कबीर के पद -कबीर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 35: Line 35:
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्‍या क्‍या बीता॥
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्‍या क्‍या बीता॥
सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥
सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥
परली पार मेरा मीता खडि़या, उस मिलने का ध्‍यान न धरिया॥
परली पार मेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्‍यान न धरिया॥
टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
दास कबीर कहैं समझाई, अंतकाल तेरा कौन सहाई॥
दास कबीर कहैं समझाई, अंतकाल तेरा कौन सहाई॥
Line 42: Line 42:
2.
2.
रहना नहीं देस बिराना है॥
रहना नहीं देस बिराना है॥
यह संसार कागद की पुडि़या, बूँद पड़े घुल जाना है॥
यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है॥
यह संसार काँटे की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है॥
यह संसार काँटे की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है॥
यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है॥
यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है॥

Revision as of 15:01, 1 November 2015

कबीर के पद -कबीर
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

1.
प्रेम नगर का अंत न पाया, ज्‍यों आया त्‍यों जावैगा॥
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्‍या क्‍या बीता॥
सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥
परली पार मेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्‍यान न धरिया॥
टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
दास कबीर कहैं समझाई, अंतकाल तेरा कौन सहाई॥
चला अकेला संग न कोई, किया अपना पावैगा॥

2.
रहना नहीं देस बिराना है॥
यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है॥
यह संसार काँटे की बाड़ी, उलझ-पुलझ मरि जाना है॥
यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है॥
कहत कबीर सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है॥






संबंधित लेख