सुदेवी सखी

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सुदेवी श्रीराधिका जी की अष्टसखियों में से एक हैं। ये सबसे छोटी सखी हैं। इनका निवास सुनहरा गाँव कहा गया है। ये श्रीकृष्ण को पानी पिलाने की सेवा करती हैं।

  • वृन्दावन में हरिप्रिया गोपी के तुल्य सुदेवी गोपी हो सकती हैं, जिनके विषय में प्रत्यक्ष रूप से उल्लेख किया गया है कि वह हरिप्रिया हैं।[1]
  • सुदेवी गोपी की सेवा राधा के केश विन्यास करना, आंखों में अंजन लगाना, गात्र मर्दन करना आदि हैं।
  • सुदेवी शुकों को प्रशिक्षण देती हैं, शकुन विद्या में निपुण हैं, बागवानी में निपुण हैं।

सखी सुदेवी अतिहि सलौनी। काहूँ अंग नाहिने औंनी॥
सुठ सरूप मोहन मन भावै। रुचि सों सब सिंगार बनावै॥
कच कवरी गूँथत है नीकी। अति प्रवीन सेवा करैं जी की॥
अंजन रेख बनाइ संवारै। रीझि मुकर लै प्रिया निहारैं॥
सारो सुवा पढावत नीके। सुनिसुनि मोद होत सब हीके॥
अति प्रवीन सब अङ्ग में, जानत रस की रीति।
पहिरे तन सारी सुही, बढवत पल पल प्रीति॥
कावेरीरु मनोहरा, चारु कवरि अभिराम।
मंजु केशी अरु केसिका, हार हीरा छबि धाम॥
महा हीरा अति ही बनी, हीरा कंठ अनूप।
उपमा कछु नहि कहि सकत, ऐसी सबै सरूप॥
कहे गौतमी तंत्र में, इन सखियन के नाम।
प्रथम बंदि इनके चरन, सेवहु स्यामा स्याम॥[2]

अन्य सखियाँ

राधाजी की परमश्रेष्ठ सखियाँ आठ मानी गयी हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  1. ललिता
  2. विशाखा
  3. चम्पकलता
  4. चित्रा
  5. तुंगविद्या
  6. इन्दुलेखा
  7. रंगदेवी
  8. सुदेवी
  • उपरोक्त सखियों में से 'चित्रा', 'सुदेवी', 'तुंगविद्या' और 'इन्दुलेखा' के स्थान पर 'सुमित्रा', 'सुन्दरी', 'तुंगदेवी' और 'इन्दुरेखा' नाम भी मिलते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अष्टसखी (हिंदी) puranastudy.angelfire.com। अभिगमन तिथि: 03 फरवरी, 2018।
  2. श्री ध्रुवदास-कृत "बयालीस लीला", पृष्ठ 151

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