चरक: Difference between revisions
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Revision as of 11:00, 2 August 2011
(300-200 ई. पूर्व लगभग)
- आयुर्वेद के आचार्य महर्षि चरक की गणना भारतीय औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तकों में होती है।
- चरक की शिक्षा तक्षशिला में हुई ।
- प्राचीन साहित्य में इन्हें शेषनाग का अवतार बताया गया है।
- इनका रचा हुआ ग्रंथ 'चरक संहिता' आज भी वैद्यक का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है।
- इन्हें ईसा की प्रथम शताब्दी का बताते हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि चरक कनिष्क के राजवैद्य थे परंतु कुछ लोग इन्हें बौद्ध काल से भी पहले का मानते हैं। एक मत के अनुसार चरक व्यक्ति न होकर कृष्ण यजुर्वेद की शाखा का नाम है और 'चरक संहिता' का संकलन उसी शाखा के किसी व्यक्ति ने किया हो। जो भी हो चरक के ग्रंथ की ख्याति विश्व-व्यापी रही है।
- आठवीं शताब्दी में इस ग्रंथ का अरबी भाषा में अनुवाद हुआ और यह शास्त्र पश्चिमी देशों तक पहुंचा।
- चरक संहिता में व्याधियों के उपचार तो बताए ही गए हैं, प्रसंगवश स्थान-स्थान पर दर्शन और अर्थशास्त्र के विषयों की भी उल्लेख है।
- उन्होंने आयुर्वेद के प्रमुख ग्रन्थों और उसके ज्ञान को इकट्ठा करके उसका संकलन किया । चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और उसे पढ़ाई लिखाई के योग्य बनाया ।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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संबंधित लेख
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