Difference between revisions of "नागालैंड"

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नागालैंड [[1 दिसंबर]], [[1963]] को भारतीय संघ का 16 वां राज्‍य बना। इस राज्‍य के पूर्व में [[म्यांमार]], उत्‍तर में [[अरुणाचल प्रदेश]], पश्चिम में [[असम]] और दक्षिण में [[मणिपुर]] से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी [[कोहिमा]] है और इसे 'पूरब का स्विजरलैंड' भी कहा जाता है।
 
नागालैंड [[1 दिसंबर]], [[1963]] को भारतीय संघ का 16 वां राज्‍य बना। इस राज्‍य के पूर्व में [[म्यांमार]], उत्‍तर में [[अरुणाचल प्रदेश]], पश्चिम में [[असम]] और दक्षिण में [[मणिपुर]] से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी [[कोहिमा]] है और इसे 'पूरब का स्विजरलैंड' भी कहा जाता है।
[[चित्र:View-Of-Nagaland.jpg|thumb|left|250px|नागालैंड का एक दृश्य<br /> A View of Nagaland]]
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नागालैंड राज्‍य का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग कि.मी. है। 2001 का जनगणना के अनुसार इस राज्य की आबादी 19,88,636 है। असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्‍य का क्षेत्र अधिकांशत: पहाड़ी है। इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी का नाम सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है। यह पर्वत श्रृंखला नागालैंड और म्‍यांमार के मध्य एक प्राकृतिक सीमा रेखा का निर्माण देती है।
 
नागालैंड राज्‍य का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग कि.मी. है। 2001 का जनगणना के अनुसार इस राज्य की आबादी 19,88,636 है। असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्‍य का क्षेत्र अधिकांशत: पहाड़ी है। इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी का नाम सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है। यह पर्वत श्रृंखला नागालैंड और म्‍यांमार के मध्य एक प्राकृतिक सीमा रेखा का निर्माण देती है।
  
 
बारहवीं - तेरहवीं शताब्‍दी में यहाँ के निवासियों का असम के 'अहोम' लोगों से धीरे-धीरे संपर्क हुआ, लेकिन इससे इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में अंग्रेज़ों के आगमन पर यह राज्य ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गया। स्‍वंतत्रता के पश्चात 1957 में यह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश बन गया और असम के राज्‍यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा। यह 'नगा हिल्‍स तुएनसांग' क्षेत्र कहलाया। यह प्रशासन  नागरिकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और यहाँ असंतोष पनपने लगा। अत: 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नगालैंड’ रखा गया और इसे 'भारतीय संघ' के राज्‍य का दर्जा दिया गया, जिस‍का विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ।
 
बारहवीं - तेरहवीं शताब्‍दी में यहाँ के निवासियों का असम के 'अहोम' लोगों से धीरे-धीरे संपर्क हुआ, लेकिन इससे इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में अंग्रेज़ों के आगमन पर यह राज्य ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गया। स्‍वंतत्रता के पश्चात 1957 में यह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश बन गया और असम के राज्‍यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा। यह 'नगा हिल्‍स तुएनसांग' क्षेत्र कहलाया। यह प्रशासन  नागरिकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और यहाँ असंतोष पनपने लगा। अत: 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नगालैंड’ रखा गया और इसे 'भारतीय संघ' के राज्‍य का दर्जा दिया गया, जिस‍का विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ।
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==भूगोल==
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नागालैंड का लगभग समूचा हिस्सा पर्वतीय है। उत्तर में नागा पहाड़ियाँ ब्रह्मपुत्र घाटी से अचानक लगभग 610 मीटर की ऊंचाई तक उठती हैं और उसके बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में इनकी ऊंचाई 1,800 मीटर तक हो जाती है, म्यांमार सीमा के पास ये पहाड़ियां पटकई श्रृंखला से मिल जाती हैं और यहाँ इनकी सबसे ऊंची चोटी माउंट सारामती है, जिसकी ऊंचाई 3,826 मीटर है। यह क्षेत्र कई नदियों द्वारा गहरे रूप में विभक्त है- उत्तर में दोयांग और दिखु, दक्षिण-पश्चिम में बरक और दक्षिण-पूर्व में चिंदविन नदी (म्यांमार में) की सहायक धाराएं।
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[[चित्र:View-Of-Nagaland.jpg|thumb|left|250px|नागालैंड का एक दृश्य]]
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====जलवायु====
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नागालैंड की जलवायु मानसूनी है। औसत वार्षिक [[वर्षा]] 1,800 से 2,500 मिमी तक होती है और यह दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून<ref>([[मई]] से [[सितंबर]])</ref> के महीनों में संकेंद्रित होती है। ऊँचाई के साथ-साथ औसत [[तापमान]] घटता जाता है; गर्मी के दिनों में तापमान 21° से. से 40° से. तक होता है, जबकि शीत ऋतु में यह कभी-कभार ही 4° से, से नीचे जाता है, लेकिन अधिक ऊँचाई वाले स्थानों में आमतौर पर पाला पड़ता है। सामान्य रुप से आर्द्रता काफ़ी होती है।
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====वन्य एवं प्राणी जीवन====
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नागालैंड का दर्ज वन क्षेत्र 8,629 वर्ग किमी है, जबकि वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 14,221 वर्ग किमी है, जो समूचे भौगोलिक क्षेत्र का 85.8 प्रतिशत है। 1,219 मीटर से कम ऊँचाई पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं, जिनमें ताड़ जाति के वृक्ष, बेंत और [[बांस]] तथा महोगनी जैसी कीमती इमारती लकड़ियों के वृक्ष पाए जाते हैं, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शंकुधारी वन मिलते हैं। जिन क्षेत्रों में झूम<ref>(काटकर-जलाकर खेती के लिए जंगल साफ करने की पद्धति)</ref> के लिए कटाई की गई है, वहाँ ऊंची घास, नरकुल और झाड़ीदार वन दुबारा उग आए हैं। वन्यजीव अभयारण्य 222 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।
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निचली पहाड़ियों में गैंडे, [[हाथी]], [[बाघ]], [[तेंदुआ]], [[भालू]], कई तरह के [[बंदर]], सांबर, भैसे और जंगली सांड पाए जाते हैं। इस राज्य में साही, पेंगोलिन (शल्कधारी चींटीखोर), जंगली कुत्ते, [[लोमड़ी]] मुश्क बिलाव नेवले भी पाए जाते है। विशाल भारतीय धनेश पक्षी की दुम के लंबे परों को पारंपरिक वेशभूषा में. इस्तेमाल के लिए संभालकर रखा जाता है।
  
==जनजातियाँ==
 
'नगा' लोग भारतीय-मंगोल वर्ग के लोगों में से है, जो [[भारत]] की उत्तर-पूर्वी पहाडियों के क्षेत्र और पश्चिमी म्‍यांमार के ऊपरी भाग में निवास करते हैं। नगालैंड की प्रमुख जनजातियां है- अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्‍याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्‍मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग आदि।
 
==भाषा==
 
नगा भाषा एक जनजाति से दूसरी जनजाति और कभी-कभी तो एक गांव से दूसरे गांव में भी अलग हो जाती है। तथापि इन्‍हें तिब्‍बत, बर्मा भाषा परिवार में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ के नागरिक हिन्दी भाषा समझ लेते हैं, थोडी बहुत बोल भी लेते हैं।
 
[[चित्र:Kohima-Nagaland.jpg|thumb|left|250px|[[कोहिमा]], नागालैंड<br /> Kohima Nagaland]]
 
 
==अर्थव्यवस्था==
 
==अर्थव्यवस्था==
 
====कृषि====
 
====कृषि====
नागालैंड मूलत: कृषि प्रधान राज्य है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। राज्‍य में कृषि क्षेत्र का महत्‍वपूर्ण योगदान है। चावल यहाँ का मुख्‍य भोजन है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के 70 प्रतिशत में धान की खेती होती है और राज्‍य के कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन का 75 प्रतिशत चावल है।
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नागालैंड मूलत: कृषि प्रधान राज्य है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। राज्‍य में कृषि क्षेत्र का महत्‍वपूर्ण योगदान है। चावल यहाँ का मुख्‍य भोजन है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के 70 प्रतिशत में धान की खेती होती है और राज्‍य के कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन का 75 प्रतिशत चावल है। यहाँ मुख्‍यत: ‘स्‍लेश और 'बर्न' खेती प्रचलित है, जिसे स्‍थानीय तौर पर 'झूम' के नाम से जाना जाता है। क़्ररीब 1,01,400 हेक्‍टेयर क्षेत्र में झूम खेती और शेष में सीढ़ीदार खेती होती है। इस वर्ष राज्य का खाद्य उत्‍पादन 3,86,300 मीट्रिक टन था। 16,57,587 हेक्‍टेयर के कुल भूमि क्षेत्र में से क़्ररीब 8,35,436 हेक्‍टेयर क्षेत्र में वन है। कोहिमा ज़िले में 'इंतंकी' और 'पुलीबादजे', तुएनसांग में फाकिम और दीमापुर में रंगापहाड नामक वन्‍यजीव अभयारण्‍य तथा राष्‍ट्रीय उद्यान हैं।
यहाँ मुख्‍यत: ‘स्‍लेश और 'बर्न' खेती प्रचलित है, जिसे स्‍थानीय तौर पर 'झूम' के नाम से जाना जाता है। क़्ररीब 1,01,400 हेक्‍टेयर क्षेत्र में झूम खेती और शेष में सीढ़ीदार खेती होती है। इस वर्ष राज्य का खाद्य उत्‍पादन 3,86,300 मीट्रिक टन था।
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16,57,587 हेक्‍टेयर के कुल भूमि क्षेत्र में से क़्ररीब 8,35,436 हेक्‍टेयर क्षेत्र में वन है।  
 
*कोहिमा ज़िले में 'इंतंकी' और 'पुलीबादजे',  
 
*तुएनसांग में फाकिम और  
 
*दीमापुर में रंगापहाड नामक वन्‍यजीव अभयारण्‍य तथा राष्‍ट्रीय उद्यान हैं।
 
 
नागालैंड राज्य की लगभग 90 प्रतिशत जनता [[कृषि]] में लगी है। यहाँ की मुख्य फ़सलें [[चावल]] (खरीफ चावल :701,00 हेक्टेयर: रबी चाबल: 58,900 हेक्टेयर), मक्का (24,900 हेक्टेयर), ज्वार-बाजरा (14,00 हेक्टेयर), दलहन (मटर और फलियाँ जैसी दालें) तिलहन (11,580 हेक्टेयर) रेशेदार फ़सलें, [[गन्ना]], [[आलू]] और तंबाकू हैं। लेकिन नागालैंड को अब भी पड़ोसी राज्यों से खाद्य-पदार्थों के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। यहाँ 8,16,212 एकड़ (3,30,450 हेक्टेयर) भूमि पर कृषि होता है, जबकि 54,400 हेक्टेयर भूमि सिंचित है। उर्वरा शक्ति में कमी आई है। दक्षिणी ज़िले [[कोहिमा]] के अंगामी और चाखेसांग लोग ही सीढ़ीदार खेत और सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। पारंपरिक उपकरणों में हल्के कुदाल, दाब (बहुपयोगी भारी चाकू) और [[हंसिया]] शामिल हैं। मैदानी हिस्सों को छोड़कर अन्य जगहों पर हल का इस्तेमाल नहीं होता है। वानिकी आय और रोज़गार का प्राथमिक साधन है।
 
नागालैंड राज्य की लगभग 90 प्रतिशत जनता [[कृषि]] में लगी है। यहाँ की मुख्य फ़सलें [[चावल]] (खरीफ चावल :701,00 हेक्टेयर: रबी चाबल: 58,900 हेक्टेयर), मक्का (24,900 हेक्टेयर), ज्वार-बाजरा (14,00 हेक्टेयर), दलहन (मटर और फलियाँ जैसी दालें) तिलहन (11,580 हेक्टेयर) रेशेदार फ़सलें, [[गन्ना]], [[आलू]] और तंबाकू हैं। लेकिन नागालैंड को अब भी पड़ोसी राज्यों से खाद्य-पदार्थों के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। यहाँ 8,16,212 एकड़ (3,30,450 हेक्टेयर) भूमि पर कृषि होता है, जबकि 54,400 हेक्टेयर भूमि सिंचित है। उर्वरा शक्ति में कमी आई है। दक्षिणी ज़िले [[कोहिमा]] के अंगामी और चाखेसांग लोग ही सीढ़ीदार खेत और सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। पारंपरिक उपकरणों में हल्के कुदाल, दाब (बहुपयोगी भारी चाकू) और [[हंसिया]] शामिल हैं। मैदानी हिस्सों को छोड़कर अन्य जगहों पर हल का इस्तेमाल नहीं होता है। वानिकी आय और रोज़गार का प्राथमिक साधन है।
 
====खनिज====
 
====खनिज====
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====उद्योग====
 
====उद्योग====
 
राज्‍य में औद्योगिकरण की प्रक्रिया शैशवावस्‍था में है। दीमापुर में एक लाख ईंटें प्रतिदिन उत्‍पादित करने की क्षमता वाली 'नागालैंड मैकेनाइज्‍ड ब्रिक्‍स कंपनी लि.' प्रारम्भ कर दी गई है। हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प महत्‍वपूर्ण कुटीर उद्योग है, जो अधिकतर सहकारी समितियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। दीमापुर स्थित नागालैंड हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प विकास निगम लि. सरकार के स्‍वामित्‍व वाला निगम है, जो राज्‍य में हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प के उत्‍पादों को बढावा देने और उनके विपणन का काम करता है। दीमापुर के नि‍कट गणेश में एक औद्योगिक विकास केंद्र बनकर तैयार हो गया है।
 
राज्‍य में औद्योगिकरण की प्रक्रिया शैशवावस्‍था में है। दीमापुर में एक लाख ईंटें प्रतिदिन उत्‍पादित करने की क्षमता वाली 'नागालैंड मैकेनाइज्‍ड ब्रिक्‍स कंपनी लि.' प्रारम्भ कर दी गई है। हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प महत्‍वपूर्ण कुटीर उद्योग है, जो अधिकतर सहकारी समितियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। दीमापुर स्थित नागालैंड हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प विकास निगम लि. सरकार के स्‍वामित्‍व वाला निगम है, जो राज्‍य में हथकरघा और हस्‍तशिल्‍प के उत्‍पादों को बढावा देने और उनके विपणन का काम करता है। दीमापुर के नि‍कट गणेश में एक औद्योगिक विकास केंद्र बनकर तैयार हो गया है।
{{राज्य मानचित्र|float=right}}
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नागालैंड औद्योगिक विकास निगम उद्यमियों का मार्गदर्शन करता है और वित्तीय मदद करने वाली सबसे बड़ी संस्‍था है। दीमापुर के फल और सब्‍जी प्रसंस्‍करण और कोल्‍ड स्‍टोरेज संयंत्र की स्‍थापित क्षमता क्रमश: 5 मीट्रिक टन फल और सब्‍जी के प्रसंस्‍करण और 3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन के कोल्‍ड स्‍टोरेज की है। 1970 के दशक के आरंभिक वर्षों तक नागालैंड में सिर्फ बुनाई, लकड़ी का काम, टोकरी निर्माण और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कुटीर उद्योग ही मौजूद थे। कच्चे माल, वित्तीय संसाधन और बिजली की कमी तथा बदहाल यातायात व संचार व्यवस्था ने औद्योगिक विकास में बाधा पहुँचाई है।  
 
नागालैंड औद्योगिक विकास निगम उद्यमियों का मार्गदर्शन करता है और वित्तीय मदद करने वाली सबसे बड़ी संस्‍था है। दीमापुर के फल और सब्‍जी प्रसंस्‍करण और कोल्‍ड स्‍टोरेज संयंत्र की स्‍थापित क्षमता क्रमश: 5 मीट्रिक टन फल और सब्‍जी के प्रसंस्‍करण और 3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन के कोल्‍ड स्‍टोरेज की है। 1970 के दशक के आरंभिक वर्षों तक नागालैंड में सिर्फ बुनाई, लकड़ी का काम, टोकरी निर्माण और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कुटीर उद्योग ही मौजूद थे। कच्चे माल, वित्तीय संसाधन और बिजली की कमी तथा बदहाल यातायात व संचार व्यवस्था ने औद्योगिक विकास में बाधा पहुँचाई है।  
 
;औद्योगिक केंद्र
 
;औद्योगिक केंद्र
 
राज्य के प्रमुख औद्योगिक केंद्र दीमापुर में अब एक चीनी मिल, शराब कारख़ाना, ईट कारख़ाना तथा टेलीविजन फैक्ट्री है। राज्य के अन्य उद्योगों में एक खांडसारी मिल, चावल मिल, डिब्बाबंद फल संयंत्र, कागज व लुगदी कारखाना एक प्लाईवुड कारखाना तथा कैबिनेट व फर्नीचर बनाने के कारखाने शामिल हैं। वर्तमान में यहाँ सिर्फ तीन औद्योगिक क्षेत्र हैं। राज्य में 23 रेशम उत्पादन फार्म भी स्थित है।
 
राज्य के प्रमुख औद्योगिक केंद्र दीमापुर में अब एक चीनी मिल, शराब कारख़ाना, ईट कारख़ाना तथा टेलीविजन फैक्ट्री है। राज्य के अन्य उद्योगों में एक खांडसारी मिल, चावल मिल, डिब्बाबंद फल संयंत्र, कागज व लुगदी कारखाना एक प्लाईवुड कारखाना तथा कैबिनेट व फर्नीचर बनाने के कारखाने शामिल हैं। वर्तमान में यहाँ सिर्फ तीन औद्योगिक क्षेत्र हैं। राज्य में 23 रेशम उत्पादन फार्म भी स्थित है।
==बिजली==
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[[चित्र:Kohima-Nagaland.jpg|thumb|left|250px|[[कोहिमा]], नागालैंड]]
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====बिजली====
 
1981 में नागालैंड के सभी गांवों में बिजली दी गई थी। नागालैंड में अब तक शत प्रतिशत गांवों को बिजली दी गई है, जिसमें दूरस्‍थ गांव भी हैं। विद्युत उत्पादन मुख्यत: डीजल संयंत्रों पर निर्भर करता है, हालांकि जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। नागालैंड की बिजली का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा असम में उत्पादन होता है।
 
1981 में नागालैंड के सभी गांवों में बिजली दी गई थी। नागालैंड में अब तक शत प्रतिशत गांवों को बिजली दी गई है, जिसमें दूरस्‍थ गांव भी हैं। विद्युत उत्पादन मुख्यत: डीजल संयंत्रों पर निर्भर करता है, हालांकि जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। नागालैंड की बिजली का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा असम में उत्पादन होता है।
  
==सिंचाई==
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====सिंचाई====
 
राज्‍य में कोई भी सिंचाई परियोजना नहीं है। छोटी सिंचाई परियोजनाओं से मुख्‍यत: पहाड़ी झरनों की धारा मोडी जाती है, जो घाटी में धान की खेती में सिंचाई के काम आती है। कुल सिंचित क्षेत्र 93,231.43 हेक्‍टेयर है।
 
राज्‍य में कोई भी सिंचाई परियोजना नहीं है। छोटी सिंचाई परियोजनाओं से मुख्‍यत: पहाड़ी झरनों की धारा मोडी जाती है, जो घाटी में धान की खेती में सिंचाई के काम आती है। कुल सिंचित क्षेत्र 93,231.43 हेक्‍टेयर है।
==पेयजल समस्या==
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====पेयजल समस्या====
 
पेयजल की बहुत समस्या रहती है।  पीने का पानी की व्यवस्था सरकार करती है, किन्तु फिर भी कमी ही है। यहाँ के निवासी बरसात में छत से टपकने वाले पानी को एकत्र कर के रखते हैं।
 
पेयजल की बहुत समस्या रहती है।  पीने का पानी की व्यवस्था सरकार करती है, किन्तु फिर भी कमी ही है। यहाँ के निवासी बरसात में छत से टपकने वाले पानी को एकत्र कर के रखते हैं।
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==जनजातियाँ==
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'नगा' लोग भारतीय-मंगोल वर्ग के लोगों में से है, जो [[भारत]] की उत्तर-पूर्वी पहाडियों के क्षेत्र और पश्चिमी म्‍यांमार के ऊपरी भाग में निवास करते हैं। नगालैंड की प्रमुख जनजातियां है- अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्‍याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्‍मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग आदि।
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====भाषा====
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नगा भाषा एक जनजाति से दूसरी जनजाति और कभी-कभी तो एक गांव से दूसरे गांव में भी अलग हो जाती है। तथापि इन्‍हें तिब्‍बत, बर्मा भाषा परिवार में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ के नागरिक हिन्दी भाषा समझ लेते हैं, थोडी बहुत बोल भी लेते हैं।
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==परिवहन==
 
==परिवहन==
यातायात के लिए नागालैंड मुख्यत: सड़कों पर निर्भर है। दीमापुर से कोहिमा और फिर [[मणिपुर]] में [[इंफाल]] तक एक राष्ट्रीय राजमार्ग है। अन्य सड़क मार्ग मोकोकंचुग को असम के आमगुरी से जोड़ता है। असम से दीमापुर से होकर गुजरने वाली नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे शेष भारत के साथ इस राज्य का एक मात्र रेल संबंध है।
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यातायात के लिए नागालैंड मुख्यत: सड़कों पर निर्भर है।  
'''सड़कें'''- राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 9,860 किलोमीटर है, जिसमें राष्‍ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, ज़िला और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। कुल 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है। राज्य में 2,356 किमी पक्की सड़कें हैं<br />
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[[चित्र:Longwa-Nagaland.jpg|thumb|250px|लोगवा, नागालैंड]]
 
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====सड़क मार्ग====
'''रेलवे और उड्डयन'''- नागालैंड में दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएं उपलब्‍ध हैं। कोलकाता से दीमापुर को जोड़ने के लिए सप्‍ताह में तीन दिन इंडियन एयरलाइंस की उड़ान सेवाएं उपलब्‍ध हैं। दीमापुर से [[असम]] के [[गुवाहाटी]] और [[पश्चिम बंगाल]] के [[कोलकाता]] के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं।
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*[[नागालैंड]] राज्‍य में सड़कों की कुल लंबाई 9,860 किलोमीटर है, जिसमें राष्‍ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, ज़िला और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं।
[[चित्र:Longwa-Nagaland.jpg|thumb|250px|left|लोगवा, नागालैंड<br /> Longwa, Nagaland]]
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*कुल 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है। राज्य में 2,356 किलोमीटर पक्की सड़कें हैं।
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*दीमापुर से कोहिमा और फिर [[मणिपुर]] में [[इंफाल]] तक एक राष्ट्रीय राजमार्ग है।  
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*अन्य सड़क मार्ग मोकोकंचुग को [[असम]] के आमगुरी से जोड़ता है।  
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====रेल मार्ग====
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*[[असम]] से दीमापुर से होकर गुज़रने वाली नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे शेष [[भारत]] के साथ इस राज्य का एक मात्र रेल संबंध है।  
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*नागालैंड में दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएँ उपलब्‍ध हैं।  
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*[[कोलकाता]] से दीमापुर को जोड़ने के लिए सप्‍ताह में तीन दिन इंडियन एयरलाइंस की उड़ान सेवाएँ उपलब्‍ध हैं।
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====हवाई मार्ग====
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*दीमापुर से असम के [[गुवाहाटी]] और [[पश्चिम बंगाल]] के कोलकाता के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं।  
 
==शिक्षा==
 
==शिक्षा==
 
*नागालैंड की जनसंख्या का 67.11 प्रतिशत हिस्सा साक्षर है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।  
 
*नागालैंड की जनसंख्या का 67.11 प्रतिशत हिस्सा साक्षर है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।  
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==सांस्कृतिक जीवन==
 
==सांस्कृतिक जीवन==
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[[चित्र:Woman-Mon-Nagaland.jpg|thumb|250px|महिला, मों, नागालैंड]]
 
नागालैंड में जनजातीय संगठन में कोल्याक के निरंकुश अंग (सरदार) और सेमा व चांग के आनुवंशिक मुखिया से लेकर अंगामी, आओ, ल्होरा और रेंगमा की लोकतांत्रिक संरचनाओं जैसी भिन्नताएँ पाई जाती हैं। मोरुंग (सामुदायिक भवन या युवा अविवाहित पुरुषों का शयनागार) गाँव का प्रमुख संस्थान होता है, जहाँ पहले खोपड़िया और युद्ध के अन्य विजय चिह्न टांगे जाते थे। इनके स्तम्भों पर अब भी बाघ, धनेश, मानव तथा अन्य आकृतियों की नक़्क़ाशी की जाती है। नागा समाज में महिलाओं को अपेक्षाकृत ऊँचा और सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। वे खेतों में पुरुषों के ही समान शर्तों पर काम करती हैं तथा जनजातीय परिषदों में भी उनका अच्छा-ख़ासा प्रभाव है। नागा जीवन की एक केन्द्रीय विशेषता पुण्य का भोज है, जिसमें कई रस्मों के बाद मिथुन (गयाल, बॉस फ़्रॉन्टलिस) की बलि दी जाती है। प्रत्येक जनजाति के अपने त्योहार या गेन्ना होते हैं, और नागा नृत्य, संगीत गीत तथा लोकगीतों में जीवन के उल्लास की झलक मिलती है।
 
नागालैंड में जनजातीय संगठन में कोल्याक के निरंकुश अंग (सरदार) और सेमा व चांग के आनुवंशिक मुखिया से लेकर अंगामी, आओ, ल्होरा और रेंगमा की लोकतांत्रिक संरचनाओं जैसी भिन्नताएँ पाई जाती हैं। मोरुंग (सामुदायिक भवन या युवा अविवाहित पुरुषों का शयनागार) गाँव का प्रमुख संस्थान होता है, जहाँ पहले खोपड़िया और युद्ध के अन्य विजय चिह्न टांगे जाते थे। इनके स्तम्भों पर अब भी बाघ, धनेश, मानव तथा अन्य आकृतियों की नक़्क़ाशी की जाती है। नागा समाज में महिलाओं को अपेक्षाकृत ऊँचा और सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। वे खेतों में पुरुषों के ही समान शर्तों पर काम करती हैं तथा जनजातीय परिषदों में भी उनका अच्छा-ख़ासा प्रभाव है। नागा जीवन की एक केन्द्रीय विशेषता पुण्य का भोज है, जिसमें कई रस्मों के बाद मिथुन (गयाल, बॉस फ़्रॉन्टलिस) की बलि दी जाती है। प्रत्येक जनजाति के अपने त्योहार या गेन्ना होते हैं, और नागा नृत्य, संगीत गीत तथा लोकगीतों में जीवन के उल्लास की झलक मिलती है।
;त्‍योहार
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====त्‍योहार====
 
संगीत और नृत्‍य 'नगा' जनजीवन के मूलभूत अंग हैं। वीरता, सुंदरता, प्रेम और उदारता का गुणगान करने वाले लोकगीत और लोकगाथाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली जा रही हैं। इसी तरह नृत्‍य हर उत्‍सव का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। हर त्‍योहार पर दावत, नाच-गाना और उल्‍लास होता है। राज्‍य के कुछ महत्‍वपूर्ण त्‍योहार हैं - सेकरेन्‍यी, मोआत्‍सु, तोक्‍कू एमोंगा और तुलनी।
 
संगीत और नृत्‍य 'नगा' जनजीवन के मूलभूत अंग हैं। वीरता, सुंदरता, प्रेम और उदारता का गुणगान करने वाले लोकगीत और लोकगाथाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली जा रही हैं। इसी तरह नृत्‍य हर उत्‍सव का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। हर त्‍योहार पर दावत, नाच-गाना और उल्‍लास होता है। राज्‍य के कुछ महत्‍वपूर्ण त्‍योहार हैं - सेकरेन्‍यी, मोआत्‍सु, तोक्‍कू एमोंगा और तुलनी।
  
 
==पर्यटन स्‍थल==
 
==पर्यटन स्‍थल==
 
प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (आर.ए.पी.) में ढील देने से राज्‍य में अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो गया है, यहाँ देशी विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष बडी संख्‍या में आते हैं। पर्यटन स्थलों में द्वितीय विश्व युद्ध का कब्रिस्तान, राज्य संग्रहालय, कोहिमा व दीमापुर के चिड़ियाघर तथा कछारी शासकों की पुरानी राजधानी शामिल है। यहाँ लगभग 16,000 पर्यटक प्रतिवर्ष आते है।
 
प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (आर.ए.पी.) में ढील देने से राज्‍य में अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो गया है, यहाँ देशी विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष बडी संख्‍या में आते हैं। पर्यटन स्थलों में द्वितीय विश्व युद्ध का कब्रिस्तान, राज्य संग्रहालय, कोहिमा व दीमापुर के चिड़ियाघर तथा कछारी शासकों की पुरानी राजधानी शामिल है। यहाँ लगभग 16,000 पर्यटक प्रतिवर्ष आते है।
[[चित्र:Woman-Mon-Nagaland.jpg|thumb|250px|महिला, मों, नागालैंड<br /> Woman, Mon, Nagaland]]
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पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष दिसंबर माह के प्रथम सप्‍ताह में ‘हॉर्नबिल’ उत्‍सव आयोजित किया जाता है, जिसमें नागालैंड की सभी जनजातियां एक स्थान पर आकर उत्‍सव मनाती हैं और अपनी पांरपरिक वस्‍तुओं, खाद्य पदार्थों और शिल्‍पगत चीज़ों का प्रदर्शन करती तथा बेचती हैं। तीन पारंपरिक उत्‍सवों-
 
पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष दिसंबर माह के प्रथम सप्‍ताह में ‘हॉर्नबिल’ उत्‍सव आयोजित किया जाता है, जिसमें नागालैंड की सभी जनजातियां एक स्थान पर आकर उत्‍सव मनाती हैं और अपनी पांरपरिक वस्‍तुओं, खाद्य पदार्थों और शिल्‍पगत चीज़ों का प्रदर्शन करती तथा बेचती हैं। तीन पारंपरिक उत्‍सवों-
 
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[[चित्र:Khonoma-Nagaland.jpg|thumb|250px|खोनोमा, नागालैंड]]
 
#कोहिमा ज़िले के तोउफेमा में सेकरेन्‍यी (26-27 फ़रवरी);  
 
#कोहिमा ज़िले के तोउफेमा में सेकरेन्‍यी (26-27 फ़रवरी);  
 
#लोंगलेंग उपमंडल के पोगो में मोन्‍यू (1-3 अप्रैल) तथा  
 
#लोंगलेंग उपमंडल के पोगो में मोन्‍यू (1-3 अप्रैल) तथा  
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*किफिरे  
 
*किफिरे  
 
*[[कोहिमा]]
 
*[[कोहिमा]]
[[चित्र:Khonoma-Nagaland.jpg|thumb|250px|खोनोमा, नागालैंड<br /> Khonoma, Nagaland]]
 
 
*लोंग्लेंग  
 
*लोंग्लेंग  
 
*मोकोकचुंग  
 
*मोकोकचुंग  

Revision as of 11:26, 10 July 2011

nagalaiand
rajadhani kohima
sthapana 1 disanbar, 1963
janasankhya 19,88,636 [1]
· ghanatv 120[1] /varg kimi
kshetraphal 16,579 varg kimi [1]
bhaugolik nirdeshaank 69.4°N 99.08°E
tapaman 4 °C - 31 °C
· grishm 16 - 31 °C
· sharad 4 - 24 °C
zile 11[1]
sabase b da nagar dimapur
saksharata 67.11 [1]%
rajyapal nikhil kumar[1]
mukhyamantri nephyoo riyo[1]
bahari k diyaan adhikarik vebasait

nagalaiand 1 disanbar, 1963 ko bharatiy sangh ka 16 vaan rajh‍y bana. is rajh‍y ke poorv mean myaanmar, uth‍tar mean arunachal pradesh, pashchim mean asam aur dakshin mean manipur se ghira hua hai. isaki rajadhani kohima hai aur ise 'poorab ka svijaralaiand' bhi kaha jata hai.

nagalaiand rajh‍y ka kshetraphal 16,579 varg ki.mi. hai. 2001 ka janaganana ke anusar is rajy ki abadi 19,88,636 hai. asam ghati ki sima se lage kshetr ke alava is rajh‍y ka kshetr adhikaanshat: paha di hai. isaki sabase ooanchi paha di ka nam saramati hai jisaki ooanchaee 3,840 mitar hai. yah parvat shrriankhala nagalaiand aur mh‍yaanmar ke madhy ek prakritik sima rekha ka nirman deti hai.

barahavian - terahavian shatabh‍di mean yahaan ke nivasiyoan ka asam ke 'ahom' logoan se dhire-dhire sanpark hua, lekin isase in logoan ke rahan-sahan par koee vishesh prabhav nahian p da. unh‍nisavian shatabh‍di mean aangrezoan ke agaman par yah rajy british prashasan ke adhin a gaya. sh‍vantatrata ke pashchat 1957 mean yah kshetr keandrashasit pradesh ban gaya aur asam ke rajh‍yapal dvara isaka prashasan dekha jane laga. yah 'naga hilh‍s tuenasaang' kshetr kahalaya. yah prashasan nagarikoan ki ummidoan par khara nahian utara aur yahaan asantosh panapane laga. at: 1961 mean isaka nam badalakar ‘nagalaiand’ rakha gaya aur ise 'bharatiy sangh' ke rajh‍y ka darja diya gaya, jis‍ka vidhivat udghatan 1 disanbar, 1963 ko hua.

bhoogol

nagalaiand ka lagabhag samoocha hissa parvatiy hai. uttar mean naga paha diyaan brahmaputr ghati se achanak lagabhag 610 mitar ki ooanchaee tak uthati haian aur usake bad dakshin-poorv disha mean inaki ooanchaee 1,800 mitar tak ho jati hai, myaanmar sima ke pas ye paha diyaan patakee shrriankhala se mil jati haian aur yahaan inaki sabase ooanchi choti mauant saramati hai, jisaki ooanchaee 3,826 mitar hai. yah kshetr kee nadiyoan dvara gahare roop mean vibhakt hai- uttar mean doyaang aur dikhu, dakshin-pashchim mean barak aur dakshin-poorv mean chiandavin nadi (myaanmar mean) ki sahayak dharaean. thumb|left|250px|nagalaiand ka ek drishy

jalavayu

nagalaiand ki jalavayu manasooni hai. ausat varshik varsha 1,800 se 2,500 mimi tak hoti hai aur yah dakshin-pashchimi m aaunasoon[2] ke mahinoan mean sankeandrit hoti hai. ooanchaee ke sath-sath ausat tapaman ghatata jata hai; garmi ke dinoan mean tapaman 21° se. se 40° se. tak hota hai, jabaki shit rritu mean yah kabhi-kabhar hi 4° se, se niche jata hai, lekin adhik ooanchaee vale sthanoan mean amataur par pala p data hai. samany rup se ardrata kafi hoti hai.

vany evan prani jivan

nagalaiand ka darj van kshetr 8,629 varg kimi hai, jabaki vastavik vanachchhadit kshetr 14,221 varg kimi hai, jo samooche bhaugolik kshetr ka 85.8 pratishat hai. 1,219 mitar se kam ooanchaee par ushnakatibandhiy aur uposhnakatibandhiy sadabahar van pae jate haian, jinamean ta d jati ke vriksh, beant aur baans tatha mahogani jaisi kimati imarati lak diyoan ke vriksh pae jate haian, ooanchaee vale kshetroan mean shankudhari van milate haian. jin kshetroan mean jhoom[3] ke lie kataee ki gee hai, vahaan ooanchi ghas, narakul aur jha didar van dubara ug ae haian. vanyajiv abhayarany 222 varg kimi kshetr mean phaile hue haian.

nichali paha diyoan mean gaiande, hathi, bagh, teandua, bhaloo, kee tarah ke bandar, saanbar, bhaise aur jangali saand pae jate haian. is rajy mean sahi, peangolin (shalkadhari chiantikhor), jangali kutte, lom di mushk bilav nevale bhi pae jate hai. vishal bharatiy dhanesh pakshi ki dum ke lanbe paroan ko paranparik veshabhoosha mean. istemal ke lie sanbhalakar rakha jata hai.

arthavyavastha

krishi

nagalaiand moolat: krishi pradhan rajy hai. lagabhag 70 pratishat janata krishi par nirbhar hai. rajh‍y mean krishi kshetr ka mahath‍vapoorn yogadan hai. chaval yahaan ka mukhh‍y bhojan hai. kul krishi yogy kshetr ke 70 pratishat mean dhan ki kheti hoti hai aur rajh‍y ke kul khadyanh‍n uth‍padan ka 75 pratishat chaval hai. yahaan mukhh‍yat: ‘sh‍lesh aur 'barn' kheti prachalit hai, jise sh‍thaniy taur par 'jhoom' ke nam se jana jata hai. qrarib 1,01,400 hekh‍teyar kshetr mean jhoom kheti aur shesh mean sidhidar kheti hoti hai. is varsh rajy ka khady uth‍padan 3,86,300 mitrik tan tha. 16,57,587 hekh‍teyar ke kul bhoomi kshetr mean se qrarib 8,35,436 hekh‍teyar kshetr mean van hai. kohima zile mean 'iantanki' aur 'pulibadaje', tuenasaang mean phakim aur dimapur mean rangapahad namak vanh‍yajiv abhayaranh‍y tatha rashh‍triy udyan haian.

nagalaiand rajy ki lagabhag 90 pratishat janata krishi mean lagi hai. yahaan ki mukhy fasalean chaval (khariph chaval :701,00 hekteyar: rabi chabal: 58,900 hekteyar), makka (24,900 hekteyar), jvar-bajara (14,00 hekteyar), dalahan (matar aur phaliyaan jaisi dalean) tilahan (11,580 hekteyar) reshedar fasalean, ganna, aloo aur tanbakoo haian. lekin nagalaiand ko ab bhi p dosi rajyoan se khady-padarthoan ke ayat par nirbhar rahana p data hai. yahaan 8,16,212 ek d (3,30,450 hekteyar) bhoomi par krishi hota hai, jabaki 54,400 hekteyar bhoomi sianchit hai. urvara shakti mean kami aee hai. dakshini zile kohima ke aangami aur chakhesaang log hi sidhidar khet aur sianchaee takanikoan ka istemal karate haian. paranparik upakaranoan mean halke kudal, dab (bahupayogi bhari chakoo) aur hansiya shamil haian. maidani hissoan ko chho dakar any jagahoan par hal ka istemal nahian hota hai. vaniki ay aur rozagar ka prathamik sadhan hai.

khanij

nagalaiand mean kromiyam, nikal, kob aault, lauh ayask aur choona-patthar pae jate haian, lekin philahal sirph nimn shreni ke koyala bhandaroan ka hi khanan kiya ja raha hai. pashchimi zile vokha mean khanij tel mila hai aur asam ke pas dikhoo ghati mean tel ke risavoan se pata chalata hai ki yahaan tel ke khanan yogy bhandar maujood haian.

udyog

rajh‍y mean audyogikaran ki prakriya shaishavavash‍tha mean hai. dimapur mean ek lakh eeantean pratidin uth‍padit karane ki kshamata vali 'nagalaiand maikenaijh‍d brikh‍s kanpani li.' prarambh kar di gee hai. hathakaragha aur hash‍tashilh‍p mahath‍vapoorn kutir udyog hai, jo adhikatar sahakari samitiyoan dvara chalae ja rahe haian. dimapur sthit nagalaiand hathakaragha aur hash‍tashilh‍p vikas nigam li. sarakar ke sh‍vamith‍v vala nigam hai, jo rajh‍y mean hathakaragha aur hash‍tashilh‍p ke uth‍padoan ko badhava dene aur unake vipanan ka kam karata hai. dimapur ke ni‍kat ganesh mean ek audyogik vikas keandr banakar taiyar ho gaya hai.

nagalaiand audyogik vikas nigam udyamiyoan ka margadarshan karata hai aur vittiy madad karane vali sabase b di sansh‍tha hai. dimapur ke phal aur sabh‍ji prasansh‍karan aur kolh‍d sh‍torej sanyantr ki sh‍thapit kshamata kramash: 5 mitrik tan phal aur sabh‍ji ke prasansh‍karan aur 3000 mitrik tan pratidin ke kolh‍d sh‍torej ki hai. 1970 ke dashak ke aranbhik varshoan tak nagalaiand mean sirph bunaee, lak di ka kam, tokari nirman aur mitti ke bartan banane jaise kutir udyog hi maujood the. kachche mal, vittiy sansadhan aur bijali ki kami tatha badahal yatayat v sanchar vyavastha ne audyogik vikas mean badha pahuanchaee hai.

audyogik keandr

rajy ke pramukh audyogik keandr dimapur mean ab ek chini mil, sharab karakhana, eet karakhana tatha telivijan phaiktri hai. rajy ke any udyogoan mean ek khaandasari mil, chaval mil, dibbaband phal sanyantr, kagaj v lugadi karakhana ek plaeevud karakhana tatha kaibinet v pharnichar banane ke karakhane shamil haian. vartaman mean yahaan sirph tin audyogik kshetr haian. rajy mean 23 resham utpadan pharm bhi sthit hai. [[chitr:Kohima-Nagaland.jpg|thumb|left|250px|kohima, nagalaiand]]

bijali

1981 mean nagalaiand ke sabhi gaanvoan mean bijali di gee thi. nagalaiand mean ab tak shat pratishat gaanvoan ko bijali di gee hai, jisamean doorash‍th gaanv bhi haian. vidyut utpadan mukhyat: dijal sanyantroan par nirbhar karata hai, halaanki jalavidyut utpadan mean vriddhi huee hai. nagalaiand ki bijali ka 50 pratishat se adhik hissa asam mean utpadan hota hai.

sianchaee

rajh‍y mean koee bhi sianchaee pariyojana nahian hai. chhoti sianchaee pariyojanaoan se mukhh‍yat: paha di jharanoan ki dhara modi jati hai, jo ghati mean dhan ki kheti mean sianchaee ke kam ati hai. kul sianchit kshetr 93,231.43 hekh‍teyar hai.

peyajal samasya

peyajal ki bahut samasya rahati hai. pine ka pani ki vyavastha sarakar karati hai, kintu phir bhi kami hi hai. yahaan ke nivasi barasat mean chhat se tapakane vale pani ko ekatr kar ke rakhate haian.

janajatiyaan

'naga' log bharatiy-mangol varg ke logoan mean se hai, jo bharat ki uttar-poorvi pahadiyoan ke kshetr aur pashchimi mh‍yaanmar ke oopari bhag mean nivas karate haian. nagalaiand ki pramukh janajatiyaan hai- aangami, ao, chakhesaang, chaang, khiamaniuangan, kuki, konh‍yak, lotha, phaum, pochuri, reangh‍ma, sangatam, sumi, yimasachuangaroo aur zeliaang adi.

bhasha

naga bhasha ek janajati se doosari janajati aur kabhi-kabhi to ek gaanv se doosare gaanv mean bhi alag ho jati hai. tathapi inh‍hean tibh‍bat, barma bhasha parivar mean vargikrit kiya gaya hai. yahaan ke nagarik hindi bhasha samajh lete haian, thodi bahut bol bhi lete haian.

parivahan

yatayat ke lie nagalaiand mukhyat: s dakoan par nirbhar hai. thumb|250px|logava, nagalaiand

s dak marg

  • nagalaiand rajh‍y mean s dakoan ki kul lanbaee 9,860 kilomitar hai, jisamean rashh‍triy rajamarg, praantiy rajamarg, zila aur gramin s dakean shamil haian.
  • kul 900 se adhik gaanvoan ko s dakoan se jo da gaya hai. rajy mean 2,356 kilomitar pakki s dakean haian.
  • dimapur se kohima aur phir manipur mean ianphal tak ek rashtriy rajamarg hai.
  • any s dak marg mokokanchug ko asam ke amaguri se jo data hai.

rel marg

  • asam se dimapur se hokar guzarane vali n aaurth eest phrantiyar relave shesh bharat ke sath is rajy ka ek matr rel sanbandh hai.
  • nagalaiand mean dimapur ekamatr aisa sthan hai, jahaan rel aur viman sevaean upalabh‍dh haian.
  • kolakata se dimapur ko jo dane ke lie saph‍tah mean tin din iandiyan eyaralaians ki u dan sevaean upalabh‍dh haian.

havaee marg

shiksha

  • nagalaiand ki janasankhya ka 67.11 pratishat hissa sakshar hai, jo rashtriy ausat se adhik hai.
  • kee prathamik vidyalayoan (1,299), madhyamik vidyalayayoan (358) aur uchchatar madhyamik vidyalayoan (179) ke sath- sath yahaan kee snatak star ke mahavidyalay bhi haian.
  • jinamean siti k aaulej aauf arts aiand k aaumars, kohima saians k aaulej, kohima l aau k aaulej, mikokachuang l aau k aaulej, nagalaiand k aaulej aauf ejukeshan, pablik k aaulej aauf k aaumars shamil haian.
  • kohima mean n aaurth eestarn hil yoonivarsiti ka parisar bhi sthit hai.
  • nagalaiand mean nagalaiand vishh‍vavidyalay hai.

saanskritik jivan

thumb|250px|mahila, moan, nagalaiand nagalaiand mean janajatiy sangathan mean kolyak ke nirankush aang (saradar) aur sema v chaang ke anuvanshik mukhiya se lekar aangami, ao, lhora aur reangama ki lokataantrik sanrachanaoan jaisi bhinnataean paee jati haian. moruang (samudayik bhavan ya yuva avivahit purushoan ka shayanagar) gaanv ka pramukh sansthan hota hai, jahaan pahale khop diya aur yuddh ke any vijay chihn taange jate the. inake stambhoan par ab bhi bagh, dhanesh, manav tatha any akritiyoan ki naqqashi ki jati hai. naga samaj mean mahilaoan ko apekshakrit ooancha aur sammanajanak sthan prapt hai. ve khetoan mean purushoan ke hi saman shartoan par kam karati haian tatha janajatiy parishadoan mean bhi unaka achchha-khasa prabhav hai. naga jivan ki ek kendriy visheshata puny ka bhoj hai, jisamean kee rasmoan ke bad mithun (gayal, b aaus fr aauntalis) ki bali di jati hai. pratyek janajati ke apane tyohar ya genna hote haian, aur naga nrity, sangit git tatha lokagitoan mean jivan ke ullas ki jhalak milati hai.

th‍yohar

sangit aur nrith‍y 'naga' janajivan ke moolabhoot aang haian. virata, suandarata, prem aur udarata ka gunagan karane vale lokagit aur lokagathaean pidhi-dar-pidhi chali ja rahi haian. isi tarah nrith‍y har uth‍sav ka mahath‍vapoorn hish‍sa hai. har th‍yohar par davat, nach-gana aur ulh‍las hota hai. rajh‍y ke kuchh mahath‍vapoorn th‍yohar haian - sekarenh‍yi, moath‍su, tokh‍koo emoanga aur tulani.

paryatan sh‍thal

pratibandhit kshetr paramit (ar.e.pi.) mean dhil dene se rajh‍y mean aantarrashh‍triy paryatakoan ka ana-jana shuroo ho gaya hai, yahaan deshi videshi paryatak prativarsh badi sankhh‍ya mean ate haian. paryatan sthaloan mean dvitiy vishv yuddh ka kabristan, rajy sangrahalay, kohima v dimapur ke chi diyaghar tatha kachhari shasakoan ki purani rajadhani shamil hai. yahaan lagabhag 16,000 paryatak prativarsh ate hai.

paryatan vibhag dvara prativarsh disanbar mah ke pratham saph‍tah mean ‘h aaurnabil’ uth‍sav ayojit kiya jata hai, jisamean nagalaiand ki sabhi janajatiyaan ek sthan par akar uth‍sav manati haian aur apani paanraparik vash‍tuoan, khady padarthoan aur shilh‍pagat chizoan ka pradarshan karati tatha bechati haian. tin paranparik uth‍savoan- thumb|250px|khonoma, nagalaiand

  1. kohima zile ke touphema mean sekarenh‍yi (26-27 faravari);
  2. loangaleang upamandal ke pogo mean monh‍yoo (1-3 aprail) tatha
  3. mokokachuang zile ke chuchuyimalaang mean moath‍su (1-3 mee) ko manaye jate haian.

paryatan sthal nimn haian-

  • dimapur
  • kiphire
  • kohima
  • loangleang
  • mokokachuang
  • moan
  • parean
  • phek
  • tueansang
  • vokha
  • junheboto


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 Nagaland at a glance (aangrezi) (ech.ti.em.el) nagalaiand ki adhikarik vebasait. abhigaman tithi: 2 joon, 2011.
  2. (mee se sitanbar)
  3. (katakar-jalakar kheti ke lie jangal saph karane ki paddhati)

sanbandhit lekh