विचित्रवीर्य: Difference between revisions

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Latest revision as of 12:23, 14 January 2016

विचित्रवीर्य महाराज शान्तनु और सत्यवती के पुत्र थे। इनके बड़े भाई का नाम चित्रांगद था। पिता शान्तनु की मृत्यु के बाद चित्रांगद ही राजगद्दी पर बैठे, किंतु वे अधिक समय तक राज्य नहीं कर पाये। चित्रांगद नाम के ही एक गन्धर्व के हाथों वे मारे गये। इनके बाद विचित्रवीर्य ही राजगद्दी के अधिकारी थे।

  • भीष्म काशीराज की तीन कन्याओं का अपने बाहुबल से स्वयंवर से अपहरण करके ले आए। उनका अनेक राजाओं ने विरोध किया। *शाल्व से भी उनका युद्ध हुआ। लेकिन अन्यतम योद्धा भीष्म के आगे किसी की भी नहीं चली।
  • राजमहल में कन्याओं को लाकर दो के साथ भीष्म ने विचित्रवीर्य का विवाह कर दिया। उनके नाम थे अम्बिका और अम्बालिका
  • तीसरी राजकुमारी अम्बा ने बताया कि वह मन से शाल्व का वरण कर चुकी है। इसीलिए उसे शाल्व के पास भेज दिया जाये।
  • विचित्रवीर्य कामी और सुरापेयी था। उसे राजयक्ष्मा हो गई और वह असमय में ही मृत्यु को प्राप्त हुआ।
  • सत्यवती कुल परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए चिन्तित थीं। भीष्म ने ब्रह्मचर्य व्रत ले रखा था।
  • सत्यवती ने राजमाता होने के कारण व्यास द्वैपायन को बुलवाया, जो पुत्र दे सके। द्वैपायन सत्यवती के कुमारी अवस्था के पुत्र थे।
  • समागम के समय व्यास की कुरूपता को देखकर अम्बिका ने नेत्र मूँद लिये। अत: उसका पुत्र धृतराष्ट्र जन्मांध पैदा हुआ।
  • अम्बालिका व्यास को देखकर पीतवर्णा हो गई, इससे उसका पुत्र पाण्डु पीला हुआ। सत्यवती ने एक और पुत्र की कामना से अम्बिका को व्यास के पास भेजा, लेकिन उसने अपनी दासी को भेज दिया। उससे विदुर का जन्म हुआ।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 830 |

  1. महाभारत, आदिपर्व, अध्याय 1, तथा 104-105

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