चंद्रशेखर वाजपेयी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org") |
||
Line 33: | Line 33: | ||
}} | }} | ||
'''चंद्रशेखर वाजपेयी''' (जन्म- 1855 संवत, निधन- [[1932]] संवत), 19वीं [[शताब्दी]] के [[कवि]] थे| इनके [[पिता]] मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु [[असनी]] के करनेश महापात्र थे। 22 वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर वाजपेयी ने [[दरभंगा]] की यात्रा की। वहाँ 7 वर्ष बिताकर ये [[जोधपुर]] के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे। [[वीर रस]] वर्णन में इस कवि ने बहुत ही सुंदर साहित्यिक विवेक का परिचय दिया है।<ref name="aa">{{cite web |url=http:// | '''चंद्रशेखर वाजपेयी''' (जन्म- 1855 संवत, निधन- [[1932]] संवत), 19वीं [[शताब्दी]] के [[कवि]] थे| इनके [[पिता]] मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु [[असनी]] के करनेश महापात्र थे। 22 वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर वाजपेयी ने [[दरभंगा]] की यात्रा की। वहाँ 7 वर्ष बिताकर ये [[जोधपुर]] के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे। [[वीर रस]] वर्णन में इस कवि ने बहुत ही सुंदर साहित्यिक विवेक का परिचय दिया है।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%B0_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%AF%E0%A5%80 |title=चंद्रशेखर वाजपेयी|accessmonthday=02 अगस्त |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
चंद्रशेखर वाजपेयी 19वीं शताब्दी के कवि थे। इनका जन्म [[सम्वत]] 1855, [[पौष]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[दशमी]] को मोजबाबाद ([[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर]]) में हुआ था। इनके पिता मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु असनी के करनेश महापात्र थे, जो 'कर्णभरण', 'श्रुतिभूषण' और 'भूपभूषण' नामक ग्रंथों के रचयिता करनेश से भिन्न 19वीं शती में रहे थे। 22 वर्ष की उम्र में इन्होंने दरभंगा की यात्रा की। वहाँ सात [[वर्ष]] बिताकर ये [[जोधपुर]] के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे। | चंद्रशेखर वाजपेयी 19वीं शताब्दी के कवि थे। इनका जन्म [[सम्वत]] 1855, [[पौष]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[दशमी]] को मोजबाबाद ([[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर]]) में हुआ था। इनके पिता मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु असनी के करनेश महापात्र थे, जो 'कर्णभरण', 'श्रुतिभूषण' और 'भूपभूषण' नामक ग्रंथों के रचयिता करनेश से भिन्न 19वीं शती में रहे थे। 22 वर्ष की उम्र में इन्होंने दरभंगा की यात्रा की। वहाँ सात [[वर्ष]] बिताकर ये [[जोधपुर]] के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे। |
Latest revision as of 12:26, 25 October 2017
चंद्रशेखर वाजपेयी
| |
पूरा नाम | चंद्रशेखर वाजपेयी |
जन्म | संवत 1855 |
मृत्यु | संवत 1932 |
अभिभावक | मनीराम वाजपेयी |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'हम्मीरहठ', रसिकविनोद, गुरुपंचाशिंका, माधुरीवसंत आदि। |
भाषा | हिन्दी |
प्रसिद्धि | कवि, साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | चंद्रशेखर वाजपेयी की सभी रचनाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण 'हम्मीरहठ' है, जिस पर कवि की कीर्ति अवलंबित है। इसमें रणथंभौर के राजा हम्मीर और सुल्तान आलउद्दीन ख़िलजी के युद्ध का वर्णन है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
चंद्रशेखर वाजपेयी (जन्म- 1855 संवत, निधन- 1932 संवत), 19वीं शताब्दी के कवि थे| इनके पिता मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु असनी के करनेश महापात्र थे। 22 वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर वाजपेयी ने दरभंगा की यात्रा की। वहाँ 7 वर्ष बिताकर ये जोधपुर के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे। वीर रस वर्णन में इस कवि ने बहुत ही सुंदर साहित्यिक विवेक का परिचय दिया है।[1]
जीवन परिचय
चंद्रशेखर वाजपेयी 19वीं शताब्दी के कवि थे। इनका जन्म सम्वत 1855, पौष शुक्ल दशमी को मोजबाबाद (फतेहपुर) में हुआ था। इनके पिता मनीराम वाजपेयी एक अच्छे कवि थे। इनके गुरु असनी के करनेश महापात्र थे, जो 'कर्णभरण', 'श्रुतिभूषण' और 'भूपभूषण' नामक ग्रंथों के रचयिता करनेश से भिन्न 19वीं शती में रहे थे। 22 वर्ष की उम्र में इन्होंने दरभंगा की यात्रा की। वहाँ सात वर्ष बिताकर ये जोधपुर के राजा मानसिंह, पटियालाधीश कर्मसिंह और महाराज नरेंद्रसिंह के आश्रय में रहे।
रचनाएँ
चंद्रशेखर वाजपेयी की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
- हम्मीरहठ[2]
- नखशिख
- रसिकविनोद[3]
- वृंदावन शतक
- गुरुपंचाशिंका
- ज्योतिष का ताजक
- माधुरीवसंत
- हरि-भक्ति-विलास[4]
- विवेकविलास
- राजनीति का एक वृहत् ग्रंथ
चंद्रशेखर वाजपेयी की इन सभी रचनाओं में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना 'हम्मीरहठ' है, जिस पर कवि की कीर्ति अवलंबित है। इसमें रणथंभौर के राजा हम्मीर और सुल्तान आलउद्दीन ख़िलजी के युद्ध का वर्णन बड़ी ही ओजपूर्ण शैली में किया गया है। इसका प्रधान रस वीर है। वाराणसी के 'लहरी बुक डिपो' से यह प्रकाशित भी हो चुका है। 'रसिकविनोद' नायिका भेद और रसों के वर्णन का ग्रंथ है।[1]
साहित्यिक परिचय
वीर, श्रृंगार और भक्ति तीनों रसों का अच्छा परिचय इनकी रचनाओं में मिलता है। इसीलिए अचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है कि 'उत्साह की उमंग की व्यंजना जैसी चलती रचना, स्वाभाविक और जोरदार भाषा में इन्होंने की है, वैसे ढंग से करने में बहुत ही कम कवि समर्थ हुए हैं। वीर रस वर्णन में इस कवि ने बहुत ही सुंदर साहित्यिक विवेक का परिचय दिया है'।[5] कवि का अपनी साहित्यिक भाषा पर पूरा अधिकार है। उसमें व्यवस्था, प्रवाह और रसानुकूल उत्कृष्ट पदविन्यास भी पाया जाता है। प्रसंग विधान पूर्ववर्ती कवियों जैसा ही है। बहुल अनुप्रास योजना रस बाधक न होकर रसोपकरी सिद्ध हुई।[1]
निधन
चंद्रशेखर वाजपेयी का निधन सम्वत 1932 वि. में हुआ था।
|
|
|
|
|