द्रुपद: Difference between revisions
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Revision as of 12:27, 14 January 2016
द्रुपद पांचाल के राजा और परिशत के पुत्र थे। ये शिखंडी, धृष्टद्युम्न व द्रौपदी के पिता थे। भीष्म, द्रोणाचार्य, और द्रुपद तीनों परशुराम के शिष्य थे।
द्रोण से मित्रता
शिक्षा काल में द्रुपद और द्रोण की गहरी मित्रता थी। द्रोण ग़रीब होने के कारण प्राय: दुखी रहते थे तो द्रुपद ने उन्हें राजा बनने पर आधा राज्य देने का वचन दिया परंतु कालांतर में वे अपने वचन से न केवल मुकर गए वरन उन्होंने द्रोण का अपमान भी किया। द्रोण ऐसे शिष्य की तलाश में निकल पड़े जो द्रुपद और उसकी विशाल सेना को हराकर उनके अपमान का बदला ले। पांडव और कौरव बालकों की गेंद कुंए में गिरी तो द्रोण ने अनेक तिनके शृंखला के रूप में कुंए में डालकर उनकी गेंद निकाली। इसके बाद वे उनके गुरु बन गए और शिक्षा पूरी होने पर उन्होंने शिष्यों से गुरु दक्षिणा के तौर पर द्रुपद को हराने की बात कही। शिष्य द्रुपद को बंदी बनाकर लाए तो द्रोण ने अपने अपमान का बदला लेकर क्षमा स्वरूप उसका राज्य उसे लौटा दिया। अपमानित द्रुपद ने यज्ञ करके पुत्री याज्ञसेनी अर्थात द्रौपदी को पाया और कालांतर में इसी यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने ही द्रोणाचार्य का वध किया था। इस यज्ञ के कारण ही द्रुपद का एक नाम राजा यज्ञसेन भी था।
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