शशबिन्दु: Difference between revisions
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*प्राचीन काल में राजा शशबिंदु के एक लाख स्त्रियां थी। शशबिंदु को प्रत्येक रानी से एक एक हज़ार पुत्र थे। | |||
*शशबिंदु बड़ा प्रतापी, धर्मनिष्ठ, ब्राह्मण भक्त और दानप्रिय राजा था। | |||
*शशबिंदु ने दस लाख [[यज्ञ]] करने का निश्चय किया। | |||
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*[[वायु पुराण|वायु पुराणानुसार]] शशबिन्दु प्रात: स्मरणीय वीर नरेश थे। | *[[वायु पुराण|वायु पुराणानुसार]] शशबिन्दु प्रात: स्मरणीय वीर नरेश थे। | ||
*शशबिन्दु अयोध्यापति मांधाता के श्वसुर मुचकुंद के नाना थे।<ref>प्राचीन भारतीय संस्कृति कोश पृष्ठ संख्या 384</ref> | *शशबिन्दु अयोध्यापति [[मांधाता]] के श्वसुर [[मुचकुंद]] के नाना थे।<ref>प्राचीन भारतीय संस्कृति कोश पृष्ठ संख्या 384</ref> | ||
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Revision as of 09:42, 23 April 2012
शशबिन्दु चित्ररथ के पुत्र तथा एक प्राचीन राजा, जो महाभारत के अनुसार यम सभा में रहकर यम की उपासना करते थे। संजय को समझाते हुए नारदजी ने शशबिन्दु के चरित्र तथा दान आदि का वर्णन किया था।
- प्राचीन काल में राजा शशबिंदु के एक लाख स्त्रियां थी। शशबिंदु को प्रत्येक रानी से एक एक हज़ार पुत्र थे।
- शशबिंदु बड़ा प्रतापी, धर्मनिष्ठ, ब्राह्मण भक्त और दानप्रिय राजा था।
- शशबिंदु ने दस लाख यज्ञ करने का निश्चय किया।
- अश्वमेध यज्ञ करके उसने अपने सभी पुत्र ब्राह्मणों को दान में दे दिए थे।
- शशबिंदु ने पुत्रों के साथ सुंदरियां, अश्व-हाथी, विपुल धन आदि भी दान में दिया।[1]
- वायु पुराणानुसार शशबिन्दु प्रात: स्मरणीय वीर नरेश थे।
- शशबिन्दु अयोध्यापति मांधाता के श्वसुर मुचकुंद के नाना थे।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ द्रोण पर्व महाभारत 65
- ↑ प्राचीन भारतीय संस्कृति कोश पृष्ठ संख्या 384
संबंधित लेख
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