रेणुका: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('रेणुका राजा प्रसेनजित अथवा राजा रेणु की कन्या, [[परशु...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 3: | Line 3: | ||
*सुषेण, | *सुषेण, | ||
*वसु, | *वसु, | ||
* | *विश्वावसु तथा | ||
*परशुराम। | *परशुराम। | ||
एक बार सद्यस्नाता रेणुका राजा चित्ररथ पर मुग्ध हो गयी। उसके आश्रम पहुँचने पर मुनि को दिव्य ज्ञान से समस्त घटना ज्ञात हो गयी। उन्होंने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चार बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। किंतु कोई भी तैयार नहीं हुआ। जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को जड़बुद्ध होने का शाप दिया। परशुराम ने तुरन्त पिता की आज्ञा का पालन किया। जमदग्नि ने प्रसन्न होकर उसे वर माँगने के लिए कहा। परशुराम ने पहले वर से माँ का पुनर्जीवन माँगा और फिर | एक बार सद्यस्नाता रेणुका राजा चित्ररथ पर मुग्ध हो गयी। उसके आश्रम पहुँचने पर मुनि को दिव्य ज्ञान से समस्त घटना ज्ञात हो गयी। उन्होंने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चार बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। किंतु कोई भी तैयार नहीं हुआ। जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को जड़बुद्ध होने का शाप दिया। परशुराम ने तुरन्त पिता की आज्ञा का पालन किया। जमदग्नि ने प्रसन्न होकर उसे वर माँगने के लिए कहा। परशुराम ने पहले वर से माँ का पुनर्जीवन माँगा और फिर अपने भाईयों को क्षमा कर देने के लिए कहा। जमदग्नि ऋषि ने परशुराम से कहा कि वो अमर रहेगा। कहते हैं कि यह पद्म से उत्पन्न अयोनिजा थीं। प्रसेनजित इनके पोषक पिता थे।<ref>[[महाभारत]] 116.2</ref> | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
Line 19: | Line 19: | ||
{{cite book | last =शर्मा | first =राणा प्रसाद | title =पौराणिक कोश | edition = | publisher = ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =[[हिन्दी]] | pages =पृष्ठ संख्या- 448 | chapter =}} | {{cite book | last =शर्मा | first =राणा प्रसाद | title =पौराणिक कोश | edition = | publisher = ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =[[हिन्दी]] | pages =पृष्ठ संख्या- 448 | chapter =}} | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | ==संबंधित लेख== | ||
{{महाभारत}} | |||
{{पौराणिक चरित्र}} | |||
[[Category:महाभारत]][[Category:पौराणिक चरित्र]][[Category:पौराणिक कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 12:21, 3 May 2011
रेणुका राजा प्रसेनजित अथवा राजा रेणु की कन्या, परशुराम की माता और जमदग्नि ऋषि की पत्नी थी जिनके पाँच पुत्र थे।
- रुमण्वान,
- सुषेण,
- वसु,
- विश्वावसु तथा
- परशुराम।
एक बार सद्यस्नाता रेणुका राजा चित्ररथ पर मुग्ध हो गयी। उसके आश्रम पहुँचने पर मुनि को दिव्य ज्ञान से समस्त घटना ज्ञात हो गयी। उन्होंने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चार बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। किंतु कोई भी तैयार नहीं हुआ। जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को जड़बुद्ध होने का शाप दिया। परशुराम ने तुरन्त पिता की आज्ञा का पालन किया। जमदग्नि ने प्रसन्न होकर उसे वर माँगने के लिए कहा। परशुराम ने पहले वर से माँ का पुनर्जीवन माँगा और फिर अपने भाईयों को क्षमा कर देने के लिए कहा। जमदग्नि ऋषि ने परशुराम से कहा कि वो अमर रहेगा। कहते हैं कि यह पद्म से उत्पन्न अयोनिजा थीं। प्रसेनजित इनके पोषक पिता थे।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, राणा प्रसाद पौराणिक कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी, पृष्ठ संख्या- 448।