होल्कर वंश: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
'''होल्कर वंश''' [[भारत]] में [[इन्दौर]] के [[मराठा]] शासक रहे हैं। इन्हें मूलरूप से एक चरवाहा जाति या कृषक वंश के रूप में जाना जाता था, जो [[मथुरा]] ज़िले से आकर दक्कन के गाँव ‘होल’ या ‘हल’ में बस गये थे। इसी गाँव के निवासी होने के कारण इनका पारिवारिक नाम 'होल्कर' हो गया। इस राजवंश के संस्थापक [[मल्हारराव होल्कर]] अपनी योग्यता के बलबूते पर किसान मूल से ऊपर उठे थे। मल्हारराव की मृत्यु के | '''होल्कर वंश''' [[भारत]] में [[इन्दौर]] के [[मराठा]] शासक रहे हैं। इन्हें मूलरूप से एक चरवाहा जाति या कृषक वंश के रूप में जाना जाता था, जो [[मथुरा]] ज़िले से आकर दक्कन के गाँव ‘होल’ या ‘हल’ में बस गये थे। इसी गाँव के निवासी होने के कारण इनका पारिवारिक नाम 'होल्कर' हो गया। इस राजवंश के संस्थापक [[मल्हारराव होल्कर]] अपनी योग्यता के बलबूते पर किसान मूल से ऊपर उठे थे। मल्हारराव की मृत्यु के पश्चात् उनकी पुत्रवधु [[अहिल्याबाई होल्कर]] ने राजपाट अपने हाथों में ले लिया और बड़ी ही कुशलता के साथ उसका संचालन किया। | ||
==अहिल्याबाई== | ==अहिल्याबाई== | ||
{{main|अहिल्याबाई होल्कर}} | {{main|अहिल्याबाई होल्कर}} |
Latest revision as of 07:35, 7 November 2017
होल्कर वंश भारत में इन्दौर के मराठा शासक रहे हैं। इन्हें मूलरूप से एक चरवाहा जाति या कृषक वंश के रूप में जाना जाता था, जो मथुरा ज़िले से आकर दक्कन के गाँव ‘होल’ या ‘हल’ में बस गये थे। इसी गाँव के निवासी होने के कारण इनका पारिवारिक नाम 'होल्कर' हो गया। इस राजवंश के संस्थापक मल्हारराव होल्कर अपनी योग्यता के बलबूते पर किसान मूल से ऊपर उठे थे। मल्हारराव की मृत्यु के पश्चात् उनकी पुत्रवधु अहिल्याबाई होल्कर ने राजपाट अपने हाथों में ले लिया और बड़ी ही कुशलता के साथ उसका संचालन किया।
अहिल्याबाई
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
1724 ई. में मराठा राज्य के पेशवा (प्रधानमंत्री) बाजीराव प्रथम ने मल्हारराव होल्कर को 500 घुड़सवार सैनिकों की कमान सौंपी और जल्दी ही वह मालवा में पेशवा के प्रधान सेनापति बन गये, जिसका मुख्यालय 'महेश्वर' व 'इन्दौर' में था। 1766 ई. में मृत्यु होने तक मल्हारराव मालवा के वास्तविक शासक थे। 1767 से 1794 ई. तक उनके पुत्र खाण्डेराव की विधवा अहिल्याबाई होल्कर ने बहुत कुशलता और योग्यतापूर्वक राज्य का शासन चलाया। हिंसा के सागर में इन्दौर समृद्धि तथा शान्ति का सागर था और अहिल्याबाई के शासन, न्याय व बुद्धि के लिए विख्यात था। उन्होंने अपने दूर के सम्बन्धी तुकोजी होल्कर को अपना सेनापति नियुक्त किया था, जो दो वर्ष बाद अहिल्याबाई होल्करअहिल्याबाई की मृत्यु होने पर उनके उत्तराधिकारी बने। 1797 ई. में तुकोजी होल्कर के नाजायज़ बेटे जसवन्तराव ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया।
अंग्रेज़ों की अधीनता
1803 में दूसरा मराठा युद्ध छिड़ने पर जसवन्तराव तटस्थ रहे, लेकिन 1804 ई. में सिंधिया (मराठा महासंघ की एक रियासत) की पराजय के बाद उन्होंने ब्रिटिश सेना पर हमला किया और दिल्ली को घेर लिया। लेकिन नवम्बर, 1804 ई. में डीग और फ़र्रुख़ाबाद में उनकी सेनाएँ हार गईं और एक वर्ष बाद उन्होंने अंग्रेज़ों समझौता कर लिया। इसके बाद वह विक्षिप्त हो गये और 1811 ई. में उनकी मृत्यु हो गई। विवादों और पदत्यागों से जूझते 'होल्कर वंश' का शासन 1947 ई. में देश के आज़ाद होने और राज्य के अलग अस्तित्व की समाप्ति तक चलता रहा।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख