कात्यायन (गोमिलपुत्र): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 2: Line 2:


*[[हरिवंशपुराण]] में विश्वामित्रवंशीय 'कति' के पुत्र कात्यायन गण का नामोल्लेख है। कात्यायन गण में वेदशाखा के प्रवर्तक अनेक व्यक्ति हुए हैं और इन्हीं में से एक याज्ञवल्क्य शुक्लयजु: अर्थात् वाजसनेयि शाखा के प्रवर्तक हैं। श्रोत सूत्रकार कात्यायन इसी वाजसनेयि शाखा के अनुवर्तक हैं। इसी से यह अनुमान होता है कि विश्वामित्रवंशीय याज्ञवल्क्य के अनुवर्ती कात्यायन ऋर्षि ही कात्यायन श्रौतसूत्र के रचियिता हैं और गोमिलपुत्र कात्यायन स्मृतिकार हैं।
*[[हरिवंशपुराण]] में विश्वामित्रवंशीय 'कति' के पुत्र कात्यायन गण का नामोल्लेख है। कात्यायन गण में वेदशाखा के प्रवर्तक अनेक व्यक्ति हुए हैं और इन्हीं में से एक याज्ञवल्क्य शुक्लयजु: अर्थात् वाजसनेयि शाखा के प्रवर्तक हैं। श्रोत सूत्रकार कात्यायन इसी वाजसनेयि शाखा के अनुवर्तक हैं। इसी से यह अनुमान होता है कि विश्वामित्रवंशीय याज्ञवल्क्य के अनुवर्ती कात्यायन ऋर्षि ही कात्यायन श्रौतसूत्र के रचियिता हैं और गोमिलपुत्र कात्यायन स्मृतिकार हैं।
{{seealso|कात्यायन|कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय)|कात्यायन (वररुचि)}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 07:52, 9 June 2016

गोमिलपुत्र कात्यायन ने 'छंदोपरिशिष्टकर्मप्रदीप' की रचना की थी। कुछ लोगों का अनुमान है कि श्रौतसूत्रकार कात्यायन और स्मृतिप्रणेता कात्यायन एक ही व्यक्ति हैं। परंतु यह सिद्धांत ठीक नहीं जान पड़ता।

  • हरिवंशपुराण में विश्वामित्रवंशीय 'कति' के पुत्र कात्यायन गण का नामोल्लेख है। कात्यायन गण में वेदशाखा के प्रवर्तक अनेक व्यक्ति हुए हैं और इन्हीं में से एक याज्ञवल्क्य शुक्लयजु: अर्थात् वाजसनेयि शाखा के प्रवर्तक हैं। श्रोत सूत्रकार कात्यायन इसी वाजसनेयि शाखा के अनुवर्तक हैं। इसी से यह अनुमान होता है कि विश्वामित्रवंशीय याज्ञवल्क्य के अनुवर्ती कात्यायन ऋर्षि ही कात्यायन श्रौतसूत्र के रचियिता हैं और गोमिलपुत्र कात्यायन स्मृतिकार हैं।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख