गोपाल प्रसाद व्यास: Difference between revisions
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Revision as of 09:19, 3 June 2011
पंडित गोपालप्रसाद व्यास का जन्म सूरदास की निर्वाणस्थली पारसौली, [1] उत्तर प्रदेश में हुआ था। जन्मपत्री के अनुसार माघ शुक्ल 10, संवत 1972 विक्रमी को हुआ था। किंतु स्कूल के प्रमाण पत्र के अनुसार 13 फरवरी, 1915 ई. है। पंडित गोपालप्रसाद व्यास के पिता का नाम स्व. ब्रजकिशोर शास्त्री और माता का नाम स्व. चमेली देवी था। इनके तीन पुत्र- स्व.जगदीश, गोविन्द, ब्रजमोहन तथा तीन पुत्रियां - श्रीमती पुष्पा उपाध्याय, श्रीमती मधु शर्मा और डॉ. रत्ना कौशिक थी।
शिक्षा
पंडित गोपालप्रसाद व्यास की प्रारंभिक शिक्षा पहले पारसौली के निकट भवनपुरा में हुई। उसके बाद अथ से इति तक मथुरा में केवल कक्षा सात तक शिक्षा प्राप्त की। स्वतंत्रता संग्राम के कारण उसकी भी परीक्षा नहीं दे सके और स्कूली शिक्षा समाप्त हो गई। स्व. नवनीत चतुर्वेदी से पिंगल पढ़ा। अलंकार, रस-सिद्धांत सेठ कन्हैयालाल पोद्दार से पढ़े। नायिका भेद का ज्ञान सैंया चाचा से और पुरातत्व, मूर्तिकला, चित्रकला आदि का डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल से ज्ञान प्राप्त किया। विशारद और साहित्यरत्न का अध्ययन तथा हिन्दी के नवोन्मेष का पाठ डॉ. सत्येन्द्र से पढ़ा।
विवाह
सन 1931 में हिन्डौन, राजस्थान निवासी प्रताप जी की पौत्री श्रीमती अशर्फी देवी के साथ विवाह हुआ।
कार्य-क्षेत्र
प्रथम कार्य-क्षेत्र आगरा में रहा। तत्पश्चात सन 1945 से मृत्युपर्यंत दिल्ली में रहे।
- कविता के क्षेत्र में -
पंडित गोपालप्रसाद व्यास ब्रजभाषा के कवि, समीक्षक, व्याकरण, साहित्य-शास्त्र, रस-रीति, अलंकार, नायिका-भेद और पिंगल के मर्मज्ञ थे। पंडित जी हिन्दी में व्यंग्य-विनोद की नई धारा के जनक माने जाते हैं। पंडित गोपालप्रसाद व्यास हास्यरस में पत्नीवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं। सामाजिक, साहित्यिक, राजनैतिक व्यंग्य-विनोद के प्रतिष्ठा प्राप्त कवि एवं लेखक थे और 'हास्यरसावतार' के नाम से प्रसिद्ध थे।
- पत्रकारिता के क्षेत्र में-
'साहित्य संदेश' आगरा, 'दैनिक हिन्दुस्तान' दिल्ली, 'राजस्थान पत्रिका' जयपुर, 'सन्मार्ग', कलकत्ता में संपादन तथा दैनिक 'विकासशील भारत' आगरा के प्रधान संपादक रहे। स्तंभ लेखन में सन 1937 से अंतिम समय तक निरंतर संलग्न रहे। ब्रज साहित्य मंडल, मथुरा के संस्थापक और मंत्री से लेकर अध्यक्ष तक रहे। दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक और 35 वर्षों तक महामंत्री और अंत तक संरक्षक रहे। श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के संस्थापक महामंत्री के पद पर अंत तक रहे। लाल क़िले के 'राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन' और देश भर में होली के अवसर पर 'मूर्ख महासम्मेलनों' के जन्मदाता और संचालक रहे।
निधन
उनका निधन शनिवार, 28 मई, 2005, प्रातः 6 बजे, अपने निवास बी-52, गुलमोहर पार्क, नई दिल्ली-110049 पर हो गया।
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