व्योमासुर: Difference between revisions
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*उधर व्योमासुर नामक [[कंस]] के गुप्तचर ने कृष्ण को मार डालने के लिए सखाओं जैसा वेश धारण कर सखामण्डली में प्रवेश किया और भेड़ों का चोर बन गया तथा उसने भेड़ बने हुए सारे सखाओं को क्रमश: लाकर अपनी कन्दरा में छिपा दिया। | *उधर व्योमासुर नामक [[कंस]] के गुप्तचर ने कृष्ण को मार डालने के लिए सखाओं जैसा वेश धारण कर सखामण्डली में प्रवेश किया और भेड़ों का चोर बन गया तथा उसने भेड़ बने हुए सारे सखाओं को क्रमश: लाकर अपनी कन्दरा में छिपा दिया। | ||
*श्रीकृष्ण ने देखा कि हमारे सखा कहाँ गये? उन्होंने व्योमासुर को पहचान लिया कि यह कार्य इस सखा बने दैत्य का ही है। ऐसा जानकर उन्होंने व्योमासुर को पकड़ लिया और उसे मार डाला। | *श्रीकृष्ण ने देखा कि हमारे सखा कहाँ गये? उन्होंने व्योमासुर को पहचान लिया कि यह कार्य इस सखा बने दैत्य का ही है। ऐसा जानकर उन्होंने व्योमासुर को पकड़ लिया और उसे मार डाला। तत्पश्चात् पालक बने हुए सखाओं के साथ पर्वत की गुफ़ा से सखाओं का उद्धार किया। | ||
*'श्रीमद्भागवत महापुराण' के दशम स्कन्ध में [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की इस लीला का वर्णन देखा जाता है। | *'श्रीमद्भागवत महापुराण' के दशम स्कन्ध में [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की इस लीला का वर्णन देखा जाता है। | ||
Latest revision as of 07:31, 7 November 2017
व्योमासुर एक असुर और मथुरा के राजा कंस का गुप्तचर था। ब्रजमण्डल के द्वादशवनों में चतुर्थवन 'काम्यवन' है। इसके पास ही पहाड़ी के मध्य में व्योमासुर की गुफ़ा है। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने व्योमासुर का वध किया था।
- एक समय कृष्ण अपने सखाओं के साथ गोचारण कर रहे थे। चारों ओर वन में बड़ी-बड़ी हरी-भरी घास उगी हुई थीं। गऊवें आनन्द से वहाँ चरने लग गई। श्रीकृष्ण निश्चिन्त होकर सखाओं के साथ मेष (भेड़) चोरी की लीला खेलने लगे। बहुत-से सखा भेड़ें बन गये और कुछ उनके पालक बने। कुछ सखा चोर बनकर भेड़ों को चुराने की क्रीड़ा करने लगे।
- कृष्ण विचारक (न्यायाधीश) बने। मेष पालकों ने न्यायधीश कृष्ण के पास भेड़ चोरों के विरुद्ध वाद दायर किया। श्रीकृष्ण दोनों पक्षों को बुलाकर विचार करने लगे। इस प्रकार सभी ग्वालबाल क्रीड़ा में आसक्त हो गये।
- उधर व्योमासुर नामक कंस के गुप्तचर ने कृष्ण को मार डालने के लिए सखाओं जैसा वेश धारण कर सखामण्डली में प्रवेश किया और भेड़ों का चोर बन गया तथा उसने भेड़ बने हुए सारे सखाओं को क्रमश: लाकर अपनी कन्दरा में छिपा दिया।
- श्रीकृष्ण ने देखा कि हमारे सखा कहाँ गये? उन्होंने व्योमासुर को पहचान लिया कि यह कार्य इस सखा बने दैत्य का ही है। ऐसा जानकर उन्होंने व्योमासुर को पकड़ लिया और उसे मार डाला। तत्पश्चात् पालक बने हुए सखाओं के साथ पर्वत की गुफ़ा से सखाओं का उद्धार किया।
- 'श्रीमद्भागवत महापुराण' के दशम स्कन्ध में श्रीकृष्ण की इस लीला का वर्णन देखा जाता है।
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