ललिता सखी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
*ललिता [[राधा]] की सखी है।
'''ललिता''' [[राधा|राधाजी]] की [[अष्टसखी|अष्टसखियों]] में से एक थीं। इन्हें सभी सखियों में प्रधान स्थान प्राप्त था। ये [[राधा]]-[[कृष्ण]] की निकुंज लीलाओं की भी साक्षी थीं। ललिता राधा को सुख प्रदान कराने वाली प्रमुख सखी और उनकी विविध लीलाओं में सहगामी थीं। स्वंय [[शिव|भगवान शिव]] ने भी ललिता से सखीभाव की दीक्षा प्राप्त की थी।
*[[सूरदास]] ने राधा के अतिरिक्त ललिता का विशेष उल्लेख किया है और चन्द्रावली का भी।  
==सूरदास का उल्लेख==
*उन्हें राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चिन्तित किया है।  
[[सूरदास]] ने राधाजी के अतिरिक्त ललिता का विशेष रूप से उल्लेख किया है और साथ ही चन्द्रावली का भी। ललिता को राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चित्रित किया गया है। 'खण्डिता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने 'शीला', 'सुखमा', 'कामा', 'वृन्दा', 'कुमुदा' और 'प्रमदा' का भी उल्लेख किया है। गोपियों में कृष्ण के प्रेम की अधिकारिणी इन्हें ही माना गया है। परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं था। नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी हैं।
*'खण्डिता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने शीला, सुखमा, कामा, वृन्दा, कुमुदा और प्रमदा का उल्लेख किया है।  
==अवतार==
*गोपियों में [[कृष्ण]]-प्रेम की अधिकारिणी ये ही हैं। परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं है।
सखीभाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है। माना जाता है कि आज से लगभग पांच शताब्दी पूर्व राधारानी की सखी ललिता ने [[स्वामी हरिदास]] के रूप में [[अवतार]] लिया था। स्वामी हरिदास [[वृन्दावन]] के [[निधिवन वृन्दावन|निधिवन]] के एकांत में अपने दिव्य [[संगीत]] से प्रिया-प्रियतम ([[राधा]]-[[कृष्ण]]) को रिझाते थे।
*नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी है।
==अन्य सखियाँ==
*सखी भाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है।
राधाजी की परमश्रेष्ठ सखियाँ आठ मानी गयी हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-
*माना जाता है कि आज से लगभग पांच शताब्दी पूर्व राधा रानी की सखी ललिता ने स्वामी [[हरिदास]] के रूप में अवतार लिया।
#[[ललिता]]
*स्वामी हरिदास [[वृन्दावन]] के निधि वन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम(राधा-कृष्ण) को रिझाते थे।
#[[विशाखा सखी|विशाखा]]
#[[चम्पकलता सखी|चम्पकलता]]
#[[चित्रा सखी|चित्रा]]
#[[तुंगविद्या सखी|तुंगविद्या]]
#[[इन्दुलेखा सखी|इन्दुलेखा]]
#[[रंगदेवी सखी|रंगदेवी]]
#[[सुदेवी सखी|सुदेवी]]


*उपरोक्त सखियों में से 'चित्रा', 'सुदेवी', 'तुंगविद्या' और 'इन्दुलेखा' के स्थान पर 'सुमित्रा', 'सुन्दरी', 'तुंगदेवी' और 'इन्दुरेखा' नाम भी मिलते हैं।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{कृष्ण2}}
{{कृष्ण2}}{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:कृष्ण]][[Category:पौराणिक कोश]]__INDEX__
[[Category:कृष्ण]][[Category:पौराणिक चरित्र]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:कृष्ण काल]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
__INDEX__

Latest revision as of 11:35, 3 February 2018

ललिता राधाजी की अष्टसखियों में से एक थीं। इन्हें सभी सखियों में प्रधान स्थान प्राप्त था। ये राधा-कृष्ण की निकुंज लीलाओं की भी साक्षी थीं। ललिता राधा को सुख प्रदान कराने वाली प्रमुख सखी और उनकी विविध लीलाओं में सहगामी थीं। स्वंय भगवान शिव ने भी ललिता से सखीभाव की दीक्षा प्राप्त की थी।

सूरदास का उल्लेख

सूरदास ने राधाजी के अतिरिक्त ललिता का विशेष रूप से उल्लेख किया है और साथ ही चन्द्रावली का भी। ललिता को राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चित्रित किया गया है। 'खण्डिता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने 'शीला', 'सुखमा', 'कामा', 'वृन्दा', 'कुमुदा' और 'प्रमदा' का भी उल्लेख किया है। गोपियों में कृष्ण के प्रेम की अधिकारिणी इन्हें ही माना गया है। परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं था। नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी हैं।

अवतार

सखीभाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है। माना जाता है कि आज से लगभग पांच शताब्दी पूर्व राधारानी की सखी ललिता ने स्वामी हरिदास के रूप में अवतार लिया था। स्वामी हरिदास वृन्दावन के निधिवन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम (राधा-कृष्ण) को रिझाते थे।

अन्य सखियाँ

राधाजी की परमश्रेष्ठ सखियाँ आठ मानी गयी हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  1. ललिता
  2. विशाखा
  3. चम्पकलता
  4. चित्रा
  5. तुंगविद्या
  6. इन्दुलेखा
  7. रंगदेवी
  8. सुदेवी
  • उपरोक्त सखियों में से 'चित्रा', 'सुदेवी', 'तुंगविद्या' और 'इन्दुलेखा' के स्थान पर 'सुमित्रा', 'सुन्दरी', 'तुंगदेवी' और 'इन्दुरेखा' नाम भी मिलते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख