देवेगोड़ा जवरेगोड़ा

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thumb|250px|देवेगोड़ा जवरेगोड़ा देवेगोड़ा जवरेगोड़ा (अंग्रेज़ी: Devegowda Javaregowda, जन्म- 6 जुलाई, 1915; मृत्यु- 30 मई, 2016) कन्नड़ लेखक, लोक गीतकार, शोधकर्ता और विद्वान थे। वह टी. एन. श्रीकांतैया और कुवेम्पु के शिष्य थे। उनका साहित्यिक कॅरियर दशकों से अधिक का है, जिसमें उन्होंने कन्नड़ भाषा में 34 से अधिक आत्मकथाएँ लिखीं और बच्चों के साहित्य सहित अन्य रचनाएँ कीं।

  • देवेगोड़ा जवरेगोड़ा ने कन्नड़ भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अभियान चलाया था।
  • उन्हें साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए 'पम्पा प्रशस्ति' (1998), 'पद्म श्री (2001) और 'कर्नाटक रत्न' (2008) आदि पुरस्कार मिले थे।
  • देवेगोड़ा जवरेगोड़ा ने 1975 में कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ से अपना पहला डॉक्टरेट प्राप्त किया था।
  • सन 1998 में उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और 2006 में शिमोगा में कुवेम्पु विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।
  • उन्हें हम्पी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किया गया 'नादोजा पुरस्कार' भी मिला।
  • निर्देशक केसरी हार्वू द्वारा देवेगोड़ा जवरेगोड़ा पर कन्नड़ और संस्कृति विभाग के लिए 30 मिनट की एक वृत्तचित्र बनाई गई थी।
  • 2015 में देवेगोड़ा जवरेगोड़ा की 30 मई, 2016 को मृत्यु हो गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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