मैं उनका ही होता -गजानन माधव मुक्तिबोध

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मैं उनका ही होता -गजानन माधव मुक्तिबोध
कवि गजानन माधव 'मुक्तिबोध'
जन्म 13 नवंबर, 1917
जन्म स्थान श्यौपुर, ग्वालियर
मृत्यु 11 सितंबर 1964
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ कविता संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल कहानी संग्रह- काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी आलोचना- कामायनी : एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी रचनावली- मुक्तिबोध रचनावली (6 खंडों में)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गजानन माधव मुक्तिबोध की रचनाएँ

मैं उनका ही होता, जिनसे
            मैंने रूप-भाव पाए हैं।
वे मेरे ही हिये बँधे हैं
            जो मर्यादाएँ लाए हैं।

मेरे शब्द, भाव उनके हैं,
            मेरे पैर और पथ मेरा,
            मेरे अंत और अथ मेरा,
                       ऐसे किंतु चाव उनके हैं।

मैं ऊँचा होता चलता हूँ
            उनके ओछेपन से गिर-गिर
            उनके छिछलेपन से खुद-खुद
                        मैं गहरा होता चलता हूँ


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