बलराम के नाम: Difference between revisions
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Revision as of 09:22, 19 June 2013
बलराम श्रीकृष्ण के बड़े भाई थे, जिन्हें शेषनाग का अवतार माना जाता है। इनका जन्म वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ से हुआ था। जैनों के मत में बलराम का संबंध तीर्थंकर नेमिनाथ से माना गया है। भारत में बलराम का पूजन काफ़ी प्राचीन समय से ही चला आ रहा है। इनकी सर्वप्राचीन मूर्तियाँ मथुरा और ग्वालियर के क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं, जो शुंग काल की हैं। कुषाणकालीन बलराम की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियाँ अर्थात् विष्णु के समान चतुर्भुज प्रतिमाएँ हैं और कुछ उनके शेष से संबंधित होने की पृष्ठभूमि पर बनाई गई हैं। ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मांगलिक चिह्नों से शोभित सर्पफणों से अलंकृत है।
अन्य नाम
बलराम के नौ नाम बताये गए हैं-
- संकर्षण - जब बलराम गर्भ में थे, जब गर्भ का संकर्षण किया गया था, इसीलिए इनका नाम 'संकर्षण' हुआ था।
- अनन्त - वेदों में यह कहा गया है कि इनका कभी अंत नहीं होता, इसीलिए ये 'अनन्त' कहे गये हैं।
- बलदेव - इनमें बल की अधिकता है। इसीलिए इनको 'बलदेव' कहते हैं।
- हली - बलराम हल धारण को धारण करते हैं, इसीलिए इनका एक नाम 'हली' हुआ है।
- शितिवासा - नील रंग का वस्त्र धारण करने से इन्हें 'शितिवासा' (नीलाम्बर) कहा गया है।
- मुसली - बलराम मूसल को आयुध बनाकर रखते हैं, इसीलिए 'मुसली' कहे गये हैं।
- रेवतीरमण - रेवती के साथ इनका विवाह हुआ था, इसीलिए ये साक्षात 'रेवतीरमण' हैं।
- रौहिणेय - रोहिणी के गर्भ में वास करने से इन महाबुद्धिमान संकर्षण को 'रौहिणेय' कहा गया है।
- हलधर - क्योंकि ये हल को धारण करते हैं, इसीलिए हलधर भी कहे जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ब्रह्मवैवर्तपुराण |प्रकाशक: गीताप्रेस गोरखपुर, गोविन्दभवन कार्यालय, कोलकाता का संस्थान |पृष्ठ संख्या: 451-452 |
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