उद्दालक
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:40, 28 November 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
चित्र:Disamb2.jpg उद्दालक | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उद्दालक (बहुविकल्पी) |
उद्दालक पौराणिक उल्लेखानुसार एक ऋषि थे, जिनका आश्रम हिमालय के पूर्व तट पर स्थित था, जिसे 'कलापग्राम' कहते हैं। इनके पुत्र श्वेतकेतु बड़े प्रसिद्ध हुए थे।[1]
एक अन्य पौराणिक वर्णन के अनुसार, महर्षि आयोदधौम्य के तीन शिष्य थे-
- उपमन्यु,
- आरुणि पांचाल
- वेद
एक बार उन्होंने आरुणि को टूटी हुई क्यारी का पानी रोकने की आज्ञा दी। अनेक यत्न करके असफल रहने पर वह उसकी मेड़ के स्थान पर लेट गया ताकि पानी रूक जाये। थोड़ी देर बाद उपाध्याय ने उसे न पाकर आवाज़ दी। वह तुरंत उठकर गुरु के पास पहुँचा। उसके उठने से क्यारी की मेड़ विदीर्ण हो गयी थी; अत: गुरु ने उसका नाम उद्दालक रख दिया। आज्ञा के पालन से प्रसन्न होकर गुरु ने उसके कल्याण का आशीर्वाद दिया तथा उसकी बुद्धि को धर्मशास्त्र से प्रकाशित होने का वर दिया। [2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज