पैल
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:44, 4 November 2017 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
पैल महर्षि वेदव्यास के शिष्य थे।[1] उन्हें ऋग्वेद की शिक्षा दी गयी थी। उन्होंने इंद्रप्रमिति तथा बाष्कल को इसकी शिक्षा दी।[2] पैल को युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में निमंत्रित किया गया था।[3]
- पैल 86 श्रुतर्षियों में से एक श्रुतर्षि थे।[4] उन्होंने अपने पाठ्य विषय के दो भाग कर अपने शिष्यों- इंद्रप्रमिति तथा बाष्कल को दिये थे।[5]
- प्रारम्भावस्था में वेद केवल एक ही था; एक ही वेद में अनेकों ऋचाएँ थीं, जो “वेद-सूत्र” कहलाते थे; वेद में यज्ञ-विधि का वर्णन है; सम (गाने योग्य) पदावलियाँ है तथा लोकोपकारी अनेक ही छन्द हैं। इन समस्त विषयों से सम्पन्न एक ही वेद सत्युग और त्रेतायुग तक रहा; द्वापरयुग में महर्षि कृष्णद्वैपायन ने वेद को चार भागों में विभक्त किया। इस कारण महर्षि कृष्णद्वैपायन “वेदव्यास” कहलाने लगे। संस्कृत में विभाग को “व्यास“ कहते हैं, अतः वेदों का व्यास करने के कारण कृष्णद्वैपायन “वेदव्यास” कहलाने लगे।
- महर्षि व्यास के पैल, वैशम्पायन, जैमिनी और सुमन्तु- यह चार शिष्य थे। महर्षि व्यास ने पैल को ऋग्वेद, वैशम्पायन को यजुर्वेद, जैमिनी को सामवेद और सुमन्तु को अथर्ववेद की शिक्षा दी।[6]
- महर्षि व्यास के शिष्य पैल के अतिरिक्त भी दो पैल नामक व्यक्तियों का उल्लेख भी मिलता है-
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवत पुराण 1.4.21; 9.22.22; वायु पुराण 60.13; 108.42; विष्णु पुराण 3,4.8
- ↑ भागवत पुराण 12.6.36, 52, 54; ब्रह्म पुराण 34.13; विष्णु पुराण 3.4.16
- ↑ भागवत पुराण 10.74.8
- ↑ ब्रह्म पुराण 2.33.2
- ↑ वायु पुराण 60.19, 24-38
- ↑ गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण (हिन्दी) hi.krishnakosh.org। अभिगमन तिथि: 04 नवम्बर, 2017।
- ↑ ब्रह्म पुराण 2.35.4
- ↑ मत्स्यपुराण195. 18;196.18
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=पैल&oldid=610995"