चम्पकलता सखी: Difference between revisions

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'''चम्पकलता''' [[राधा|श्रीराधिका जी]] की [[अष्टसखी|अष्टसखियों]] में से एक हैं। ये [[कृष्ण]] को अत्यन्त प्रेम करती हैं। सखी चम्पकलता को करहला गाँव की निवासिनी कहा गया है। इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है। ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती हैं।
'''चम्पकलता''' [[राधा|श्रीराधिका जी]] की [[अष्टसखी|अष्टसखियों]] में से एक हैं। ये [[कृष्ण]] को अत्यन्त प्रेम करती हैं। सखी चम्पकलता को करहला गाँव की निवासिनी कहा गया है। इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है। ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती हैं।



Revision as of 12:29, 2 February 2018

thumb|200px|चम्पकलता सखी चम्पकलता श्रीराधिका जी की अष्टसखियों में से एक हैं। ये कृष्ण को अत्यन्त प्रेम करती हैं। सखी चम्पकलता को करहला गाँव की निवासिनी कहा गया है। इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है। ये ठाकुर जी की रसोई सेवा करती हैं।

  • वृन्दावन के साहित्य में चम्पकलता सखी को व्यञ्जन बनाने में निपुण, पात्र निर्माण में निपुण, तर्क द्वारा राधा के विरोधियों को तुष्ट करने वाली कहा गया है। वैदिक दृष्टिकोण से संभवतः अन्न तो दक्षिण दिशा में प्राप्त होता है और अन्नाद्य, अन्नों में सर्वश्रेष्ठ घृत, दधि, मधु आदि उत्तर दिशा में प्राप्त होते हैं। अन्न पाक का कार्य व्यान वायु द्वारा किया जाता है। सोमयाग में अन्नपाक का कार्य दक्षिणाग्नि पर किया जाता है।
  • चम्पकलता सखी के पिता का नाम चण्डाक्ष कहा गया है। यह चन्द्राक्ष का पूर्व रूप हो सकता है।
  • पुराणों में चम्पा नगरी की स्थिति पूर्व दिशा में भी कही गई है[1] और पश्चिम में भी।[2] उत्तर व दक्षिण दिशाओं को त्याग कर चम्पा की स्थिति पूर्व व पश्चिम में क्यों कही गई है, यह अन्वेषणीय है।[3]

चंपकलता चतुर सब जानै। बहुत भांति के बिंजन बानै॥
जेहिजेहि छिन जैसी रुचि पावै। तैसे बिंजन तुरत बनावै॥
चंपकलता चम्पक बरन, उपमा कौं रह्यौ जोहि।
नीलाम्बर दियौ लाडिली, तन पर रह्यौ अति सोहि॥
कुरंगा छीमन कुंडला, चन्द्रिका अति सुख दैन।
सखी सुचरिता मंडनी, चन्द्रलता रति ऐंन॥
राजत सखी सुमन्दिरा, कटि काछनी समेत।
बिबिध भांति बिंजन करै, नवल जुगल के हेत॥


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंग देश के रूप में
  2. गर्ग संहिता में सिन्धु प्रान्त में स्थित चम्पा नगरी का उल्लेख आता है जिसका राजा विमल है जो अपनी कन्याओं को श्रीकृष्ण को अर्पित कर देता है।
  3. अष्टसखी (हिंदी) puranastudy.angelfire.com। अभिगमन तिथि: 02 फरवरी, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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