आर. के. नारायण: Difference between revisions

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अपनी दादी द्वारा पालित-पोषित नारायण ने [[1930]] में अपनी शिक्षा पूरी की और पूर्णत: लेखन में जुट जाने का निर्णय लेने से पहले कुछ समय तक शिक्षक के रूप में काम किया। उनके पहले उपन्यास स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स ([[1935]]) में स्कूली लड़कों के एक दल के रोमांचक कारनामों का विभिन्न प्रकरणों में वर्णन है। इस पुस्तक और नारायण की इसके बाद की सभी कृतियों के पृष्ठभूमि दक्षिण भारत का काल्पनिक शहर [[मालगुडी]] है। नारायण आमतौर पर मानवीय सम्बन्धों की विशेषताओं तथा भारतीय दैनिक जीवन की विडंबनाओं का चित्रण करते हैं, जिसमें आधुनिक शहरी जीवन, पुरानी परम्पराओं के साथ टकराता रहता है। उनकी शैली शालीन है, जिससे सुसंस्कृत हास्य, लालित्य और सहजता का मिश्रण है।  
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आर. के. नारायण की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में है:-
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Revision as of 04:48, 3 December 2010

आर. के. नारायण
पूरा नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी
जन्म 10 अक्टूबर, 1906
जन्म भूमि मद्रास (वर्तमान चेन्नई)
कर्म भूमि शिक्षक, लेखक
मुख्य रचनाएँ स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स, द इंग्लिश टीचर (1945), वेटिंग फ़ॉर द महात्मा (1955), द गाइड (1958), द मैन ईटर आफ़ मालगुडी (1961), द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स (1967), और अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी, लॉली रोड (1956), अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़ (1970) तथा अन्डर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़ (1985)।
विषय उपन्यास, कहानियाँ
भाषा अंग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, पद्म विभूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ए. सी. बेसन पुरस्कार
शैली शालीन
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

आर. के. नारायण का मूल नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी है। आर. के. नारायण का जन्म 10 अक्टूबर, 1906, मद्रास (वर्तमान चेन्नई), भारत में हुआ था। आर. के. नारायण अपनी पीढ़ी के अंग्रेज़ी में लिखने वाले उत्कृष्ट भारतीय लेखकों में से एक थे।

जीवन परिचय

अपनी दादी द्वारा पालित-पोषित नारायण ने 1930 में अपनी शिक्षा पूरी की और पूर्णत: लेखन में जुट जाने का निर्णय लेने से पहले कुछ समय तक शिक्षक के रूप में काम किया। उनके पहले उपन्यास स्वामी एण्ड फ़्रेंड्स (1935) में स्कूली लड़कों के एक दल के रोमांचक कारनामों का विभिन्न प्रकरणों में वर्णन है। इस पुस्तक और नारायण की इसके बाद की सभी कृतियों के पृष्ठभूमि दक्षिण भारत का काल्पनिक शहर मालगुडी है। नारायण आमतौर पर मानवीय सम्बन्धों की विशेषताओं तथा भारतीय दैनिक जीवन की विडंबनाओं का चित्रण करते हैं, जिसमें आधुनिक शहरी जीवन, पुरानी परम्पराओं के साथ टकराता रहता है। उनकी शैली शालीन है, जिससे सुसंस्कृत हास्य, लालित्य और सहजता का मिश्रण है।

प्रसिद्ध कृतियाँ

आर. के. नारायण की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में है:-

  • द इंग्लिश टीचर (1945),
  • वेटिंग फ़ॉर द महात्मा (1955),
  • द गाइड (1958),
  • द मैन ईटर आफ़ मालगुडी (1961),
  • द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स (1967), और
  • अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी (1983) शामिल हैं।

प्रसिद्ध कहानियाँ

नारायण ने कई कहानियाँ भी लिखी हैं, जो:-

  • लॉली रोड (1956),
  • अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़ (1970) तथा
  • अन्डर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़ (1985) में संकलित हैं।

इसके अतिरिक्त उन्होंने ग़ैर कथा कृतियों (मुख्यत: संस्मरण) के साथ-साथ दो भारतीय महाकाव्यों रामायण-1972 और महाभारत-1978 का संक्षिप्त आधुनिक गद्य संस्करण भी प्रकाशित किया है। उनकी दो खण्डों वाली आत्मकथा का शीर्षक माई डेज़-अ मे'म्वा एण्ड माई डेटलेस डायरी-एन अमेरिकन जर्नी है।

सम्मान

कई पुरस्कारों के विजेता नारायण को भारत सरकार ने 1964 में पद्म भूषण और वर्ष 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 1958 में उनकी कृति द गाइड के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। वह रॉयल सोसायटी ऑफ़ लिटरेचर के फ़ेलो और अमेरिकन अकैडमी ऑफ़ आटर्स एण्ड लैटर्स के मानद सदस्य भी हैं। नारायण को रॉयल सोसायटी ऑफ़ लिटरेचर द्वारा 1980 में ए. सी. बेसन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

आर. के. नारायण का निधन 13 मई, 2001, चेन्नई, भारत में हुआ था।


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