श्रीधर: Difference between revisions
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Revision as of 12:15, 8 January 2012
- श्रीधर रीति काल के कवि थे। इनका नाम 'श्रीधर' या 'मुरलीधर' मिलता है। श्रीधर प्रयाग के रहने वाले ब्राह्मण थे। श्रीधर संवत 1737 के लगभग उत्पन्न हुए थे। बाबू राधाकृष्ण दास ने इनके बनाए कई रीतिग्रंथों का उल्लेख किया है -
- नायिकाभेद,
- चित्रकाव्य आदि।
- जंगनामा
- इन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और बहुत सी फुटकल कविता बनाई। संगीत की पुस्तक, नायिका भेद, जैन मुनियों के चरित्र, कृष्णलीला के फुटकल पद्य, चित्रकाव्य इत्यादि के अतिरिक्त इन्होंने 'जंगनामा' नामक ऐतिहासिक प्रबंध काव्य लिखा जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदारशाह के युद्ध का वर्णन है।
- यह ग्रंथ काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हो चुका है। इस छोटी सी पुस्तक में सेना की चढ़ाई, साज सामान आदि का कवित्त सवैया में अच्छा वर्णन है।
- इनका कविताकाल संवत् 1767 के आसपास माना जा सकता है। 'जंगनामा' का एक कवित्त नीचे दिया जाता है -
इत गलगाजि चढयो फर्रुखसियर साह,
उत मौजदीन करी भारी भट भरती।
तोप की डकारनि सों बीर हहकारनि सों,
धौंसे की धुकारनि धामकि उठी धारती
श्रीधार नवाब फरजंदखाँ सुजंग जुरे,
जोगिनी अघाई जुग जुगन की बरती।
हहरयो हरौल, भीर गोल पै परी ही, तू न,
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
आचार्य, रामचंद्र शुक्ल “प्रकरण 3”, हिन्दी साहित्य का इतिहास (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृष्ठ सं. 228-30।
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