दलीप कौर तिवाना: Difference between revisions

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दलीप कौर तिवाना ने अपनी माँ-बोली [[पंजाबी भाषा]] की झोली में दो दर्जन से अधिक [[उपन्यास]], अनेक कहानी संग्रह, कई आलोचनात्मक पुस्तकें, एक [[आत्मकथा]] ‘नंगे पैरों का सफ़र’ तथा एक साहित्यिक स्व-जीवनी ‘पूछ्ते हो तो सुनो’ डाली हैं। इनकी अनेक रचनाएं कई भाषाओं में अनूदित होकर लोकप्रिय हो चुकी हैं। डॉ. दलीप कौर तिवाना पंजाबी यूनिवर्सिटी, [[पटियाला]] में प्रोफ़ेसर रहीं और अपने पंजाबी साहित्य लेखन के लिए 'सरस्वती सम्मान' से सम्मानित साहित्यकार थीं।  
==सम्मान==
==सम्मान==
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==मृत्यु==
==मृत्यु==
जानी मानी पंजाबी उपन्यासकार व कथा-लेखिका दलीप कौर तिवाना का मोहाली के एक निजी अस्पताल में [[31 जनवरी]], [[2020]] को निधन हुआ। वह 84 वर्ष की थीं। उनको फेफड़ों में संकुचन के कारण सांस लेने में तकलीफ की वजह से [[16 जनवरी]] को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनका हाल जानने के लिए [[पंजाब]] के ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा अस्पताल पहुंचे थे और इलाज के लिए लेखिका के [[परिवार]] को आर्थिक मदद का भरोसा दिया था। उनके परिवार में पति भूपिंदर सिंह और बेटे सिमरनजीत सिंह हैं।  
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Latest revision as of 08:59, 21 September 2022

दलीप कौर तिवाना
पूरा नाम दलीप कौर तिवाना
जन्म 4 मई, 1935
जन्म भूमि लुधियाना, पंजाब
मृत्यु 31 जनवरी, 2020
पति/पत्नी भूपिंदर सिंह
संतान सिमरनजीत सिंह
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र पंजाबी साहित्य
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2004

साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1971 सरस्वती सम्मान, 2001

प्रसिद्धि पंजाबी साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी दलीप कौर तिवाना ने भारत में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के खिलाफ अक्टूबर 2015 में पद्म श्री लौटाने का ऐलान किया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

दलीप कौर तिवाना (अंग्रेज़ी: Dalip Kaur Tiwana, जन्म- 4 मई, 1935; मृत्यु- 31 जनवरी, 2020) पद्म श्री, साहित्य अकादमी और सरस्वती पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से सम्मानित जानी-मानी पंजाबी की प्रतिष्ठित, बहुचर्चित अग्रज लेखिका थीं।

परिचय

दलीप कौर तिवाना ने अपनी माँ-बोली पंजाबी भाषा की झोली में दो दर्जन से अधिक उपन्यास, अनेक कहानी संग्रह, कई आलोचनात्मक पुस्तकें, एक आत्मकथा ‘नंगे पैरों का सफ़र’ तथा एक साहित्यिक स्व-जीवनी ‘पूछ्ते हो तो सुनो’ डाली हैं। इनकी अनेक रचनाएं कई भाषाओं में अनूदित होकर लोकप्रिय हो चुकी हैं। डॉ. दलीप कौर तिवाना पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में प्रोफ़ेसर रहीं और अपने पंजाबी साहित्य लेखन के लिए 'सरस्वती सम्मान' से सम्मानित साहित्यकार थीं।

सम्मान

साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए दलीप कौर तिवाना को 2004 में पद्म श्री सम्मान दिया गया था। उनको 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। 2001 में सरस्वती सम्मान उपन्यास 'कथा कहो उर्वशी' के लिए दिया गया। दलीप कौर तिवाना ने भारत में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के खिलाफ अक्टूबर 2015 में पद्म श्री लौटाने का ऐलान किया था।

मृत्यु

जानी मानी पंजाबी उपन्यासकार व कथा-लेखिका दलीप कौर तिवाना का मोहाली के एक निजी अस्पताल में 31 जनवरी, 2020 को निधन हुआ। वह 84 वर्ष की थीं। उनको फेफड़ों में संकुचन के कारण सांस लेने में तकलीफ की वजह से 16 जनवरी को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनका हाल जानने के लिए पंजाब के ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा अस्पताल पहुंचे थे और इलाज के लिए लेखिका के परिवार को आर्थिक मदद का भरोसा दिया था। उनके परिवार में पति भूपिंदर सिंह और बेटे सिमरनजीत सिंह हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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