जरासंध: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (1 अवतरण)
m (Text replacement - "{{महाभारत2}}" to "")
 
(30 intermediate revisions by 11 users not shown)
Line 1: Line 1:
 
[[चित्र:Jarasandh1.jpg|[[भीम (पांडव)|भीम]]-जरासंध युद्ध|thumb|300px]]
{{महाभारत2}}
*[[मगध]] पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश वृहद्रथ-वंश है। [[महाभारत]] व [[पुराण|पुराणों]] से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में [[चेदि]]राज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और [[पाटलिपुत्र|पटना]] जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध-साम्राज्य था। इसके उत्तर में [[गंगा नदी|गंगा]]नदी, पश्चिम में [[सोन नदी]], पूर्व में [[चम्पा]] नदी तथा दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वतमाला]] थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया।  
==जरासंध / [[:en:Jarasandh|Jarasandh]]==
*जरासंध इस वंश का सबसे प्रतापी शासक था, जो बृहद्रथ का पुत्र था।  
[[चित्र:Jarasandh1.jpg|भीम-जरासंध युद्ध<br /> Bheem-Jarasandh Combat|thumb|300px]]
*जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। [[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने [[काशी]], [[कोशल]], [[चेदि]], [[मालवा]], [[विदेह]], [[अंग महाजनपद|अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[पांडय]], [[सौबिर]], [[मद्र]], [[काश्मीर]] और [[गांधार]] के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज़ वाला कहा गया है।
[[मगध]] पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश वृहद्रथ-वंश है। [[महाभारत]] व [[पुराणों]] से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में [[चेदि]]राज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और [[पाटलिपुत्र|पटना]] जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध-साम्राज्य था । इसके उत्तर में [[गंगा]]नदी, पश्चिम में [[सोन]]नदी, पूर्व में [[चम्पा]] नदी तथा दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वतमाला]] थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया। जरासंध इस वंश का सबसे प्रतापी शासक था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। [[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने [[काशी]], [[कोशल]], [[चेदि]], [[मालवा]], [[विदेह]], [[अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[पांडय]], [[सौबिर]], [[मद्र]], [[काश्मीर]] और [[गांधार]] के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है।
----
{{high left}}
{{बाँयाबक्सा|पाठ=जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। |विचारक=}}
जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा।
{{Table close}}
बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया।
बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया।
जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। जरा राक्षसी ने जोड़ा हो या न जोड़ा हो, मगर पुराणों में कौरवों का साथी होने के नाते जरासंध खलनायक की तरह ही उल्लेखित है। जरा नाम में ही विभक्त का भाव है जिसे बाद में संधि मिली। यानी एक आधे-अधूरे व्यक्तित्व का स्वामी। इतिहास गवाह है कि दुनियाभर के खलनायक विभक्त और खंडित व्यक्तित्व वाले ही होते हैं, उनका बाहरी रंग-रूप चाहे जैसा हो। जरासंध का अंत भी खंडित व्यक्तित्व का अंत था। [[भीम]] नें उसके शरीर को दो हिस्सों में विभक्त कर मृत्यु प्रदान की थी।
जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। जरा राक्षसी ने जोड़ा हो या न जोड़ा हो, मगर पुराणों में कौरवों का साथी होने के नाते जरासंध खलनायक की तरह ही उल्लेखित है। जरा नाम में ही विभक्त का भाव है जिसे बाद में संधि मिली। यानी एक आधे-अधूरे व्यक्तित्व का स्वामी। इतिहास गवाह है कि दुनियाभर के खलनायक विभक्त और खंडित व्यक्तित्व वाले ही होते हैं, उनका बाहरी रंग-रूप चाहे जैसा हो। जरासंध का अंत भी खंडित व्यक्तित्व का अंत था। [[भीम (पांडव)|भीम]] नें उसके शरीर को दो हिस्सों में विभक्त कर मृत्यु प्रदान की थी।
----
----
जरासंध की पहली चढ़ाई- जरासंध ने पूरे दल-बल के साथ [[शूरसेन]] जनपद ([[मथुरा]]) पर चढ़ाई की। पौराणिक वर्णनों के अनुसार उसके सहायक [[कामरूप]] का राजा दंतवक, [[चेदि]]राज, [[शिशुपाल]], कलिंगपति पौंड्र, भीष्मक पुत्र [[रूक्मी]], काध अंशुमान तथा अंग, बंग कोसल, [[दषार्ण]], भद्र, त्रिगर्त आदि के राजा थे। इनके अतिरिक्त शाल्वराज, पवनदेश का राजा भगदत्त, सौवीरराज गंधार का राजा सुबल नग्नजित् का मीर का राजा गोभर्द, दरद देश का राजा तथा [[कौरव]]राज [[दुर्योधन]] आदि भी उसके सहायक थे। मगध की विशाल सेना ने मथुरा कर नगर के चारों फाटकों को घेर लिया। सत्ताईस दिनों तक जरासंध मथुरा नगर को घेरे पड़ा रहा, पर वह मथुरा का अभेद्य दुर्ग न जीत सका। संभवत: समय से पहले ही खाद्य-सामग्री के समाप्त हो जाने के कारण उसे निराश होकर मगध लौटना पड़ा।  
जरासंध की पहली चढ़ाई- जरासंध ने पूरे दल-बल के साथ [[शूरसेन]] जनपद ([[मथुरा]]) पर चढ़ाई की। पौराणिक वर्णनों के अनुसार उसके सहायक [[कामरूप]] का राजा दंतवक, [[चेदि]]राज, [[शिशुपाल]], कलिंगपति पौंड्र, भीष्मक पुत्र [[रूक्मी]], काध अंशुमान तथा अंग, [[बंग]] [[कौशल|कोसल]], [[दषार्ण]], भद्र, [[त्रिगर्त]] आदि के राजा थे। इनके अतिरिक्त शाल्वराज, पवनदेश का राजा भगदत्त, सौवीरराज गंधार का राजा सुबल नग्नजित् का मीर का राजा गोभर्द, दरद देश का राजा तथा [[कौरव]]राज [[दुर्योधन]] आदि भी उसके सहायक थे। मगध की विशाल सेना ने मथुरा कर नगर के चारों फाटकों को घेर लिया। सत्ताईस दिनों तक जरासंध मथुरा नगर को घेरे पड़ा रहा, पर वह मथुरा का अभेद्य दुर्ग न जीत सका। संभवत: समय से पहले ही खाद्य-सामग्री के समाप्त हो जाने के कारण उसे निराश होकर मगध लौटना पड़ा। दूसरी बार जरासंध पूरी तैयारी से शूरसेन पहुँचा। [[यादवों]] ने अपनी सेना इधर-उधर फैला दी। युवक [[बलराम]] ने जरासंध का अच्छा मुक़ाबला किया। लुका-छिपी के युद्ध द्वारा यादवों ने मगध-सैन्य को बहुत छकाया। [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] जानते थे कि यादव सेना की संख्या तथा शक्ति सीमित है और वह मगध की विशाल सेना का खुलकर सामना नहीं कर सकती। इसीलिए उन्होंने लुका-छिपी वाला आक्रमण ही उचित समझा। उसका फल यह हुआ कि जरासंध परेशान हो गया और हताष होकर ससैन्य लौट पड़ा। वह युद्ध में संभवत: कारूश-पति दमघोष तथा चेदि-सेना की कुछ कारणों से जरासंध से अलग होकर यादवों से मिल गई थी। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार जरासंध ने अठारह बार मथुरा पर चढ़ाई की। सत्रह बार यह असफल रहा। अंतिम चढ़ाई में उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासन [[कालयवन]] को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
 
दूसरी बार जरासंध पूरी तैयारी से शूरसेन पहुँचा। [[यादवों]] ने अपनी सेना इधर-उधर फैला दी। युवक [[बलराम]] ने जरासंध का अच्छा मुक़ाबला किया। लुका-छिपी के युद्ध द्वारा यादवों ने मगध-सैन्य को बहुत छकाया। [[श्रीकृष्ण]] जानते थे कि यादव सेना की संख्या तथा शक्ति सीमित है और वह मगध की विशाल सेना का खुलकर सामना नही कर सकती। इसीलिए उन्होंने लुका-छिपी वाला आक्रमण ही उचित समझा। उसका फल यह हुआ कि जरासंध परेशान हो गया और हताष होकर ससैन्य लौट पड़ा। वह युद्ध में संभवत: कारूश-पति दमघोष तथा चेदि-सेना की कुछ कारणों से जरासंध से अलग होकर यादवों से मिल गई थी। [[पुराणों]] के अनुसार जरासंध ने अठारह बार मथुरा पर चढ़ाई की। सत्रह बार यह असफल रहा। अंतिम चढ़ाई में उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासन [[कालयवन]] को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।
 
{{महाभारत}}


[[Category:पौराणिक कोश]]
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}{{महाभारत युद्ध}}{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:पौराणिक चरित्र]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]][[Category:महाभारत]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:महाभारत]]

Latest revision as of 07:53, 31 May 2016

[[चित्र:Jarasandh1.jpg|भीम-जरासंध युद्ध|thumb|300px]]

  • मगध पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश वृहद्रथ-वंश है। महाभारतपुराणों से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में चेदिराज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और पटना जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध-साम्राज्य था। इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में सोन नदी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वतमाला थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया।
  • जरासंध इस वंश का सबसे प्रतापी शासक था, जो बृहद्रथ का पुत्र था।
  • जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। हरिवंश पुराण से ज्ञात होता है कि उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, काश्मीर और गांधार के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज़ वाला कहा गया है।

चित्र:Blockquote-open.gif जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। चित्र:Blockquote-close.gif

बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया। जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह बृहद्रथ नाम के राजा का पुत्र था और जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। जरा राक्षसी ने जोड़ा हो या न जोड़ा हो, मगर पुराणों में कौरवों का साथी होने के नाते जरासंध खलनायक की तरह ही उल्लेखित है। जरा नाम में ही विभक्त का भाव है जिसे बाद में संधि मिली। यानी एक आधे-अधूरे व्यक्तित्व का स्वामी। इतिहास गवाह है कि दुनियाभर के खलनायक विभक्त और खंडित व्यक्तित्व वाले ही होते हैं, उनका बाहरी रंग-रूप चाहे जैसा हो। जरासंध का अंत भी खंडित व्यक्तित्व का अंत था। भीम नें उसके शरीर को दो हिस्सों में विभक्त कर मृत्यु प्रदान की थी।


जरासंध की पहली चढ़ाई- जरासंध ने पूरे दल-बल के साथ शूरसेन जनपद (मथुरा) पर चढ़ाई की। पौराणिक वर्णनों के अनुसार उसके सहायक कामरूप का राजा दंतवक, चेदिराज, शिशुपाल, कलिंगपति पौंड्र, भीष्मक पुत्र रूक्मी, काध अंशुमान तथा अंग, बंग कोसल, दषार्ण, भद्र, त्रिगर्त आदि के राजा थे। इनके अतिरिक्त शाल्वराज, पवनदेश का राजा भगदत्त, सौवीरराज गंधार का राजा सुबल नग्नजित् का मीर का राजा गोभर्द, दरद देश का राजा तथा कौरवराज दुर्योधन आदि भी उसके सहायक थे। मगध की विशाल सेना ने मथुरा कर नगर के चारों फाटकों को घेर लिया। सत्ताईस दिनों तक जरासंध मथुरा नगर को घेरे पड़ा रहा, पर वह मथुरा का अभेद्य दुर्ग न जीत सका। संभवत: समय से पहले ही खाद्य-सामग्री के समाप्त हो जाने के कारण उसे निराश होकर मगध लौटना पड़ा। दूसरी बार जरासंध पूरी तैयारी से शूरसेन पहुँचा। यादवों ने अपनी सेना इधर-उधर फैला दी। युवक बलराम ने जरासंध का अच्छा मुक़ाबला किया। लुका-छिपी के युद्ध द्वारा यादवों ने मगध-सैन्य को बहुत छकाया। श्रीकृष्ण जानते थे कि यादव सेना की संख्या तथा शक्ति सीमित है और वह मगध की विशाल सेना का खुलकर सामना नहीं कर सकती। इसीलिए उन्होंने लुका-छिपी वाला आक्रमण ही उचित समझा। उसका फल यह हुआ कि जरासंध परेशान हो गया और हताष होकर ससैन्य लौट पड़ा। वह युद्ध में संभवत: कारूश-पति दमघोष तथा चेदि-सेना की कुछ कारणों से जरासंध से अलग होकर यादवों से मिल गई थी। पुराणों के अनुसार जरासंध ने अठारह बार मथुरा पर चढ़ाई की। सत्रह बार यह असफल रहा। अंतिम चढ़ाई में उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासन कालयवन को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख