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'''स्वन''' का उल्लेख पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है, [[महाभारत वन पर्व]] के अनुसार ये सत्य के पुत्र थे, ये रोग के कारण होने से अग्नि कहे गये थे। इनसे पीड़ित होकर लोग वेदना से कराह उठते थे। स्वन (चीत्कार) करने के कारण होने से इनका नाम 'स्वन' हुआ।<ref>[[महाभारत वन पर्व]] 219.15</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक= राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन=|पृष्ठ संख्या=543|url=}}</ref>
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स्वन का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के अनुसार ये सत्य के पुत्र थे। ये रोग के कारण होने से अग्नि कहे गये थे। इनसे पीड़ित होकर लोग वेदना से कराह उठते थे। स्वन (चीत्कार) करने के कारण होने से इनका नाम 'स्वन' हुआ।[1][2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 122 |

  1. महाभारत वन पर्व 219.15
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 543 |

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