अर्जुन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पात्र परिचय
{{Test
|चित्र=Gita-Krishna-1.jpg
|चित्र=Gita-Krishna-1.jpg
|अन्य नाम=पार्थ, सव्यसाची, धनंजय, भारत, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, अजानबाहो
|अन्य नाम=पार्थ, सव्यसाची, धनंजय, भारत, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, अजानबाहो

Revision as of 14:56, 8 January 2012

अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं धर्मराज, वायु एवं इन्द्र देवता का आवाहन किया। thumb|250px|अर्जुन
Arjuna|left
अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए।

  • अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
  • पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव कृष्ण की बुआ कुंती थी जिसने इन्द्र के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम पृथा था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।
  • द्रोणाचार्य के ये प्रिय शिष्य थे। परशुराम से भी इन्होंने शास्त्रास्त्र विद्या सीखी थी। हिमालय में तपस्या करते समय किरात वेशधारी शिव से इनका युद्ध हुआ था। शिव से इन्हें पाशुपत अस्त्र और अग्नि से आग्नेयास्त्र, गांडीव धनुष तथा अक्षय तुणीर प्राप्त हुआ। वरुण ने इनको नंदिघोष नामक विशाल रथ प्रदान किया।
  • इन्द्रपुरी में अप्सरा उर्वशी इन पर मोहित हो गई थी। पर उसकी इच्छा पूर्ति न करने के कारण इन्हें एक वर्ष तक नपुंसक रहकर बृहन्नला के रूप में विराट की कन्या उत्तरा को नृत्य की शिक्षा देनी पड़ी थी।
  • नागकन्या उलूपी से इन्हें इरावत नामक पुत्र प्राप्त हुआ ।
  • मणिपुर के राजा की कन्या चित्रांगदा से विवाह करके उससे बभ्रु वाहन को जन्म दिया।
  • श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा भी अर्जुन की पत्नी थी। जिसके गर्भ से अभिमन्यु पैदा हुआ। स्वयंवर में द्रौपदी को जीतने वाले लक्ष्य भेदी के रूप में तो अर्जुन की ख्याति है ही।
  • महाभारत युद्ध में कृष्ण अर्जुन के सारथी थे। युद्ध के आरंभ में अपने ही बंधु-बांधवों को प्रतिपक्ष में देखकर अर्जुन मोहाच्छन्न हो गए थे। तब श्रीकृष्ण ने गीता का संदेश देकर उन्हें कर्त्तव्य-पथ पर लगाया। महाभारत में पांडवों की विजय का बहुत कुछ श्रेय अर्जुन को है। महाभारत युद्ध के बाद भी अपने भाइयों के साथ हिमालय चले गए और वहीं उनका देहांत हुआ।
  • आधुनिक युग में भारत सरकार द्वारा पराक्रमी अर्जुन के नाम पर ही श्रेष्ठ खिलाड़ियों को प्रतिवर्ष 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया जाता है।

[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|thumb|left|महाभारत के युद्ध में अर्जुन को समझाते हुये श्रीकृष्ण]]

[[चित्र:Vishnu-In-A-Chariot-With-Arjuna.jpg|thumb|250px|left|रथ पर विष्णु और अर्जुन]]


संबंधित लेख