पद्मजा नायडू: Difference between revisions

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*उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।  
*उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।  
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*राष्ट्र के लिए उनकी सेवाएं विशेष रूप से उनका मानवीय दृष्टिकोण हमेशा याद किया जाएगा।
*सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा अपनी मां की ही तरह देश के लिए समर्पित थीं।
*सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा अपनी मां की ही तरह देश के लिए समर्पित थीं।

Revision as of 06:33, 2 May 2013

पद्मजा नायडू
पूरा नाम पद्मजा नायडू
जन्म 17 नवंबर, 1900 ई.
मृत्यु 2 मई, 1975
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी तथा पश्चिम बंगाल की प्रथम महिला राज्यपाल
जेल यात्रा 1942 में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान।
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण (1962)
अन्य जानकारी आप 21 वर्ष की आयु में हैदराबाद में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की संयुक्त संस्थापिका बनायी गई थीं।

सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू अपनी मां की तरह ही राष्ट्र के हितों के प्रति निष्ठावान थीं।

  • 17 नवंबर 1900 में जन्मीं पद्मजा नायडू पर अपनी देशभक्त मां का काफ़ी असर था।
  • 21 वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरीं और हैदराबाद में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की संयुक्त संस्थापिका बन गयीं।
  • उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।
  • 1942 में गांधी जी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
  • आज़ादी के बाद वह संसद की सदस्य बनीं और बाद में पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल बनायी गयीं।
  • लगभग 50 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में वे रेडक्रास से भी जुड़ी हुई थीं।
  • 2 मई 1975 में उनका देहांत हो गया।
  • पद्मजा नायडू को सन् 1962 में भारत सरकार के सर्वोच्च दूसरे नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
  • राष्ट्र के लिए उनकी सेवाएं विशेष रूप से उनका मानवीय दृष्टिकोण हमेशा याद किया जाएगा।
  • सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा अपनी मां की ही तरह देश के लिए समर्पित थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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