हिन्दू धर्म में श्राद्ध
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, विनम्रता, आदर व श्रद्धा भाव का बहुत अधिक महत्व है। यह पितृ ऋण से मुक्ति पाने का सरल उपाय भी है। इसे पितृपक्ष भी कहा गया है। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन (कुंवार) माह की अमावस्या तक के यह सोलह दिन श्राद्धकर्म के होते हैं।
नन्द पंण्डित
कृत 'श्राद्धकल्प' (लगभग 1600 ई.) ने विरोधियों (जिन्हें वे नास्तिक कहते हैं) को विस्तृत प्रत्युत्तर दिया है। विरोधियों का कथन है कि पिता आदि के लिए, जो अपने विशिष्ट कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक को जाते हैं या अन्य प्रकार का जीवन धारण करते हैं, श्राद्ध सम्पादन कोई अर्थ नहीं रखता। नन्द पंण्डित ने पूछा है – 'श्राद्ध क्यों अनुपयोगी है?' क्या इसीलिए कि इसके सम्पादन की अपरिहार्यता के लिए कोई व्यवस्थित विधान नहीं है? या इसीलिए कि श्राद्ध से फलों की प्राप्ति नहीं होती? या इसीलिए कि यह सिद्ध नहीं हुआ है कि पितृगण श्राद्ध से संतुष्टि पाते हैं? प्रथम प्रश्न का उत्तर यह है कि 'विज्ञ लोगों को पूरी शक्ति भर श्राद्ध अवश्य करना चाहिए'– ऐसे वचन हैं जो श्राद्ध की अनिवार्यता घोषित करते हैं। इसी प्रकार से दूसरा विरोध भी अनुचित है, क्योंकि याज्ञवल्क्यस्मृति[1] ने श्राद्ध के फल भी घोषित किये हैं, यथा दीर्घ जीवन आदि। इसी प्रकार तीसरा विकल्प भी स्वीकार करने योग्य नहीं है।
[[चित्र:Shraddh-2.jpg|thumb|250px|ब्राह्मण]]
श्राद्ध के देवता
श्राद्ध कृत्यों में ऐसा नहीं है कि केवल 'देवदत्त' आदि नाम वाले पूर्वज ही प्राप्तिकर्ता हैं और वे पितृ, पितामह एवं प्रपितामह शब्दों से लक्षित होते हैं। प्रत्युत वे नाम वसुओं, रुद्रों तथा आदित्यों जैसे अधीक्षक देवताओं के साथ ही द्योतित होते हैं। जिस प्रकार देवदत्त आदि शब्दों से जो लक्षित होता है, वह न केवल शरीरों (जैसे की नाम दिये गये हैं) एवं आत्माओं का द्योतन करता है, प्रत्युत वह शरीरों से विशिष्टिकृत व्यक्तिगत आत्माओं का परिचायक है। इसी प्रकार पितृ आदि शब्द अधीक्षक देवताओं (वसु, रुद्र एवं आदित्य) के साथ 'देवदत्त' एवं अन्यों के सम्मिलित रूप का द्योतन करते हैं। अत: वसु आदि अधीक्षक देवतागण पुत्रों आदि द्वारा दिये गये भोजन-पान से संतुष्ट होकर उन्हें, अर्थात् देवदत्त आदि को संतुष्ट करते हैं और श्राद्धकर्ता को संतति, पुत्र, जीवन, सम्पत्ति आदि से फल देते हैं। जिस प्रकार गर्भवती माता 'देहाद' (गर्भवती दशा में स्त्रियों की विशिष्ट इच्छा) रूप में अन्य लोगों से मधुर अन्न-पान आदि द्वारा स्वयं सन्तुष्टि प्राप्त करती है और गर्भस्थित बच्चे को भी संतुष्टि देती है तथा दोहद, अन्न आदि देने वाले को प्रत्युपकारक फल देती है, वैसे ही पितृ शब्द से द्योतित पिता, पितामह एवं प्रपितामह वसुओं, रुद्रों तथा आदित्यों के रूप हैं, वे केवल मानव रूप में कहे जाने वाले देवदत्त आदि के समान नहीं हैं।
इसी से ये अधिष्ठाता देवतागण श्राद्ध में किये गये दानादि के प्राप्तिकर्ता होते हैं, श्राद्ध से तर्पित (संतुष्ट) होते हैं और मनुष्य के पितरों को संतुष्ट करते हैं।[2] श्राद्धकल्पलता ने मार्कण्डेय पुराण से 18 श्लोक उद्धृत किये हैं, जिनमें बहुत से अध्याय 28 में पाये जाते हैं। जिस प्रकार बछड़ा अपनी माता को इतस्तत: फैली हुई अन्य गायों में से चुन लेता है, उसी प्रकार श्राद्ध में कहे गये मंत्र प्रदत्त भोजन को पितरों तक ले जाते हैं।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ याज्ञवल्क्यस्मृति (1|269
- ↑ श्राद्धकल्पलता, पृष्ठ 3-4)।
- ↑ यथा गोषु प्रनष्टासु वत्सो विन्दति मातरम्। तथा श्राद्धेषु दृष्टान्तो (दत्रान्नं) मंत्र: प्रापयते तु तम्।। मत्स्यपुराण (141|76); वायु पुराण (56|85 एवं 83|119-120); ब्रह्मण्ड, अनुर्षगपाद (218-90|91), उपोद्वातपाद (20|12-13); जैसा कि स्मृतिच. (श्रा. पृष्ठ 448) ने उदधृत किया है। और श्राद्धकल्पलता (पृष्ठ 5)।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
हिन्दू कर्मकाण्ड तथा धार्मिक पद |
---|
| |
|
श्रुतियाँ
उपवेद और वेदांग |
---|
| उपवेद |
|
कामन्दक सूत्र · कौटिल्य अर्थशास्त्र · चाणक्य सूत्र · नीतिवाक्यमृतसूत्र · बृहस्पतेय अर्थाधिकारकम् · शुक्रनीति | | |
मुक्ति कल्पतरू · वृद्ध शारंगधर · वैशम्पायन नीति-प्रकाशिका · समरांगण सूत्रधार · अध्वर्यु | | | | | |
अग्निग्रहसूत्रराज · अश्विनीकुमार संहिता · अष्टांगहृदय · इन्द्रसूत्र · चरक संहिता · जाबालिसूत्र · दाल्भ्य सूत्र · देवल सूत्र · धन्वन्तरि सूत्र · धातुवेद · ब्रह्मन संहिता · भेल संहिता · मानसूत्र · शब्द कौतूहल · सुश्रुत संहिता · सूप सूत्र · सौवारि सूत्र |
| | वेदांग |
कल्प | | | शिक्षा |
गौतमी शिक्षा (सामवेद) · नारदीय शिक्षा· पाणिनीय शिक्षा (ऋग्वेद) · बाह्य शिक्षा (कृष्ण यजुर्वेद) · माण्ड्की शिक्षा (अथर्ववेद) · याज्ञवल्क्य शिक्षा (शुक्ल यजुर्वेद) · लोमशीय शिक्षा | | व्याकरण |
कल्प व्याकरण · कामधेनु व्याकरण · पाणिनि व्याकरण · प्रकृति प्रकाश · प्रकृति व्याकरण · मुग्धबोध व्याकरण · शाक्टायन व्याकरण · सारस्वत व्याकरण · हेमचन्द्र व्याकरण | | निरुक्त्त |
मुक्ति कल्पतरू · वृद्ध शारंगधर · वैशम्पायन नीति-प्रकाशिका · समरांगण सूत्रधार | | छन्द |
गार्ग्यप्रोक्त उपनिदान सूत्र · छन्द मंजरी · छन्दसूत्र · छन्दोविचित छन्द सूत्र · छन्दोऽनुक्रमणी · छलापुध वृत्ति · जयदेव छन्द · जानाश्रमां छन्दोविचित · वृत्तरत्नाकर · वेंकटमाधव छन्दोऽनुक्रमणी · श्रुतवेक | | ज्योतिष |
आर्यभटीय ज्योतिष · नारदीय ज्योतिष · पराशर ज्योतिष · ब्रह्मगुप्त ज्योतिष · भास्कराचार्य ज्योतिष · वराहमिहिर ज्योतिष · वासिष्ठ ज्योतिष · वेदांग ज्योतिष |
|
|
उपनिषद | | ॠग्वेदीय उपनिषद | | | यजुर्वेदीय उपनिषद |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय उपनिषद | | | अथर्ववेदीय उपनिषद | | | | | ॠग्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | अथर्ववेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | |
सूत्र-ग्रन्थ | | ॠग्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय सूत्र-ग्रन्थ |
मसकसूत्र · लाट्यायन सूत्र · खदिर श्रौतसूत्र · जैमिनीय गृह्यसूत्र · गोभिल गृह्यसूत्र · खदिर गृह्यसूत्र · गौतम धर्मसूत्र · द्राह्यायण गृह्यसूत्र · द्राह्यायण धर्मसूत्र | | अथर्ववेदीय सूत्र-ग्रन्थ | |
|
शाखा | | शाखा |
शाकल ॠग्वेदीय शाखा · काण्व शुक्ल यजुर्वेदीय · माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेदीय · तैत्तिरीय कृष्ण यजुर्वेदीय · मैत्रायणी कृष्ण यजुर्वेदीय · कठ कृष्ण यजुर्वेदीय · कपिष्ठल कृष्ण यजुर्वेदीय · श्वेताश्वतर कृष्ण यजुर्वेदीय · कौथुमी सामवेदीय शाखा · जैमिनीय सामवेदीय शाखा · राणायनीय सामवेदीय शाखा · पैप्पलाद अथर्ववेदीय शाखा · शौनकीय अथर्ववेदीय शाखा | | मन्त्र-संहिता |
ॠग्वेद मन्त्र-संहिता · शुक्ल यजुर्वेद मन्त्र- संहिता · सामवेद मन्त्र-संहिता · अथर्ववेद मन्त्र-संहिता | | आरण्यक | | |
प्रातिसाख्य एवं अनुक्रमणिका | | ॠग्वेदीय प्रातिसाख्य |
शांखायन प्रातिशाख्य · बृहद प्रातिशाख्य · आर्षानुक्रमणिका · आश्वलायन प्रातिशाख्य · छन्दोनुक्रमणिका · ऋग्प्रातिशाख्य · देवतानुक्रमणिका · सर्वानुक्रमणिका · अनुवाकानुक्रमणिका · बृहद्वातानुक्रमणिका · ऋग् विज्ञान | | यजुर्वेदीय प्रातिसाख्य |
शुक्ल यजुर्वेदीय |
कात्यायन शुल्वसूत्र · कात्यायनुक्रमणिका · वाजसनेयि प्रातिशाख्य | | कृष्ण यजुर्वेदीय |
तैत्तिरीय प्रातिशाख्य |
| | सामवेदीय प्रातिसाख्य |
शौनकीया चतुर्ध्यापिका |
|
|
स्मृति साहित्य |
---|
| स्मृतिग्रन्थ | | | पुराण | | | महाकाव्य | | | दर्शन | | | निबन्ध |
जीमूतवाहन कृत : दयाभाग · कालविवेक · व्यवहार मातृका · अनिरुद्ध कृत : पितृदायिता · हारलता · बल्लालसेन कृत :आचारसागर · प्रतिष्ठासागर · अद्भुतसागर · श्रीधर उपाध्याय कृत : कालमाधव · दत्तकमीमांसा · पराशरमाधव · गोत्र-प्रवर निर्णय · मुहूर्तमाधव · स्मृतिसंग्रह · व्रात्यस्तोम-पद्धति · नन्दपण्डित कृत : श्राद्ध-कल्पलता · शुद्धि-चन्द्रिका · तत्त्वमुक्तावली · दत्तक मीमांसा · · नारायणभटट कृत : त्रिस्थली-सेतु · अन्त्येष्टि-पद्धति · प्रयोग रत्नाकर · कमलाकर भट्ट कृत: निर्णयसिन्धु · शूद्रकमलाकर · दानकमलाकर · पूर्तकमलाकर · वेदरत्न · प्रायश्चित्तरत्न · विवाद ताण्डव · काशीनाथ उपाध्याय कृत : धर्मसिन्धु · निर्णयामृत · पुरुषार्थ-चिन्तामणि · शूलपाणि कृत : स्मृति-विवेक (अपूर्ण) · रघुनन्दन कृत : स्मृति-तत्त्व · चण्डेश्वर कृत : स्मृति-रत्नाकर · वाचस्पति मिश्र : विवाद-चिन्तामणि · देवण भटट कृत : स्मृति-चन्द्रिका · हेमाद्रि कृत : चतुर्वर्ग-चिन्तामणि · नीलकण्डभटट कृत : भगवन्त भास्कर · मित्रमिश्र कृत: वीर-मित्रोदय · लक्ष्मीधर कृत : कृत्य-कल्पतरु · जगन्नाथ तर्कपंचानन कृत : विवादार्णव | | आगम |
वैष्णवागम |
अहिर्बुध्न्य-संहिता · ईश्वर-संहिता · कपिलाजंलि-संहिता · जयाख्य-संहिता · पद्मतंत्र-संहिता · पाराशर-संहिता · बृहद्ब्रह्म-संहिता · भरद्वाज-संहिता · लक्ष्मी-संहिता · विष्णुतिलक-संहिता · विष्णु-संहिता · श्रीप्रश्न-संहिता · सात्त्वत-संहिता | | शैवागम |
तत्त्वत्रय · तत्त्वप्रकाशिका · तत्त्वसंग्रह · तात्पर्य संग्रह · नरेश्वर परीक्षा · नादकारिका · परमोक्ष-निराशकारिका · पाशुपत सूत्र · भोगकारिका · मोक्षकारिका · रत्नत्रय · श्रुतिसूक्तिमाला · सूत-संहिता | | शाक्तागम |
वामागम |
अद्वैतभावोपनिषद · अरुणोपनिषद · कालिकोपनिषद · कौलोपनिषद · तारोपनिषद · त्रिपुरोपनिषद · ब्रहिचोपनिषद · भावनोपनिषद | | मिश्रमार्ग |
कलानिधि · कुलार्णव · कुलेश्वरी · चन्द्रक · ज्योत्स्रावती · दुर्वासस · बार्हस्पत्य · भुवनेश्वरी | | समयाचार |
वसिष्ठसंहिता · शुक्रसंहिता · सनकसंहिता · सनत्कुमारसंहिता · सनन्दनसंहिता | | तान्त्रिक साधना |
कालीविलास · कुलार्णव · कूल-चूड़ामणि · ज्ञानार्णव · तन्त्रराज · त्रिपुरा-रहस्य · दक्षिणामूर्ति-संहिता · नामकेश्वर · प्रपंचसार · मन्त्र-महार्णव · महानिर्वाण · रुद्रयामल · शक्तिसंगम-तन्त्र · शारदा-तिलक |
|
|
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज