए भेजा था।
  • ऋषि इन्द्र का षड्यंत्र समझ गए और उन्होंने रंभा को हज़ार वर्षों तक शिला बनकर रहने का शाप दे डाला।
  • वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक ब्राह्मण द्वारा यह ऋषि के शाप से मुक्त हुई।
  • स्कन्दपुराण में इसके उद्धारक 'श्वेतमुनि' बताए गए हैं, जिनके छोड़े बाण से यह शिलारूप में कंमितीर्थ में गिरकर मुक्त हुई।
  • महाभारत में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख