विशाखा सखी

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विशाखा सखी
विवरण 'विशाखा' श्रीराधा जी की सबसे प्रिय सखी थीं। ये राधा की अष्टसखियों में से एक थीं।
अभिभावक श्रीपावन गोप और देवदानी गोपी
संबंधित लेख कृष्ण, राधा, अष्टसखी, कृष्ण और गोपियाँ, आँजनौक
अन्य जानकारी विशाखा जी का निवास स्थान आँजनौक नन्दगाँव से पाँच मील पूर्व-दक्षिण कोण में अवस्थित है।
अद्यतन‎ 03:46 15 जुलाई, 2016 (IST)

विशाखा राधा जी की 'अष्टसखियों' में से एक थीं।[1] इनका निवास स्थान आँजनौक था। ये राधा जी की सबसे प्रिय सखी थीं।

  • इनके पिता का नाम श्रीपावन गोप और माता का नाम देवदानी गोपी था।[2]
  • विशाखा जी का निवास स्थान आँजनौक नन्दगाँव से पाँच मील पूर्व-दक्षिण कोण में अवस्थित है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर कौतुकी कृष्ण ने अपनी प्राणवल्लभा राधा के नेत्रों में अंजन लगाया था। इसलिए यह लीलास्थली 'आँजनौक' नाम से प्रसिद्ध है।
  • वृन्दावन स्थित विशाखा कुण्ड में श्रीराधाबिहारीजी ने अपने वेणु से कुण्ड प्रकाश कर उसके मीठे, सुस्वादु जल से प्रियसखी विशाखा की और सखियों की प्यास बुझाई थी। कालान्तर में प्रसिद्ध भक्ति संगीतज्ञ स्वामी हरिदास ने इस निधिवन के विशाखा कुण्ड से श्री बाँकेबिहारी ठाकुर जी को प्राप्त किया था।[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राधाष्टमी
  2. अञ्जपुरे समाख्याते सुभानुर्गोप: संस्थित:। देवदानीति विख्याता गोपिनी निमिषसुना। तयो: सुता समुत्पन्ना विशाखा नाम विश्रुता ॥
  3. विशाखा कुण्ड वृन्दावन

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