रमेशचन्द्र दत्त: Difference between revisions
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रमेशचन्द्र दत्त (जन्म- 1848 ई.; मृत्यु- 1909 ई.) धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। 1899 ई. में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के 'लखनऊ अधिवेशन' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' शामिल हैं।
जन्म तथा शिक्षा
अंग्रेज़ी और बंगला भाषा के प्रसिद्ध लेखक रमेशचन्द्र दत्त का जन्म 1848 ई. में हुआ था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने इंग्लैंड जाकर 'आई.सी.एस.' की परीक्षा पास की और अनेक उच्च प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। लेकिन रमेशचन्द्र दत्त की ख्याति मौलिक लेखक और इतिहासवेत्ता के रूप में ही अधिक है।
रचनाएँ
आरम्भ में रमेशचन्द्र दत्त ने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय संस्कृत और इतिहास पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में बंकिमचंद्र के प्रभाव से अपनी मातृभाषा बंगला में रचनाएं करने लगे। एक ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेशचन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। उनके चार प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास हैं-
- बंग विजेता
- माधवी कंकण
- राजपूत जीवन संध्या
- महाराष्ट्र जीवन प्रभात
कुछ विद्वान ऐतिहासिक उपन्यासों से अधिक महत्त्व दो सामाजिक उपन्यासों 'संसार' तथा 'समाज' को देते हैं। ग्राम्य जीवन का चित्रण इन उपन्यासों की विशेषता है।
निधन
रमेशचन्द्र दत्त का 1909 ई. में देहान्त हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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