वृद्धक्षत्र (जयद्रथ पिता): Difference between revisions

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*जब वृद्धक्षत्र को इस बात का ज्ञान हुआ कि कोई श्रेष्ठ [[क्षत्रिय]] उसके पराक्रमी पुत्र जयद्रथ का सिर काट देगा, तब इसने शाप दिया था कि जो भी जयद्रथ का सिर काटकर भूमि पर गिरायेगा, तभी उसके सिर के भी सौ टुकड़े हो जाएँगे।
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Latest revision as of 07:43, 1 June 2016

चित्र:Disamb2.jpg वृद्धक्षत्र एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- वृद्धक्षत्र (बहुविकल्पी)

वृद्धक्षत्र नाम के एक राजा का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' में हुआ है। 'महाभारत वन पर्व'[1] के अनुसार ये सिंधु के राजा जयद्रथ के पिता थे।[2]

  • जब वृद्धक्षत्र को इस बात का ज्ञान हुआ कि कोई श्रेष्ठ क्षत्रिय उसके पराक्रमी पुत्र जयद्रथ का सिर काट देगा, तब इसने शाप दिया था कि जो भी जयद्रथ का सिर काटकर भूमि पर गिरायेगा, तभी उसके सिर के भी सौ टुकड़े हो जाएँगे।
  • महाभारत युद्ध में जयद्रथ का वध करने से पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस बात की जानकारी देते हुए सुझाव दिया था कि अर्जुन जयद्रथ का सिर बाण से इस प्रकार काटे कि वह वृद्धक्षत्र की गोद में जाकर गिरे।
  • अर्जुन ने श्रीकृष्ण की चेतावनी ध्यान से सुनी और अपने लक्ष्य की ओर ध्यान कर बाण छोड़ दिया। उस बाण ने जयद्रथ का सिर धड़ से अलग कर दिया और उसे लेकर सीधा जयद्रथ के पिता वृद्धक्षत्र की गोद में जाकर गिरा। जयद्रथ का पिता चौंककर उठा तो उसकी गोद में से सिर ज़मीन पर गिर गया। सिर के ज़मीन पर गिरते ही उनके सिर के भी सौ टुकड़े हो गए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 264.6
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 475 |

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