उलूपी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
*ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग की कन्या थी। इस नाग कन्या का विवाह एक बाग से हुआ था। इसके पति को [[गरुड़]] ने मारकर खा लिया जिससे यह विधवा हो गयी। एक बार [[अर्जुन]], जो प्रतिज्ञा भंग करने के कारण बारह वर्ष का वनवास कर रहे थे, ब्रह्मचारी के वेश में तीर्थाटन करते हुए [[गंगा नदी|गंगा]] द्वार के निकट पहुँचें जहाँ इससे उनका साक्षात्कार हुआ।
[[चित्र:Uloopi-and-Arjun.jpg|thumb|उलूपी और [[अर्जुन]]]]
*ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग की कन्या थी। इस नाग कन्या का विवाह एक बाग़ से हुआ था। इसके पति को [[गरुड़]] ने मारकर खा लिया जिससे यह विधवा हो गयी। एक बार [[अर्जुन]], जो प्रतिज्ञा भंग करने के कारण बारह वर्ष का वनवास कर रहे थे, ब्रह्मचारी के वेश में तीर्थाटन करते हुए [[गंगा नदी|गंगा]] द्वार के निकट पहुँचें जहाँ इससे उनका साक्षात्कार हुआ।
*उलूपी अर्जुन को देखकर उनपर विमुग्ध हो गयी। वह अर्जुन को [[पाताल लोक]] में ले गयी और उनसे विवाह करने का अनुरोध किया। अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर उसने अर्जुन को समस्त जलचरों का स्वामी होने का वरदान दिया। जिस समय अर्जुन [[नागलोक]] में निवास कर रहे थे, उस समय [[चित्रांगदा]] से उत्पन्न अर्जुन का पुत्र [[वभ्रुवाहन]], जो अपने नाना, मणिपुर नरेश का उत्तराधिकारी था, उनके स्वागत के लिए उनके पास आया।
*उलूपी अर्जुन को देखकर उनपर विमुग्ध हो गयी। वह अर्जुन को [[पाताल लोक]] में ले गयी और उनसे विवाह करने का अनुरोध किया। अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर उसने अर्जुन को समस्त जलचरों का स्वामी होने का वरदान दिया। जिस समय अर्जुन [[नागलोक]] में निवास कर रहे थे, उस समय [[चित्रांगदा]] से उत्पन्न अर्जुन का पुत्र [[वभ्रुवाहन]], जो अपने नाना, मणिपुर नरेश का उत्तराधिकारी था, उनके स्वागत के लिए उनके पास आया।
*वभ्रुवाहन को युद्ध-सज्जा में न देखकर यथोचित व्यवहार नहीं किया। उलूपी वभ्रुवाहन की देख-रेखकर चुकने के कारण उस पर अपना प्रभाव रखती थी। उसने वभ्रुवाहन को अर्जुन के विरुद्ध भड़काया। फलतः पिता और पुत्र में युद्ध हुआ।  
*वभ्रुवाहन को युद्ध-सज्जा में न देखकर यथोचित व्यवहार नहीं किया। उलूपी वभ्रुवाहन की देख-रेखकर चुकने के कारण उस पर अपना प्रभाव रखती थी। उसने वभ्रुवाहन को अर्जुन के विरुद्ध भड़काया। फलतः पिता और पुत्र में युद्ध हुआ।  
Line 8: Line 9:


<br />
<br />
{{प्रचार}}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{महाभारत}}{{पौराणिक चरित्र}}  
 
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:महाभारत]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
[[Category:महाभारत]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]


__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 07:31, 30 December 2015

[[चित्र:Uloopi-and-Arjun.jpg|thumb|उलूपी और अर्जुन]]

  • ऐरावत वंश के कौरव्य नामक नाग की कन्या थी। इस नाग कन्या का विवाह एक बाग़ से हुआ था। इसके पति को गरुड़ ने मारकर खा लिया जिससे यह विधवा हो गयी। एक बार अर्जुन, जो प्रतिज्ञा भंग करने के कारण बारह वर्ष का वनवास कर रहे थे, ब्रह्मचारी के वेश में तीर्थाटन करते हुए गंगा द्वार के निकट पहुँचें जहाँ इससे उनका साक्षात्कार हुआ।
  • उलूपी अर्जुन को देखकर उनपर विमुग्ध हो गयी। वह अर्जुन को पाताल लोक में ले गयी और उनसे विवाह करने का अनुरोध किया। अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर उसने अर्जुन को समस्त जलचरों का स्वामी होने का वरदान दिया। जिस समय अर्जुन नागलोक में निवास कर रहे थे, उस समय चित्रांगदा से उत्पन्न अर्जुन का पुत्र वभ्रुवाहन, जो अपने नाना, मणिपुर नरेश का उत्तराधिकारी था, उनके स्वागत के लिए उनके पास आया।
  • वभ्रुवाहन को युद्ध-सज्जा में न देखकर यथोचित व्यवहार नहीं किया। उलूपी वभ्रुवाहन की देख-रेखकर चुकने के कारण उस पर अपना प्रभाव रखती थी। उसने वभ्रुवाहन को अर्जुन के विरुद्ध भड़काया। फलतः पिता और पुत्र में युद्ध हुआ।
  • उलूपी की माया के प्रभाव से वभ्रुवाहन अर्जुन को मार डालने में समर्थ हुआ किन्तु अपने इस कार्य के लिए उसे इतना दुःख हुआ कि उसने आत्म-हत्या करने का निश्चय किया।
  • वभ्रुवाहन के संकल्प को जानकर उलूपी ने एक मणि की सहायता से अर्जुन को पुनः जीवनदान दिया। विष्णु पुराण के अनुसार अर्जुन से उलूपी ने इरावत नामक पुत्र को जन्म दिया।
  • उलूपी अर्जुन के सदेह स्वगारोहण के समय तक उनके साथ थी।



संबंधित लेख