कृतवर्मा: Difference between revisions
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Latest revision as of 06:27, 7 August 2018
कृतवर्मा यदुवंश के अंतर्गत भोजराज हृदिक का पुत्र और वृष्णि वंश के सात सेनानायकों में से एक था। महाभारत युद्ध में इसने एक अक्षौहिणी सेना के साथ दुर्योधन की सहायता की थी। कृतवर्मा कौरव पक्ष का अतिरथी योद्धा था।[1]
- मथुरा पर आक्रमण के समय श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को पूर्वी द्वार की रक्षा का भार सौंपा था।
- एक भयंकर युद्ध में कृततवर्मा ने बाण के मंत्री कूपकर्ण को पराजित किया था।
- श्रीकृष्ण ने कृतवर्मा को हस्तिनापुर भी भेजा था, जहाँ ये पाण्डवों, द्रोण तथा विदुर आदि से मिला था और मथुरा जाकर श्रीकृष्ण से सारा हाल कह आया था।
- कृतवर्मा ने शतधंवा की सहायता करना अस्वीकार किया था। महाभारत के युद्ध में इसने अपने पराक्रम का अनेक बार प्रदर्शन किया।
- अनेक बार पांडव सेना को कृतवर्मा ने युद्धविमुख किया तथा भीमसेन, युधिष्ठिर, धृष्टद्युम्न, उत्तमौजा आदि वीरों को पराजित किया।
- 'द्वैपायन सरोवर' पर जाकर इसी ने दुर्योधन को युद्ध के लिए उत्साहित किया था।
- निशाकाल के सौप्तिक युद्ध में कृतवर्मा ने अश्वत्थामा का साथ दिया तथा शिविर से भागे हुए योद्धाओं का वध किया।[2], और पांडवों के शिविर में आग लगा दी थी।
- 'मौसल युद्ध' में सात्यकि के हाथों कृतवर्मा का वध हुआ।[3]
- महाभारत के अनुसार मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग जाने पर कृतवर्मा का प्रवेश मरुद्गणों में हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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