प्रांगण:मुखपृष्ठ/विज्ञान: Difference between revisions

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* विज्ञान के सिद्धान्त और नियम सार्वदेशिक और सार्वकालिक होते हैं और इनका विशद विवेचन सम्भव है।<br />
* विज्ञान के सिद्धान्त और नियम सार्वदेशिक और सार्वकालिक होते हैं और इनका विशद विवेचन सम्भव है।<br />
* विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्राचीनकाल की उपलब्धियों से लेकर इस शताब्दी में प्राप्त महान सफलताओं की एक लंबी और अनूठी परंपरा रही है।
* विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्राचीनकाल की उपलब्धियों से लेकर इस शताब्दी में प्राप्त महान सफलताओं की एक लंबी और अनूठी परंपरा रही है।
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  • यहाँ हम भारत के विज्ञान संबंधी विषयों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • विज्ञान से आशय ऐसे ज्ञान से है, जो यथार्थ हो, जिसका परीक्षण और प्रयोग किया जा सके तथा जिसके बारे में भविष्यवाणी सम्भव हो।

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  • विज्ञान के सिद्धान्त और नियम सार्वदेशिक और सार्वकालिक होते हैं और इनका विशद विवेचन सम्भव है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्राचीनकाल की उपलब्धियों से लेकर इस शताब्दी में प्राप्त महान सफलताओं की एक लंबी और अनूठी परंपरा रही है।
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख

right|100px|चंद्रशेखर वेंकट रामन|link=चंद्रशेखर वेंकट रामन

  • चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था। इनके पिता चंद्रशेखर अय्यर और माँ पार्वती अम्माल थीं।
  • वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' की 'एम॰ आर॰ सी॰ लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी' के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक थे।
  • रामन प्रभाव की खोज 28 फ़रवरी, 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।
  • 'रामन प्रभाव' के लिये 1930 में श्री रामन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया और रामन भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले एशिया के पहले व्यक्ति बने।
  • सन 1954 को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' की सर्वोच्च उपाधि देकर सम्मानित किया। 21 नवम्बर, 1970 को 82 वर्ष की आयु में वैज्ञानिक डॉ. रामन की मृत्यु हुई। .... और पढ़ें
चयनित लेख
  • रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
  • मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।
  • रंगो की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है। प्रिज्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में बैं जा नी ह पी ना ला कहा जाता है।
  • रंग हजारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। जहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग जोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे।
  • उल्लेखनीय है कि मोहन जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता की जो चीजें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियां भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। .... और पढ़ें
कुछ चुने हुए लेख
विज्ञान श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

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