बलदेव प्रसाद मिश्र: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
बलदेव प्रसाद मिश्र जी का जन्म 12 सितम्बर, 1898 को राजनांदगांव में हुआ था। उनके [[पिता]] पं. नारायण प्रसाद मिश्र एवं [[माता]] जानकी देवी थीं। उन्होंने [[1914]] में स्टेट स्कूल से मैट्रिक, [[1918]] में हिस्लाप कॉलेज, [[नागपुर]] से बी.ए., [[1920]] में एम.ए. मनोविज्ञान से, [[1921]] में एल.एल.बी. तथा [[1939]] में शोध प्रबंध 'तुलसी दर्शन' पर डी. लिट् की उपाधि अर्जित की।
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Latest revision as of 18:41, 26 October 2024

बलदेव प्रसाद मिश्र
पूरा नाम डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र
जन्म 12 सितम्बर, 1898
जन्म भूमि राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
मृत्यु 4 सितम्बर, 1975
मृत्यु स्थान राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
पालक माता-पिता पिता- पं. नारायण प्रसाद मिश्र

माता- जानकी देवी

कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र साहित्यकार, न्यायविद, लोकसेवक
मुख्य रचनाएँ श्रृंगार शतक, वैराग्य शतक, कौशल किशोर, जीवन संगीत, साकेत संत, मानस के चार प्रसंग आदि।
विद्यालय हिस्लाप कॉलेज, नागपुर
शिक्षा बी.ए., एम.ए. मनोविज्ञान से, एल.एल.बी.
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1923 से 1940 तक बलदेव प्रसाद मिश्र ने रायगढ़ रियासत के न्यायाधीश, नायब दीवान और दीवान के पद पर अपनी सेवाएं दी।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

बलदेव प्रसाद मिश्र (अंग्रेज़ी: Baldev Prasad Mishra, जन्म: 12 सितम्बर, 1898; मृत्यु- 4 सितम्बर, 1975) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, न्यायविद तथा लोकसेवक थे। वे भारत के ऐसे प्रथम शोधकर्ता थे, जिन्होंने अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेज़ी के बदले हिन्दी में अपना शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कर 'डी लिट्' की उपाधि अर्जित की थी। बलदेव प्रसाद मिश्र ने 'तुलसी दर्शन' पर विशेष कार्य किया। लगभग 85 प्रकाशित अथवा अप्रकाशित कृतियाँ उनके साहित्य प्रतिभा की परिचायक हैं।

परिचय

बलदेव प्रसाद मिश्र जी का जन्म 12 सितम्बर, 1898 को राजनांदगांव में हुआ था। उनके पिता पं. नारायण प्रसाद मिश्र एवं माता जानकी देवी थीं। उन्होंने 1914 में स्टेट स्कूल से मैट्रिक, 1918 में हिस्लाप कॉलेज, नागपुर से बी.ए., 1920 में एम.ए. मनोविज्ञान से, 1921 में एल.एल.बी. तथा 1939 में शोध प्रबंध 'तुलसी दर्शन' पर डी. लिट् की उपाधि अर्जित की।

व्यावसायिक शुरुआत

कुछ समय तक रायपुर में वकालत करने के बाद बलदेव प्रसाद मिश्र रायगढ़ रियासत के राजा चक्रधर सिंह के आमंत्रण पर वहाँ चले गए। वर्ष 1923 से 1940 तक उन्होंने रायगढ़ रियासत के न्यायाधीश, नायब दीवान और दीवान के पद पर अपनी सेवाएं दी। इसी दरम्यान वे रायगढ़ और खरसिया नगरपालिकाओं के अध्यक्ष भी रहे। बाद में राजनांदगांव नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने कुछ समय तक रायपुर नगरपालिका के उपाध्यक्ष के रूप में भी जनसेवा के दायित्वों का बड़ी कुशलता से निर्वाह किया।

लेखन कार्य

  • डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने अपने जीवन काल में लगभग 100 किताबें लिखीं।
  • भर्तृहरि के 'श्रृंगार शतक' और 'वैराग्य शतक' का उनके द्वारा किया गया भावानुवाद इन्हीं शीर्षकों से वर्ष 1928 में प्रकाशित हुआ।
  • महाकाव्य 'कौशल किशोर' का प्रकाशन वर्ष 1934 में, मुक्तक संग्रह 'जीवन संगीत' 1940 में और एक और मुक्तक संग्रह 'साकेत संत' का प्रकाशन 1946 में हुआ।
  • बलदेव प्रसाद मिश्र द्वारा रचित ग्रंथ 'मानस के चार प्रसंग' 1955 में छपा।
  • 'गाँधी गाथा' का प्रकाशन महात्मा गाँधी के जन्मशती वर्ष 1969 में हुआ।
  • उनके लिखे नाटकों में 'शंकर दिग्विजय' भी उल्लेखनीय है।

बलदेव प्रसाद मिश्र की रचनाओं और पुस्तकों की एक लम्बी सूची है।

मृत्यु

4 सितम्बर, 1975 को राजनांदगांव में बलदेव प्रसाद मिश्र का देहावसान हुआ।

डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र, नागपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के मानसेवी अध्यक्ष, खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के उपकुलपति, हैदराबाद तथा बड़ोदा विश्व विद्यालयों के आमंत्रित प्राध्यापक और मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रह चुके थे। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर को अनेक महान साहित्यिक विभूतियों की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। डॉ. बलदेव प्रसाद प्रसाद मिश्र,डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी और गजानन माधव 'मुक्तिबोध' भी इन्हीं महान साहित्यिक रत्नों में शामिल थे। इन तीनों कालजयी साहित्यकारों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वहाँ त्रिवेणी संग्रहालय परिसर बनवाया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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