घोषा: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 3: | Line 3: | ||
*एक बार उदासी के क्षणों में अचानक उसे ध्यान आया कि उसके पिता कक्षीवत ने [[अश्विनीकुमार|अश्विनीकुमारों]] की कृपा से आयु, शक्ति तथा स्वास्थ्य का लाभ किया था। | *एक बार उदासी के क्षणों में अचानक उसे ध्यान आया कि उसके पिता कक्षीवत ने [[अश्विनीकुमार|अश्विनीकुमारों]] की कृपा से आयु, शक्ति तथा स्वास्थ्य का लाभ किया था। | ||
*घोषा ने तपस्या की। साठ वर्षीय वह मन्त्रद्रष्टा हुई। अश्विनीकुमारों का स्वतन किया। उस पर प्रसन्न होकर अश्विनीकुमारों ने दर्शन दिये और उसकी उत्कट आकांक्षा जानकर उसे नीरोग कर रूप-यौवन प्रदान किया। तदनंतर उसका विवाह संपन्न हुआ। अश्विनी कुमारों की कृपा से ही उसने पुत्र धन आदि भी प्राप्त किये। <ref>ऋग्वेद 1।117, 120 से 123</ref> | *घोषा ने तपस्या की। साठ वर्षीय वह मन्त्रद्रष्टा हुई। अश्विनीकुमारों का स्वतन किया। उस पर प्रसन्न होकर अश्विनीकुमारों ने दर्शन दिये और उसकी उत्कट आकांक्षा जानकर उसे नीरोग कर रूप-यौवन प्रदान किया। तदनंतर उसका विवाह संपन्न हुआ। अश्विनी कुमारों की कृपा से ही उसने पुत्र धन आदि भी प्राप्त किये। <ref>ऋग्वेद 1।117, 120 से 123</ref> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{ॠषि-मुनि2}}{{ॠषि-मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}} | |||
[[Category:पौराणिक चरित्र]] | |||
[[Category: पौराणिक कोश]] | [[Category: पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:ॠषि मुनि]] | [[Category:ॠषि मुनि]] | ||
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]] | [[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 09:35, 28 December 2010
- कक्षीवत की पुत्री का नाम घोषा था।
- घोषा समस्त आश्रमवासियों की लाडली थी किंतु बाल्यावस्था में ही रोग से उसका शरीर विकृत हो गया था। अत: उससे किसी ने विवाह करना स्वीकार नहीं किया। वह साठ वर्ष की वृद्धा हो गयी; किंतु कुमारी ही थी।
- एक बार उदासी के क्षणों में अचानक उसे ध्यान आया कि उसके पिता कक्षीवत ने अश्विनीकुमारों की कृपा से आयु, शक्ति तथा स्वास्थ्य का लाभ किया था।
- घोषा ने तपस्या की। साठ वर्षीय वह मन्त्रद्रष्टा हुई। अश्विनीकुमारों का स्वतन किया। उस पर प्रसन्न होकर अश्विनीकुमारों ने दर्शन दिये और उसकी उत्कट आकांक्षा जानकर उसे नीरोग कर रूप-यौवन प्रदान किया। तदनंतर उसका विवाह संपन्न हुआ। अश्विनी कुमारों की कृपा से ही उसने पुत्र धन आदि भी प्राप्त किये। [1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऋग्वेद 1।117, 120 से 123
संबंधित लेख
|
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=घोषा&oldid=99235"