Difference between revisions of "मोटूरि सत्यनारायण"

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[[चित्र:Moutri.jpg|thumb|मोटूरि सत्यनारायण]]
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{{सूचना बक्सा साहित्यकार
'''मोटूरि सत्‍यनारायण''' (जन्म: [[2 फ़रवरी]], 1902  [[कृष्णा ज़िला]], [[आंध्र प्रदेश]] - मृत्यु:[[6 मार्च]], 1995) [[दक्षिण भारत]] में [[हिन्दी]] प्रचार आन्दोलन के संगठक, हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के युग-पुरुष, गाँधी-दर्शन एवं जीवन मूल्यों के प्रतीक, हिन्दी को [[राजभाषा]] घोषित कराने और उसके स्वरूप का निर्धारण कराने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे। मोटूरि सत्यनारायण [[केन्द्रीय हिन्दी संस्थान]], [[आगरा]] के संस्थापक थे।   
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|विशेष योगदान= [[केंद्रीय हिंदी संस्थान]] के जन्‍म का श्रेय मोटूरि सत्‍यनारायण जी को है।
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'''मोटूरि सत्‍यनारायण''' (जन्म: [[2 फ़रवरी]], [[1902]] - मृत्यु:[[6 मार्च]], [[1995]]) [[दक्षिण भारत]] में [[हिन्दी]] प्रचार आन्दोलन के संगठक, हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के युग-पुरुष, गाँधी-दर्शन एवं जीवन मूल्यों के प्रतीक, हिन्दी को [[राजभाषा]] घोषित कराने और उसके स्वरूप का निर्धारण कराने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे। मोटूरि सत्यनारायण [[केंद्रीय हिंदी संस्थान]], [[आगरा]] के संस्थापक थे।   
  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
मोटूरि सत्यनारायण का जन्म 2 फ़रवरी, 1902 को [[आंध्र प्रदेश]] में [[कृष्णा ज़िला|कृष्णा ज़िले]] के दोण्डपाडू गांव में हुआ था। उनका मत था कि भाषा सार्वजनिक समाज की वस्तु है। अतः इसका विकास भी सामाजिक विकास के साथ-साथ ही चलना चाहिए और केंद्रीय हिदी संस्थान को भाषायी प्रयोजनात्मकता को अपने कार्य का केंद्रीय बिन्दु बनाकर आगे बढना चाहिए। आप प्रयोजनमूलक हिन्दी आन्दोलन के जन्मदाता थे।<ref name="RchB"/>  
 
मोटूरि सत्यनारायण का जन्म 2 फ़रवरी, 1902 को [[आंध्र प्रदेश]] में [[कृष्णा ज़िला|कृष्णा ज़िले]] के दोण्डपाडू गांव में हुआ था। उनका मत था कि भाषा सार्वजनिक समाज की वस्तु है। अतः इसका विकास भी सामाजिक विकास के साथ-साथ ही चलना चाहिए और केंद्रीय हिदी संस्थान को भाषायी प्रयोजनात्मकता को अपने कार्य का केंद्रीय बिन्दु बनाकर आगे बढना चाहिए। आप प्रयोजनमूलक हिन्दी आन्दोलन के जन्मदाता थे।<ref name="RchB"/>  
 
====हिन्दी संस्थान की स्थापना====
 
====हिन्दी संस्थान की स्थापना====
केन्‍द्रीय हिन्‍दी संस्‍थान के जन्‍म का श्रेय मोटूरि सत्‍यनारायण जी को है। इस संस्‍था के निर्माण के पूर्व [[महात्मा गाँधी]] की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से स्‍थापित दक्षिण भारत हिन्‍दी प्रचार सभा के माध्‍यम से [[दक्षिण भारत]] में [[हिन्दी]] के प्रचार एवं प्रसार के क्षेत्र में अनुपम योगदान दिया। मोटूरि सत्‍यनारायण  ने हिन्‍दीतर राज्‍यों के सेवारत हिन्‍दी शिक्षकों को हिन्‍दी भाषा के सहज वातावरण में रखकर उन्‍हें हिन्‍दी भाषा, [[हिन्दी साहित्य]] एवं हिन्‍दी शिक्षण का विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्‍यकता का अनुभव किया। इसी उद्‌देश्‍य से परिषद्‌ ने सन्‌ 1952 में [[आगरा]] में हिन्‍दी विद्यालय की स्‍थापना की। सन्‌ 1958 में इसका नाम ‘‘अखिल भारतीय हिन्‍दी विद्यालय, आगरा' रखा गया। मोटूरि जी को चिन्‍ता थी कि हिन्‍दी कहीं केवल साहित्‍य की भाषा बनकर न रह जाए। उसे जीवन के विविध प्रकार्यों की अभिव्‍यक्‍ति में समर्थ होना चाहिए। उन्‍होंने कहा-
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[[केंद्रीय हिंदी संस्थान]] के जन्‍म का श्रेय मोटूरि सत्‍यनारायण जी को है। इस संस्‍था के निर्माण के पूर्व [[महात्मा गाँधी]] की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से स्‍थापित दक्षिण भारत हिन्‍दी प्रचार सभा के माध्‍यम से [[दक्षिण भारत]] में [[हिन्दी]] के प्रचार एवं प्रसार के क्षेत्र में अनुपम योगदान दिया। मोटूरि सत्‍यनारायण  ने हिन्‍दीतर राज्‍यों के सेवारत हिन्‍दी शिक्षकों को हिन्‍दी भाषा के सहज वातावरण में रखकर उन्‍हें हिन्‍दी भाषा, [[हिन्दी साहित्य]] एवं हिन्‍दी शिक्षण का विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्‍यकता का अनुभव किया। इसी उद्‌देश्‍य से परिषद्‌ ने सन्‌ 1952 में [[आगरा]] में हिन्‍दी विद्यालय की स्‍थापना की। सन्‌ 1958 में इसका नाम ‘‘अखिल भारतीय हिन्‍दी विद्यालय, आगरा' रखा गया। मोटूरि जी को चिन्‍ता थी कि हिन्‍दी कहीं केवल साहित्‍य की भाषा बनकर न रह जाए। उसे जीवन के विविध प्रकार्यों की अभिव्‍यक्‍ति में समर्थ होना चाहिए। उन्‍होंने कहा-
 
<blockquote>[[भारत]] एक बहुभाषी देश है। हमारे देश की प्रत्‍येक [[भाषा]] दूसरी भाषा जितनी ही महत्‍वपूर्ण है, अतएव उन्‍हें राष्‍ट्रीय भाषाओं की मान्‍यता दी गई। भारतीय राष्‍ट्रीयता को चाहिए कि वह अपने आपको इस बहुभाषीयता के लिए तैयार करे। भाषा-आधार का नवीनीकरण करती रहे। हिन्‍दी को देश के लिए किए जाने वाले विशिष्‍ट प्रकार्यों की अभिव्‍यक्‍ति का सशक्‍त माध्‍यम बनना है।<ref name="RchB">{{cite web |url=http://www.rachanakar.org/2009/07/blog-post_17.html |title=प्रयोजनमूलक हिन्‍दी की संकल्‍पना के प्रवर्तक मोटूरि सत्‍यनारायण |accessmonthday=26 दिसम्बर |accessyear=2011 |last=जैन |first=प्रो. महावीर सरन  |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=रचनाकार (ब्लॉग) |language=हिन्दी }}</ref></blockquote>
 
<blockquote>[[भारत]] एक बहुभाषी देश है। हमारे देश की प्रत्‍येक [[भाषा]] दूसरी भाषा जितनी ही महत्‍वपूर्ण है, अतएव उन्‍हें राष्‍ट्रीय भाषाओं की मान्‍यता दी गई। भारतीय राष्‍ट्रीयता को चाहिए कि वह अपने आपको इस बहुभाषीयता के लिए तैयार करे। भाषा-आधार का नवीनीकरण करती रहे। हिन्‍दी को देश के लिए किए जाने वाले विशिष्‍ट प्रकार्यों की अभिव्‍यक्‍ति का सशक्‍त माध्‍यम बनना है।<ref name="RchB">{{cite web |url=http://www.rachanakar.org/2009/07/blog-post_17.html |title=प्रयोजनमूलक हिन्‍दी की संकल्‍पना के प्रवर्तक मोटूरि सत्‍यनारायण |accessmonthday=26 दिसम्बर |accessyear=2011 |last=जैन |first=प्रो. महावीर सरन  |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=रचनाकार (ब्लॉग) |language=हिन्दी }}</ref></blockquote>
 
आपके द्वारा संस्थापित अन्य संस्थाएँ हैं-अखिल भारतीय हिन्दी परिषद, आगरा, भारतीय संस्कृति संगम, दिल्ली, तेलगु भाषा समिति, मद्रास और हैदराबाद, हिन्दी विकास समिति, मद्रास एवं दिल्ली और हिंदुस्तामी प्रचार सभा, वर्धा आदि<ref name="KHS">{{cite web |url=http://hindisansthan.org/hi/ms.htm |title=मोटूरि सत्यनारायण जी का संक्षिप्त जीवन-परिचय|accessmonthday=26 दिसम्बर |accessyear=2011 |last=|first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=केन्द्रीय हिन्दी संस्थान |language=हिन्दी }}</ref>
 
आपके द्वारा संस्थापित अन्य संस्थाएँ हैं-अखिल भारतीय हिन्दी परिषद, आगरा, भारतीय संस्कृति संगम, दिल्ली, तेलगु भाषा समिति, मद्रास और हैदराबाद, हिन्दी विकास समिति, मद्रास एवं दिल्ली और हिंदुस्तामी प्रचार सभा, वर्धा आदि<ref name="KHS">{{cite web |url=http://hindisansthan.org/hi/ms.htm |title=मोटूरि सत्यनारायण जी का संक्षिप्त जीवन-परिचय|accessmonthday=26 दिसम्बर |accessyear=2011 |last=|first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=केन्द्रीय हिन्दी संस्थान |language=हिन्दी }}</ref>
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मोटूरि सत्यनारायण केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल आगरा के अध्यक्ष रहे हैं। आप विभिन्न शैक्षिक, तकनीकी, सांस्कृतिक भाषा समिति, साहित्यिक एवं शैक्षिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य रहे हैं और इनकी उन्नति में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। संस्थान के अखिल भारतीय हिन्दी सेवा सम्मान योजना के अंतर्गत सन् 1989 में हिन्दी प्रचार-प्रसार एवं हिन्दी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए आपको गंगाशरण सिंह पुरस्कार से सम्मानित करके संस्थान स्वयं गौरवान्वित हुआ। इस योजना के अंतर्गत सन् 2002 से भारतीय मूल के विद्वान को विदेशों में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के उल्लेखनीय कार्य के लिए आपके नाम से पुरस्कृत किया गया है।<ref name="KHS"/>
 
मोटूरि सत्यनारायण केंद्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल आगरा के अध्यक्ष रहे हैं। आप विभिन्न शैक्षिक, तकनीकी, सांस्कृतिक भाषा समिति, साहित्यिक एवं शैक्षिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य रहे हैं और इनकी उन्नति में आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। संस्थान के अखिल भारतीय हिन्दी सेवा सम्मान योजना के अंतर्गत सन् 1989 में हिन्दी प्रचार-प्रसार एवं हिन्दी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए आपको गंगाशरण सिंह पुरस्कार से सम्मानित करके संस्थान स्वयं गौरवान्वित हुआ। इस योजना के अंतर्गत सन् 2002 से भारतीय मूल के विद्वान को विदेशों में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के उल्लेखनीय कार्य के लिए आपके नाम से पुरस्कृत किया गया है।<ref name="KHS"/>
 
=====निधन=====
 
=====निधन=====
हिन्दी और हिन्दी के माध्यम से अनेकों विद्वानों को उँचाई तक पहुँचाने का श्रेय मोटूरि सत्यनारायण को जाता है। मोटूरि सत्यनारायण और हिन्दी सेवा एक दूसरे के पर्याय थे, हैं और रहेंगे। मोटूरि सत्यनारायण का [[6 मार्च]], 1995 को निधन हो गया।
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हिन्दी और हिन्दी के माध्यम से अनेकों विद्वानों को उँचाई तक पहुँचाने का श्रेय मोटूरि सत्यनारायण को जाता है। मोटूरि सत्यनारायण और हिन्दी सेवा एक दूसरे के पर्याय थे, हैं और रहेंगे। मोटूरि सत्यनारायण का [[6 मार्च]], [[1995]] को निधन हो गया।
  
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
* [[पद्म श्री]], [[पद्म भूषण]] (भारत सरकार)
 
* [[पद्म श्री]], [[पद्म भूषण]] (भारत सरकार)
 
* डी. लिट (मानद उपाधि) (आन्‍ध्र विश्‍विद्यालय)
 
* डी. लिट (मानद उपाधि) (आन्‍ध्र विश्‍विद्यालय)
* गंगा शरण सिंह पुरस्‍कार।
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* [[गंगाशरण सिंह पुरस्कार]]।
  
  

Revision as of 12:43, 29 January 2013

motoori satyanarayan
poora nam motoori satyanarayan
janm 2 faravari, 1902
janm bhoomi krishnaa zila, aandhr pradesh
mrityu 6 march, 1995
karm bhoomi bharat
karm-kshetr hindi ke prachar-prasar-vikas ke yug-purush
puraskar-upadhi padm shri, padm bhooshan, gangasharan sianh puraskar
vishesh yogadan keandriy hiandi sansthan ke janh‍m ka shrey motoori sath‍yanarayan ji ko hai.
nagarikata bharatiy
inhean bhi dekhean kavi soochi, sahityakar soochi

motoori sath‍yanarayan (janm: 2 faravari, 1902 - mrityu:6 march, 1995) dakshin bharat mean hindi prachar andolan ke sangathak, hindi ke prachar-prasar-vikas ke yug-purush, gaandhi-darshan evan jivan moolyoan ke pratik, hindi ko rajabhasha ghoshit karane aur usake svaroop ka nirdharan karane vale mahattvapoorn sadasyoan mean se ek the. motoori satyanarayan keandriy hiandi sansthan, agara ke sansthapak the.

jivan parichay

motoori satyanarayan ka janm 2 faravari, 1902 ko aandhr pradesh mean krishnaa zile ke dondapadoo gaanv mean hua tha. unaka mat tha ki bhasha sarvajanik samaj ki vastu hai. atah isaka vikas bhi samajik vikas ke sath-sath hi chalana chahie aur keandriy hidi sansthan ko bhashayi prayojanatmakata ko apane kary ka keandriy bindu banakar age badhana chahie. ap prayojanamoolak hindi andolan ke janmadata the.[1]

hindi sansthan ki sthapana

keandriy hiandi sansthan ke janh‍m ka shrey motoori sath‍yanarayan ji ko hai. is sansh‍tha ke nirman ke poorv mahatma gaandhi ki prerana evan ashirvad se sh‍thapit dakshin bharat hinh‍di prachar sabha ke madhh‍yam se dakshin bharat mean hindi ke prachar evan prasar ke kshetr mean anupam yogadan diya. motoori sath‍yanarayan ne hinh‍ditar rajh‍yoan ke sevarat hinh‍di shikshakoan ko hinh‍di bhasha ke sahaj vatavaran mean rakhakar unh‍hean hinh‍di bhasha, hindi sahity evan hinh‍di shikshan ka vishesh prashikshan pradan karane ki avashh‍yakata ka anubhav kiya. isi udh‌deshh‍y se parishadh‌ ne sanh‌ 1952 mean agara mean hinh‍di vidyalay ki sh‍thapana ki. sanh‌ 1958 mean isaka nam ‘‘akhil bharatiy hinh‍di vidyalay, agara' rakha gaya. motoori ji ko chinh‍ta thi ki hinh‍di kahian keval sahith‍y ki bhasha banakar n rah jae. use jivan ke vividh prakaryoan ki abhivh‍yakh‍ti mean samarth hona chahie. unh‍hoanne kaha-

bharat ek bahubhashi desh hai. hamare desh ki prath‍yek bhasha doosari bhasha jitani hi mahath‍vapoorn hai, atev unh‍hean rashh‍triy bhashaoan ki manh‍yata di gee. bharatiy rashh‍triyata ko chahie ki vah apane apako is bahubhashiyata ke lie taiyar kare. bhasha-adhar ka navinikaran karati rahe. hinh‍di ko desh ke lie kie jane vale vishishh‍t prakaryoan ki abhivh‍yakh‍ti ka sashakh‍t madhh‍yam banana hai.[1]

apake dvara sansthapit any sansthaean haian-akhil bharatiy hindi parishad, agara, bharatiy sanskriti sangam, dilli, telagu bhasha samiti, madras aur haidarabad, hindi vikas samiti, madras evan dilli aur hiandustami prachar sabha, vardha adi[2]

kary aur pad

motoori satyanarayan keandriy hindi shikshan mandal agara ke adhyaksh rahe haian. ap vibhinn shaikshik, takaniki, saanskritik bhasha samiti, sahityik evan shaikshik sansthaoan ke sakriy sadasy rahe haian aur inaki unnati mean apaka mahattvapoorn yogadan raha hai. sansthan ke akhil bharatiy hindi seva samman yojana ke aantargat sanh 1989 mean hindi prachar-prasar evan hindi prashikshan ke kshetr mean ullekhaniy kary ke lie apako gangasharan sianh puraskar se sammanit karake sansthan svayan gauravanvit hua. is yojana ke aantargat sanh 2002 se bharatiy mool ke vidvan ko videshoan mean hindi ke prachar evan prasar ke ullekhaniy kary ke lie apake nam se puraskrit kiya gaya hai.[2]

nidhan

hindi aur hindi ke madhyam se anekoan vidvanoan ko uanchaee tak pahuanchane ka shrey motoori satyanarayan ko jata hai. motoori satyanarayan aur hindi seva ek doosare ke paryay the, haian aur raheange. motoori satyanarayan ka 6 march, 1995 ko nidhan ho gaya.

samman aur puraskar


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. 1.0 1.1 jain, pro. mahavir saran. prayojanamoolak hinh‍di ki sankalh‍pana ke pravartak motoori sath‍yanarayan (hindi) (ech.ti.em.el) rachanakar (bl aaug). abhigaman tithi: 26 disambar, 2011.
  2. 2.0 2.1 motoori satyanarayan ji ka sankshipt jivan-parichay (hindi) (ech.ti.em.el) kendriy hindi sansthan. abhigaman tithi: 26 disambar, 2011.

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

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