शालिहोत्र: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
नवनीत कुमार (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " एंव " to " एवं ") |
||
Line 3: | Line 3: | ||
*शालिहोत्र के आश्रम के पास एक सरोवर और एक पवित्र वृक्ष था। वह वृक्ष [[सर्दी]], [[गर्मी]] और [[वर्षा]] का सहन भली भाँति करता था। वहाँ केवल जल पी लेने से भूख-प्यास शांत हो जाती थी। उस सरोवर और वृक्ष का निर्माण श्री 'शालिहोत्र मुनि' ने अपनी तपस्या से किया था। | *शालिहोत्र के आश्रम के पास एक सरोवर और एक पवित्र वृक्ष था। वह वृक्ष [[सर्दी]], [[गर्मी]] और [[वर्षा]] का सहन भली भाँति करता था। वहाँ केवल जल पी लेने से भूख-प्यास शांत हो जाती थी। उस सरोवर और वृक्ष का निर्माण श्री 'शालिहोत्र मुनि' ने अपनी तपस्या से किया था। | ||
*मुनि के आश्रम में [[हिडिम्बा]] के साथ [[पांडव]] आये थे। पांडवों की भूख प्यास निवृति इन्होंने की थी।<ref>[[महाभारत आदि पर्व]] 154.15 और 18 के बाद दक्षिणास्य पाठ</ref> | *मुनि के आश्रम में [[हिडिम्बा]] के साथ [[पांडव]] आये थे। पांडवों की भूख प्यास निवृति इन्होंने की थी।<ref>[[महाभारत आदि पर्व]] 154.15 और 18 के बाद दक्षिणास्य पाठ</ref> | ||
*ये अश्वविद्या के आचार्य थे | *ये अश्वविद्या के आचार्य थे एवं अश्वों की जाति और गुण-अवगुण के पारखी थे।<ref>[[वनपर्व महाभारत|वन पर्व]] 71.27</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक2|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक2|पूर्णता=|शोध=}} |
Revision as of 13:17, 7 May 2017
शालिहोत्र हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक मुनि थे, जिनके आश्रम में श्री व्यास जी ठहरे थे।
- शालिहोत्र के आश्रम के पास एक सरोवर और एक पवित्र वृक्ष था। वह वृक्ष सर्दी, गर्मी और वर्षा का सहन भली भाँति करता था। वहाँ केवल जल पी लेने से भूख-प्यास शांत हो जाती थी। उस सरोवर और वृक्ष का निर्माण श्री 'शालिहोत्र मुनि' ने अपनी तपस्या से किया था।
- मुनि के आश्रम में हिडिम्बा के साथ पांडव आये थे। पांडवों की भूख प्यास निवृति इन्होंने की थी।[1]
- ये अश्वविद्या के आचार्य थे एवं अश्वों की जाति और गुण-अवगुण के पारखी थे।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 492 |
- ↑ महाभारत आदि पर्व 154.15 और 18 के बाद दक्षिणास्य पाठ
- ↑ वन पर्व 71.27
संबंधित लेख
|