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'''गौपवन''' वैदिक काल के ऋषि थे। 'बृहदारण्यकोपनिषद' में इनके नाम का उल्लेख हुआ है।
'''गौपवन''' [[वैदिक काल]] के [[ऋषि]] थे। '[[बृहदारण्यकोपनिषद]]' में इनके नाम का उल्लेख हुआ है।


*'बृहदारण्यकोपनिषद' के दूसरे अध्याय में छ: प्रकार के ब्राह्मणों का वर्णन किया गया है। यहाँ छठे ब्राह्मणों में जिन ऋषियों का नाम आया है, उनमें गौपवन का नाम भी है। 'बृहदारण्यकोपनिषद' में छठे ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है। यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है। उस सर्वशक्तिमान परमात्मा की जिस-जिस ने अनुभूति की, उसे उसने उसी प्रकार अपने शिष्य को दे दिया। किसी ने भी उस पर एकाधिकार करने का प्रयत्न नहीं किया। इस परम्परा में कतिपय प्रसिद्ध ऋषि गौपवन, [[कौशिक]], [[गौतम]], [[शाण्डिल्य]], [[पराशर]], [[भारद्वाज]], [[आंगिरस]], [[आथर्वण]], अश्विनीकुमार आदि का उल्लेख है।
*'बृहदारण्यकोपनिषद' के दूसरे अध्याय में छ: प्रकार के ब्राह्मणों का वर्णन किया गया है। यहाँ छठे ब्राह्मणों में जिन ऋषियों का नाम आया है, उनमें गौपवन का नाम भी है। 'बृहदारण्यकोपनिषद' में छठे ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है। यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है। उस सर्वशक्तिमान परमात्मा की जिस-जिस ने अनुभूति की, उसे उसने उसी प्रकार अपने शिष्य को दे दिया। किसी ने भी उस पर एकाधिकार करने का प्रयत्न नहीं किया। इस परम्परा में कतिपय प्रसिद्ध ऋषि गौपवन, [[कौशिक]], [[गौतम]], [[शाण्डिल्य]], [[पराशर]], [[भारद्वाज]], [[आंगिरस]], [[आथर्वण]], अश्विनीकुमार आदि का उल्लेख है।

Revision as of 10:07, 10 December 2016

गौपवन वैदिक काल के ऋषि थे। 'बृहदारण्यकोपनिषद' में इनके नाम का उल्लेख हुआ है।

  • 'बृहदारण्यकोपनिषद' के दूसरे अध्याय में छ: प्रकार के ब्राह्मणों का वर्णन किया गया है। यहाँ छठे ब्राह्मणों में जिन ऋषियों का नाम आया है, उनमें गौपवन का नाम भी है। 'बृहदारण्यकोपनिषद' में छठे ब्राह्मण में 'मधुकाण्ड' की गुरु-शिष्य परम्परा का वर्णन किया गया है। यहाँ केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले ऋषियों की परम्परा का उल्लेख किया गया है। उस सर्वशक्तिमान परमात्मा की जिस-जिस ने अनुभूति की, उसे उसने उसी प्रकार अपने शिष्य को दे दिया। किसी ने भी उस पर एकाधिकार करने का प्रयत्न नहीं किया। इस परम्परा में कतिपय प्रसिद्ध ऋषि गौपवन, कौशिक, गौतम, शाण्डिल्य, पराशर, भारद्वाज, आंगिरस, आथर्वण, अश्विनीकुमार आदि का उल्लेख है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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