प्रांगण:मुखपृष्ठ/दर्शन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 41: Line 41:
| class="bgdarshan" style="border:1px solid #f5d892;padding:10px;" valign="top;" | <div style="padding-left:8px; background:#fdf2d7; border:thin solid #f9e6bb">'''विशेष आलेख'''</div>  
| class="bgdarshan" style="border:1px solid #f5d892;padding:10px;" valign="top;" | <div style="padding-left:8px; background:#fdf2d7; border:thin solid #f9e6bb">'''विशेष आलेख'''</div>  
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वेद]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वेद]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ved-merge.jpg|right|150px|वेद|link=वेद]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ved-merge-1.gif|right|150px|वेद|link=वेद]] </div>
*'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
*'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
*ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए '''वेदों को श्रुति भी कहा जाता है'''।
*ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए '''वेदों को श्रुति भी कहा जाता है'''।

Revision as of 10:00, 14 December 2010

मुखपृष्ठ भारत गणराज्य इतिहास पर्यटन साहित्य दर्शन धर्म संस्कृति भूगोल कला खेल भाषा विज्ञान
  • यहाँ हम भारत के दर्शन संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • दर्शन वह ज्ञान है जो परम सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है।

  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...

center center

  • लोकायत दर्शन या चार्वाक दर्शन हमारे देश में नास्तिक विचारधारा माना जाता रहा है।
  • दर्शन यथार्थता की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है।
विशेष आलेख
  • 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
  • ऐसी मान्यता है कि इनके मन्त्रों को परमेश्वर ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था। इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है
  • मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है।
  • ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है।
  • वेद के मन्त्र विभाग को संहिता कहते हैं। संहितापरक विवेचन को 'आरण्यक' एवं संहितापरक भाष्य को 'ब्राह्मणग्रन्थ' कहते हैं।
  • वेदों के ब्राह्मणविभाग में 'आरण्यक' और 'उपनिषद' का भी समावेश है। ब्राह्मणग्रन्थों की संख्या 13 है, जैसे ऋग्वेद के 2, यजुर्वेद के 2, सामवेद के 8 और अथर्ववेद के 1 है। .... और पढ़ें
चयनित लेख
  • सांख्य शब्द की निष्पत्ति संख्या शब्द से हुई है। संख्या शब्द 'ख्या' धातु में सम् उपसर्ग लगाकर व्युत्पन्न किया गया है जिसका अर्थ है 'सम्यक् ख्याति'।
  • 'सांख्य' शब्द की निष्पत्ति गणनार्थक 'संख्या' से भी मानी जाती है। ऐसा मानने में कोई विसंगति भी नहीं है।
  • महाभारत में शान्तिपर्व के अन्तर्गत सृष्टि, उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय और मोक्ष विषयक अधिकांश मत सांख्य ज्ञान व शास्त्र के ही हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उस काल तक वह एक सुप्रतिष्ठित, सुव्यवस्थित और लोकप्रिय एकमात्र दर्शन के रूप में स्थापित हो चुका था।
  • एक सुस्थापित दर्शन की ही अधिकाधिक विवेचनाएँ होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप व्याख्या-निरूपण-भेद से उसके अलग-अलग भेद दिखाई पड़ने लगते हैं।
  • डॉ. आद्याप्रसाद मिश्र लिखते हैं- ऐसा प्रतीत होता है कि जब तत्त्वों की संख्या निश्चित नहीं हो पाई थी तब सांख्य ने सर्वप्रथम इस दृश्यमान भौतिक जगत की सूक्ष्म मीमांसा का प्रयास किया था। .... और पढ़ें
कुछ चुने हुए लेख
दर्शन श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

300px|वैदिक परंपरा|center


वैदिक परंपरा

संबंधित लेख