निरुपमा बोरगोहेन: Difference between revisions
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}}'''निरुपमा बोरगोहेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nirupama Borgohain'', [[17 मार्च]], [[1932]]) प्रसिद्ध भारतीय [[साहित्यकार]] हैं जो अपनी रचनाएँ [[असमिया भाषा]] में करती हैं। सन [[1996]] में चर्चित [उपन्यास]] 'अभिजात्री' के लिये इन्हें '[[साहित्य अकादमी पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया था। | |||
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निरुपमा बोरगोहेन
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पूरा नाम | निरुपमा बोरगोहेन |
जन्म | 17 मार्च, 1932 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | असमिया साहित्य |
मुख्य रचनाएँ | 'अभिजात्री ', 'अनेक अकास', 'जलाचाबी', 'सुन्यतर काव्य' आदि। |
भाषा | असमिया भाषा |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1996 |
प्रसिद्धि | साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
निरुपमा बोरगोहेन (अंग्रेज़ी: Nirupama Borgohain, 17 मार्च, 1932) प्रसिद्ध भारतीय साहित्यकार हैं जो अपनी रचनाएँ असमिया भाषा में करती हैं। सन 1996 में चर्चित [उपन्यास]] 'अभिजात्री' के लिये इन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।
- निरुपमा बोरगोहेन ने 'रामधेनु' पत्रिका में छद्म नाम 'नीलिमा देवी' के तहत लघु कथाएँ प्रकाशित करना शुरू किया था।
- उनकी कुछ रचनाओं में 'अनेक अकास' (कई आसमान, 1961), 'जलाचाबी' (1966), 'सुन्यतर काव्य' (खालीपन की कविताएँ, 1969) मुख्य हैं।
- इनका पहला उपन्यास 'सेई नाडी निरावधी' 1963 में प्रकाशित हुआ था।
- निरुपमा बोरगोहेन के नारीवादी उपन्यास 'दीनोर पिसोट दिनोर' (1968), 'अन्या जीवन' (1986) और 'चंपावती' को दमनकारी सामाजिक रीति-रिवाजों और पितृसत्ता का सामना करने वाली महिलाओं के सहानुभूतिपूर्ण चित्रण के लिए जाना जाता था।
- उपन्यास 'इपारोर घोर सिपारोर घोर' (1979) ने एक बेहतर जीवन की तलाश में ग्रामीण लोगों के शहरी क्षेत्रों में प्रवास को दर्शाया; कहानी को एक प्राकृतिक रूप में बताया गया था।
- इनका 'अभिजात्री ' (1995) एक असमिया स्वतंत्रता सेनानी, नारीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता, चंद्रप्रवा सैकियानी के जीवन का एक जीवनी उपन्यास था। इसने उन्हें 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिलाया। यह उनके बेहतरीन उपन्यासों में से एक माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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