हरिराम व्यास: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:28, 25 October 2017
हरिराम व्यास
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पूरा नाम | हरिराम व्यास |
जन्म | संवत 1567 |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'व्यासवाणी' |
भाषा | हिन्दी, संस्कृत |
प्रसिद्धि | कृष्णभक्त कवि |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | हरिराम व्यास की प्रवृत्ति दार्शनिक मतभेदों को प्रश्रय देने की नहीं थी। राधावल्लभीय संप्रदाय के मूल तत्व- नित्यविहार दर्शन, जिसे 'रसोपासना' भी कहते हैं, की सहज अभिव्यक्ति इनकी वाणी में हुई है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
हरिराम व्यास भक्तप्रवर कवि थे। उनका जन्म सनाढ्यकुलोद्भव ओरछा निवासी समोखन शुक्ला के घर मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी, संवत 1567 को हुआ था। उनकी संस्कृत में विशेष रुचि होने के कारण अल्पकाल में ही उन्होंने पांडित्य प्राप्त कर लिया था।[1]
- ओरछा नरेश मधुकरशाह इनके मंत्रिशष्य थे। हरिराम व्यास अपने पिता की ही भाँति परम वैष्णव तथा सद्गृहस्थ थे। राधाकृष्ण की ओर विशेष झुकाव हो जाने से ये ओरछा छोड़कर वृन्दावन चले आए।
- राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख आचार्य गोस्वामी हितहरिवंश के जीवन दर्शन का इनके ऊपर ऐसा मोहक प्रभाव पड़ा कि इनकी अंतर्वृत्ति नित्यकिशोरी राधा तथा नित्यकिशोर कृष्ण के निकुंज लीलागान मे रम गई। ऐसी स्थिति चैतन्य सम्प्रदाय के रूप गोस्वामी और सनातन गोस्वामी से इनकी गाढ़ी मैत्री थी।
- हरिराम व्यास की प्रवृत्ति दार्शनिक मतभेदों को प्रश्रय देने की नहीं थी। राघावल्लभीय संप्रदाय के मूल तत्व-नित्यविहार दर्शन, जिसे रसोपासना भी कहते हैं, की सहज अभिव्यक्ति इनकी वाणी में हुई है।
- श्रृंगार के अंतर्गत हरिराम व्यास ने संयोगपक्ष को नित्यलीला का प्राण माना है। 'राधा का नखशिख' और 'श्रृंगार परक' इनकी अन्य रचनाएँ भी संयमित एवं मर्यादित हैं। 'व्यासवाणी' भक्ति और साहित्यिक गरिमा के कारण इनकी श्रेष्ठ कृतियाँ हैं।
- हरिराम व्यास का धार्मिक दृष्टकोश व्यापक तथा उदार था। ये उच्च कोटि के भक्त तथा कवि थे।
- राधावल्लभीय संप्रदाय के हरित्रय में इनका विशिष्ट स्थान है।
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, सोमवार सन 1968 हरिराम व्यास की मृत्यु तिथि मानी जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'हरिराम व्यास (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2015।