केशवसुत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "विरूद्ध" to "विरुद्ध")
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
Line 8: Line 8:
अपने पूर्ववती कवियों की भाँति उन्होंने भजन या राजा-महाराजाओं की स्तुति का गान नहीं किया। उनकी कविताओं में विषय होते थे- जन-जीवन की समस्याएँ और लोगों की कठिनायाँ। इन विषयों में काव्य रचने वाले केशवसुत मराठी भाषा के पहले कवि थे। साथ ही उन्होंने मनोरम प्रकृति चित्रण और बाल सुलभ भोलेपन का भी बहुत मार्मिक वर्णन किया।  
अपने पूर्ववती कवियों की भाँति उन्होंने भजन या राजा-महाराजाओं की स्तुति का गान नहीं किया। उनकी कविताओं में विषय होते थे- जन-जीवन की समस्याएँ और लोगों की कठिनायाँ। इन विषयों में काव्य रचने वाले केशवसुत मराठी भाषा के पहले कवि थे। साथ ही उन्होंने मनोरम प्रकृति चित्रण और बाल सुलभ भोलेपन का भी बहुत मार्मिक वर्णन किया।  
==निधन==  
==निधन==  
केशवसुत को बहुत ही कम जीवन मिला और 39 वर्ष की उम्र में [[प्लेग]] के कारण 1905 ई. में उनका निधन हो गया फिर भी वे मराठी काव्य- जगत को नई दिशा प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
केशवसुत को बहुत ही कम जीवन मिला और 39 वर्ष की उम्र में [[प्लेग]] के कारण 1905 ई. में उनका निधन हो गया फिर भी वे मराठी काव्य- जगत् को नई दिशा प्रदान करने वाले माने जाते हैं।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 13:56, 30 June 2017

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

केशवसुत (जन्म- 1886 ई.; मृत्यु- 1905 ई.) आधुनिक मराठी भाषा की कविता के जनक माने जाते है। हिन्दी में जो स्थान भारतेन्दु हरिशचंद्र का है, वही स्थान मराठी में केशवसुत का है।

परिचय

केशवसुत को आधुनिक मराठी कविता का जनक माना जाता है। हिन्दी में जो स्थान भारतेन्दु का है, वही मराठी में केशवसुत का है। केशवसुत के जन्म के समय के बारे में निश्चित सूचना उपलब्ध नहीं है। उनका जन्म सामान्यत: लोग 1886 ई. में मानते हैं। साधारण परिवार में पैदा होने के कारण उनकी शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं हो पायी। 25 वर्ष की उम्र में वे मैट्रिक पास कर सके थे। अंतर्मुखी वे बचपन से ही थे। भीड़-भाड़ से दूर रहकर बहुआ प्राकृतिक दृश्यों के बीच एकांत में बैठना उन्हें रुचिकार था। काव्य के प्रति आरंभ से ही आकर्षण था। यहाँ तक कि एक बार काव्य-चर्चा में मग्न रहने के कारण परीक्षा भवन में जाना ही भूल गए थे।

कार्यक्षेत्र

आजीविका के लिए केशवसुत ने विभिन्न स्थानों में अध्यापक का कार्य किया। काव्य के क्षेत्र में उनका पदार्पण 'रघुवंश' के एक अंश के अनुवाद के साथ हुआ था। फिर वे राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों में काव्य रचना करने लगे। यद्यपि उन्होंने विद्यालय में लोकमान्य तिलक से शिक्षा पाई थी, पर सक्रिय राजनीति में वे कभी सम्मिलित नहीं हुए। केशवसुत की रचनाओं में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व का भाव था। वे जाति, वर्ग और वर्ण भेद को देश की परतंत्रता का कारण मानते थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया। अस्पृश्यता और बाल विवाह के विरुद्ध केशवसुत ने आवाज़ उठाई।

अपने पूर्ववती कवियों की भाँति उन्होंने भजन या राजा-महाराजाओं की स्तुति का गान नहीं किया। उनकी कविताओं में विषय होते थे- जन-जीवन की समस्याएँ और लोगों की कठिनायाँ। इन विषयों में काव्य रचने वाले केशवसुत मराठी भाषा के पहले कवि थे। साथ ही उन्होंने मनोरम प्रकृति चित्रण और बाल सुलभ भोलेपन का भी बहुत मार्मिक वर्णन किया।

निधन

केशवसुत को बहुत ही कम जीवन मिला और 39 वर्ष की उम्र में प्लेग के कारण 1905 ई. में उनका निधन हो गया फिर भी वे मराठी काव्य- जगत् को नई दिशा प्रदान करने वाले माने जाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 196।


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख